बकरियों में होने वाले रोग, लक्ष्ण, घरेलू इलाज, उपचार कैसे करे

बकरी पालन एक लाभदायक व्यवसाय है जो बहुत से लोगों को अपनी आय का स्रोत प्रदान करता है। लेकिन, बकरी की सेहत बनाए रखना एक मुश्किल काम हो सकता है क्योंकि वे कई तरह की बीमारियों से पीड़ित हो सकती हैं। इसलिए, बकरी की सेहत बनाए रखने के लिए उचित देखभाल और समय पर उचित उपचार की आवश्यकता होती है। इस लेख में हम आपको कुछ बकरी की बीमारियों के बारे में बताएँगे और उनके घरेलू इलाज और चिकित्सक उपचार के बारे में भी जानकारी देंगे।

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बकरियों में होने वाले रोग

बकरी पालन करते समय बकरियों में अनेक प्रकार के रोग पाए जाते हैं।

  • खुर-मुंह पका रोग : यह रोग वर्षा ऋतु के समय बकरियों में अधिक पाया जाता हैं।
  • खुर गलन रोग : यह रोग वर्षा से सर्दियों तक रहने वाला एक प्रमुख रोग है।
  • आफरा रोग : यह रोग मुख्य रूप से सभी बकरियों में पाया जाता है।
  • पी. पी.आर. रोग : यह रोग बकरियों में दूषित हवा, पानी, व भोजन से होता है।
  • थनैला रोग : यह रोग सभी दुधारू पशुओं ( बकरी, गाय, भैंस आदि ) में होने वाला रोग है।

बकरियों में कितनी तरह की बीमारी पाई जाती है

बकरियों में कई तरह की बीमारियाँ होती हैं, जिनमें से कुछ आम होती हैं और कुछ गंभीर होती हैं। निम्नलिखित कुछ मुख्य बीमारियाँ हैं जो बकरियों में देखी जाती हैं:

खुरपका (Foot and Mouth Disease) –

इस वायरस से प्रभावित बकरियों को बुखार, उल्टियां, श्वसन तंत्र की समस्याएं और मुंह, पैर और जीभ में छाले हो सकते हैं।

बकरी झुलसा (Caprine Arthritis Encephalitis) –

इस वायरस से प्रभावित बकरियों के जोड़ों में सूजन, कमजोरी और तंगपन होता है।

पेस्ट (Peste des petits ruminants) –

इस वायरस से प्रभावित बकरियों में बुखार, खांसी, सांस की तंगी और जीभ में छाले होते हैं।

टीके वाली बुखार (Tick-borne fever) –

इस रोग से प्रभावित बकरियों में उल्टियां, बुखार और तंगपन होता है।

गंडोक (Enterotoxemia) –

इस रोग से प्रभावित बकरियों में तेज बुखार, दस्त, उल्टियां और मुंह से दुर्गन्ध आती है।

बकरी छोटा रोग (Brucellosis) –

इस रोग से प्रभावित बकरियों में तापमान बढ़ना, अशोधन और दुगन्ध होती है।

बकरियों में होने वाली बीमारियों के नाम

बकरियों में कुछ आम बीमारियों के नाम निम्नलिखित हैं:

बकरियों में होने वाली बीमारियों के नाम
Sr No.बीमारियों के नाम
1पी.पी.आर. रोग
2खुरपका-मुँहपका रोग
3खुरपका-मुँहपका रोग
4जोन्स रोग (पैराटयूबरकुलसता)
5जीवाणुज गर्भपात
6आफरा 
7चेचक (माता)
8निमाेनिया
9प्लेग
10पोंकनी रोग
11थनैला रोग
12गले में सूजन
13दस्त (पेचिश)

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बकरियों की बीमारी के उपचार कैसे करे

बकरियों की बीमारियों का उपचार उनकी बीमारी के प्रकार और विवरण पर निर्भर करता है। कुछ आम बकरी बीमारियां हैं जिनका उपचार आसान होता है, जबकि कुछ बीमारियां ज्यादा गंभीर होती हैं और अधिक समय और उपचार की आवश्यकता होती है। नीचे दिए गए कुछ आम बकरी की बीमारियों के उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है:

मुंहपका व खुरपका बीमारी का उपचार-

बीमारी पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखकर नर्म एवं सुपाच्य चारा ( भोजन ) देना चाहिए। इस बीमारी में बकरी को जवानों नाशक और दर्द निवारक दवा का इंजेक्शन लगवाना चाहिए इसके साथ एंटीसेप्टिक दवा से घाव व छालों की धुलाई करनी चाहिए। मुंहपका व खुरपका बीमारी के बचाव के लिए हर 6 महीने के अंदर मार्च-अप्रैल तथा सितंबर- अक्टूबर में बकरियों को टीका लगवाए।

