भेड़ पालन कैसे करें | Bhed Palan in Hindi

Bhed palan in hindi: भारत में सदियों से भेड़ पालन (Bhed palan) किया जा रहा है। भेड़ पालन लगभग सभी देशों में किया जाता है और भेड़ पालन में भारत तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा भेड़ों का पालन करने वाला देश हैं। भारत के कई राज्यों में भेड़ पालन किया जा रहा है, जो उनकी आय का मुख्य स्रोत है। भेड़ पालन का व्यवसाय लगातार बढ़ रहा है। अगर आप भी भेड़ पालन का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको भेड़ पालन से जुड़ी हर तरह की जानकारी हासिल करनी होगी।

Bhed palan

जो हम आपको आज इस आर्टिकल में बताने वाले है जैसे- भेड़ पालन कैसे करें, भेड़ों की प्रमुख नस्लें, भेड़ पालन के फायदे और भेड़ पालन के लिए सरकारी योजनाएं और अनुदान आदि।

भेड़ पालन कैसे करें? | how to do sheep farming

Bhed palan kaise kare: भारत में भेड़ों की कुल संख्या 6.5 करोड़ है। भेड़ों को मुख्य रूप से कम वर्षा वाले स्थानों और पठारी क्षेत्रों में पाला जाता है। देश की कुल भेड़ों का 14 प्रतिशत राजस्थान में पाला जाता है। भेड़ उत्पादन में आंध्र प्रदेश प्रथम स्थान पर है। भेड़ पालन देश के पश्चिमी भागों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसके अलावा कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा में भी भेड़ पालन किया जाता है।

भेड़ पालन (Sheep farming) किसानों की आय को दुगना करने का एक बेहतर विकल्प है। भारत की जलवायु भेड़ पालन के लिए काफी उपयुक्त है। छोटे और सीमांत भेड़पालक के लिए यह बहुत ही लाभदायक व्यवसाय है। भेड़ पालन व्यवसाय कम लागत में अधिक मुनाफा देता हैं।

यदि आप अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से भेड़ पालन व्यवसाय कर रहे हैं तो शुरुआत में आप 1 नर भेड़ और 20 मादा भेड़ (20+1) लेकर भेड़ पालन व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। अगर भेड़ की कीमत की बात करें तो उसकी कीमत उसकी नस्ल और कितने महीने की है इस पर निर्भर करती है।

आमतौर पर एक भेड़ की कीमत 3,000 रुपये से लेकर 8,000 रुपये तक हो सकती है। कहने का तात्पर्य यह है कि आप लगभग 1 लाख रुपये में अपना भेड़ पालन का व्यवसाय बहुत ही आसानी से कर सकते हैं। 20 भेड़ों के लिए 500 वर्ग फुट का बाड़ा होना चाहिए। लेकिन यह खुला और हवादार होना चाहिए। इस बाड़े को आप तीस से चालीस हजार रुपए में तैयार कर सकते हैं।

भेड़ पालन के लिए प्रमुख नस्लें | Sheep breeds

भारत में लगभग 50 प्रकार की नस्लें पाई जाती हैं। इनमें से 14 नस्लें उन्नत किस्म की हैं।

bhed ki nasle

1. मालपुरा- राजस्थान की यह नस्ल लंबी टांगों वाली और दिखने में बेहद खूबसूरत होती है। यह 6 माह में 500 ग्राम ऊन दे देती है। एक साल में इनका वजन 26 किलो तक पहुंच जाता है।

2. चोकला- चोकला भेड़ भी राजस्थान की एक नस्ल है। यह केवल बेहतरीन गुणवत्ता वाले कालीन ऊन के उत्पादन के लिए जाना जाता है। इसका वजन भी एक साल में 24 किलो तक बढ़ जाता है। यह ऊन और मांस दोनों उद्देश्यों के लिए कारोबार किया जाता है।

3. मारवाड़ी- राजस्थान की यह नस्ल गुजरात के कुछ शुष्क क्षेत्रों में भी पायी जाती है