निमोनिया बीमारी का उपचार-

शीत ऋतु तथा सर्दी वाले मौसम मे बकरियों को छत वाले बाड़े तथा खिड़की व रोशनदान से आने वाली ठंडी हवा को रोकना चाहिए।

बकरियों को एंटीबायोटिक 3 से 5 मिली. 3 से 5 दिन तक दें, खांसी के लिए केफलोन पाउडर 6 से 12 ग्राम रोजाना 10 दिन तक दें।

अफारा बीमारी का उपचार-

बकरी को चारा व पानी देना तुरंत बंद कर दे, बकरी को अफारा होने पर एक चम्मच खाने का सोडा या टिंपोल पाउडर 15 से 20 ग्राम देना चाहिए इसके अलावा एक चम्मच तारपीन का तेल व मीठा तेल 150-200 मिली. पिलाना चाहिए।

पेट के कीड़ों का उपचार-

बकरी के पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है। बकरी को दिन में दो या तीन बार दवाई देनी होगी।

दस्त का उपचार-

बकरी के दस्त को रोकने के लिए, बकरी को शुद्ध पानी और गुड़ के साथ छोटे छोटे आहार मिलाकर दिया जा सकता है। इसके अलावा, बकरी को एंटीबायोटिक दवाइयों की भी जरूरत हो सकती है।

गुर्दे की बीमारी का उपचार-

गुर्दे की बीमारी के उपचार के लिए बकरी को दवाइयों और आहार में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने की आवश्यकता होती है।

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बकरी की बीमारी का Doctory Ilaaj

खुर-मुंह रोग का डॉक्टरी इलाज-

मुंह के छालों में वोरोग्लिसरिन की मलहम लगाने चाहिए। और खुरों की सफाई फोरमेलिन के घोल, नीले थोथे के घोल या लाल दवाई से करनी चाहिए डॉक्टरी पशु की राय के अनुसार 4 से 5 दिन एंटीबायोटिक का इंजेक्शन लगाना चाहिए।

चर्म रोग का डॉक्टरी इलाज-

डॉक्टरी पशु की राय के अनुसार इंजेक्शन आईवर मेक्टिन चमड़ी में लगवाए बकरियों के जख्मों को लाल दवाई से धोऐं और जख्मों पर हिमैक्स मलहम लगाएं।

पेट दर्द और गैस की समस्या-

बकरी को पेट दर्द और गैस की समस्या होने पर आपको उन्हें नींबू पानी और अदरक का जूस देना चाहिए। इसके अलावा आप बकरी को रोगानुसार दवा दे सकते हैं।

दस्त की समस्या-

बकरी को दस्त होने पर आपको उन्हें दही और छाछ के साथ खाना देना चाहिए। इसके अलावा, बकरी को एंटीबायोटिक दवा भी दी जा सकती है।

पथरी की समस्या-

बकरी को पथरी होने पर आपको उन्हें पत्थरचट्टा और गाजर का जूस देना चाहिए।

बकरियों में किसी प्रकार की समस्या या बीमारी होने पर अपने पास ही के पशु चिकित्सालय में दिखाएं और बीमारी का इलाज करवाएं।

बकरी की बीमारी का घरेलू इलाज

बकरी पालन एक लाभदायक व्यवसाय है जो बढ़ती हुई मांग के कारण आज बहुत स्थायी हो गया है। हालांकि, बकरी पालन में कुछ बीमारियां होती हैं जो बकरियों को प्रभावित करती हैं और उनसे खतरा होता है। कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिनके घरेलू उपाय मौजूद होते हैं जो आप अपनी बकरियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। यदि आपकी बकरी बीमार हो गई है, तो इसका इलाज तुरंत किया जाना चाहिए। इस लेख में, हम आपको बकरी की बीमारी के घरेलू इलाज के बारे में बताएंगे।

बकरी में कुछ आम रोग जैसे कि जूं, खुजली, पेट की खराबी, पेट दर्द, जुकाम, उलटी और बुखार इत्यादि के घरेलू उपाय निम्न हैं।

खुजली का घरेलू इलाज: इसे ठीक करने के लिए आप बकरियों के त्वचा पर सरसों का तेल लगा सकते हैं। इससे त्वचा नरम होगी और खुजली ठीक हो जाएगी।

पेट की खराबी का घरेलू इलाज: बकरी को पेट की खराबी हो जाने पर उसे दही खिलाएं जो पाचन को बेहतर बनाएगा। इसके अलावा आप दस्त के लिए केले का इस्तेमाल कर सकते हैं।

पेट की खराबी का घरेलू इलाज:

बुखार का घरेलू इलाज: बुखार के लिए एक चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर दें। इससे बकरी का बुखार ठीक हो जाएगा।

पेट दर्द का घरेलू इलाज: अगर आपकी बकरी को पेट दर्द हो रहा है, तो उसे नींबू पानी दें। नींबू पानी उसके पेट की समस्या को दूर करने में मदद करेगा।

जूं का घरेलू इलाज: बकरी की जूं को कम करने के लिए, आप नीम के पत्तों का उपयोग कर सकते हैं। नीम के पत्तों को पानी में भिगोएं और फिर बकरी को इस पानी से धोएं।

जुकाम का घरेलू इलाज: बकरी को जुकाम होने पर, आप उसे अदरक का रस दे सकते हैं। अदरक का रस उसकी समस्या को दूर करेगा।

उलटी का घरेलू इलाज: उलटी होने पर, बकरी को शक्कर और नमक का पानी पिलाएं। इससे उसके शरीर का तापमान बना रहेगा और उलटी रुक जाएगी।

अफारे का घरेलू इलाज: एक प्याज ले लीजिए और एक चम्मच काला नमक और 2 बड़े चम्मच दही इन सब को मिक्सी में मिलाकर बकरी को पिला दे इससे बकरी का अफारा ठीक हो जाएगा।

दस्त (पेचिश) का घरेलू इलाज: बकरी को दो चम्मच चाय पत्ती दे इससे बकरी को आराम मिलेगा दूसरा जामुन के पत्ते दे जिससे बकरियों के दस्त ठीक हो जाएंगे।

पेट के कीड़ों का घरेलू इलाज: सर्दियों में बकरियों को बथुआ दे बथुआ से इनके पेट के कीड़े खत्म हो जाएंगे दूसरा बकरियों को छाछ में काला नमक डालकर पिलाएं इससे इनके पेट के कीड़े मर जाएंगे यह आपको 4 से 5 दिन ( प्रतिदिन ) पिलानी है।

बकरियों के पेट के कीड़ों का घरेलू इलाज

आंखें आने का घरेलू इलाज: आजकल गर्मी है गर्मी में इनकी आंखें आती है तो उसका सबसे अच्छा इलाज है फिटकरी का पानी ले पानी से इनकी आंखों को धोऐं उसे इनकी आंखों में आराम मिलेगा।

यदि आपकी बकरी की बीमारी गंभीर हो रही है, तो आपको पशुचिकित्सा से संपर्क करना चाहिए।

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बकरी के गले में सूजन की दवा

बकरी के गले में सूजन की दवा

बकरी के गले में सूजन कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि इंफेक्शन, गले के अंदर खुजली, अलर्जी आदि। इस समस्या का उपचार करने के लिए निम्नलिखित दवाओं का उपयोग किया जा सकता है:

एंटीबायोटिक – अगर सूजन इंफेक्शन के कारण है, तो एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। यह दवाएं आमतौर पर वेटरिनरी डॉक्टर द्वारा प्रदान की जाती हैं और आपको दवा के उपयोग की सलाह देने के लिए सलाह दी जाती है।

एंटीहिस्टामीन – अगर सूजन एलर्जी के कारण हो रही है, तो एंटीहिस्टामीन दवाएं काम कर सकती हैं। ये दवाएं बकरी के अलर्जीक प्रतिक्रिया को रोकती हैं और सूजन को कम करती हैं। लेकिन, इन दवाओं का उपयोग करने से पहले एक वेटरिनरी डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

स्टेरॉयड्स – सूजन को कम करने के लिए, स्टेरॉयड दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है। ये दवाएं बकरी के शरीर की जल्दी से वापसी को बढ़ाती हैं।

बकरियों के गले में सूजन आने पर Oxyclozanide And Levamisole Suspenion यह दवा देनी चाहिए यह दवा बकरियों को सिर्फ एक बार दी जाती है 50 किलो वाली बकरी को 15 Ml देना है और भूखे पेट सुबह के समय देना है अगर बकरी को ज्यादा परेशानी हो रही है तो आप किसी भी समय दे सकते हैं।

बकरी के बुखार का घरेलू इलाज

बकरियों में बुखार होना आम बात है बकरी काफी दुर्लभ प्राणी है जिसे हल्के ठंड लगने या ज्यादा गर्मी लगने के कारण जल्दी से बुखार आ जाता है, यदि आपके बकरियों में हल्का बुखार का लक्षण है तो आप इसे घरेलू इलाज से ठीक कर सकते हैं इसके अलावा यदि गंभीर परिस्थिति होती है तो आप अपने नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

पेरासिटामोल की गोली: अगर आप की बकरी वयस्क है तो आप 1 पेरासिटामोल की गोली का चार भाग कर ले और गोली का 1 भाग सुबह और 1 भाग शाम को दें, जिससे आपके बकरी का बुखार कम हो जाएगा।

गिलोय बेल: बकरी के बुखार को कम करने के लिए आप अपने बकरी को गिलोय बेल खिला सकते हैं। यदि आपकी बकरी गिलोय बेल नहीं खाती है, तो आप गिलोय बेल को पीसकर इसका रस अपनी बकरी को दें, जिससे आपकी बकरी का बुखार जल्द ही कम हो जाएगा।

नीम के पेड़ के पत्ते: बकरी को नीम के पेड़ के पत्ते खिलाए इससे बकरियों में बुखार कम करने में मदद करेगा।

नींबू का रस: नींबू के रस को बकरी के पानी में मिलाकर दें। इससे बकरी को ठंडक मिलेगी और उसके बुखार में भी आराम मिलेगा।

अदरक और शहद: बकरी के बुखार को इस तरह भी कम किया जा सकता है कि अदरक और शहद को मिलाकर बकरी को दिया जाए। अदरक को पीस लें और उसमें शहद मिलाएं। फिर इसे बकरी को दें।

विश्राम दें: बकरी को अधिक से अधिक आराम देना चाहिए। इससे बकरी के शरीर को बुखार से लड़ने के लिए अधिक ऊर्जा उपलब्ध होगी।

दूध और जौ के आटे का घोल: एक गिलास गर्म दूध में दो चम्मच जौ के आटे का घोल मिलाएं और बकरी को दें। यह उपाय उचित होता है जब बकरी को ठंड लगती है।

हल्दी वाला दूध: एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाएं और इसे बकरी को दें। यह उपाय बकरी के बुखार को कम करने में मदद करता है।

पपीते का रस: पपीते का रस निकालें और उसमें शहद मिलाकर बकरी को यह पीने के लिए दें।

तुलसी का पत्ता: बकरी के बुखार को कम करने के लिए, बकरी को तुलसी के पत्ते खिलाएं।

पानी: बकरियों को बुखार के समय अधिक पानी पिलाने से उन्हें ठंडा महसूस होता है और उन्हें ऊर्जा भी मिलती है। यदि आपकी बकरी खाने पीने से दूर भागती है तो आप उसे एक पानी की टंकी या ड्रम के बगल में रख सकते हैं।

बकरे को मोटा करने की दवा

बकरों को मोटा करने के लिए आयरन टॉनिक, कैल्शियम फास्फोरस, मल्टीविटामिन, लिवर टॉनिक और डाइजेस्टिव टॉनिक इन सब की दवाई दी जाती है इसके अलावा बकरे को हर 2 से 3 महीने में डीवार्मिंग करवाना चाहिए।

बकरी को निमोनिया की दवा

किसी भी बकरी को दवा देने से पहले, उसकी समस्या के कारणों का निर्धारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि आपकी बकरी को निमोनिया है तो उसे अपने वेटरिनर से चेकअप करवाना चाहिए जो उसकी स्थिति का निरीक्षण करेगा और उचित इलाज का सुझाव देगा।

बकरी को दवा देने से पहले, पशु चिकित्सक आमतौर पर उसके वजन, उम्र और अन्य लाभांशों को ध्यान में रखते हुए उचित दवा का चयन करेगा। निमोनिया के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की दवाएं हो सकती हैं, जैसे कि एंटीबायोटिक दवाएं, कॉर्टिकोस्टेरॉयड दवाएं या अन्य दवाएं जो चिकित्सक की सलाह के अनुसार हो सकती हैं।

इसलिए, आपको अपनी बकरी को खुशहाल रखने के लिए उसे अपने पशु चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए ताकि वे सही इलाज और दवा प्रदान कर सकें।

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बकरियों में पी.पी.आर. रोग ki Dava

पी.पी.आर. रोग या पेस्टरलोसिस एक संक्रामक रोग है जो जीवाणु पेस्टरेला मल्टोसिडा के कारण होता है। यह रोग बकरियों में ज्यादातर साँस लेने वाले अंगों में असर करता है और लंबे समय तक बकरियों की सेहत को प्रभावित करता है। इस रोग का उपचार आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है।

पेस्टरलोसिस के उपचार के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाएं निम्नलिखित हैं:

  • ऑक्सिटेट्रासाइक्लिन (Oxytetracycline)
  • स्ट्रेप्टोमाइसिन (Streptomycin)
  • एनरोफ्लॉक्सासिन (Enrofloxacin)

यदि आपके बकरी में पेस्टरलोसिस जैसी समस्या हो, तो आपको वेटरिनर से संपर्क करना चाहिए। वे आपके बकरी के लिए सही दवा चुनेंगे और इस बीमारी के इलाज के लिए उचित दिशा-निर्देश प्रदान करेंगे। पशु चिकित्सक से सलाह लेने से पहले बकरी की समस्या को ठीक से जांच लें और समस्या का कारण जानने के लिए उनसे पूछें।

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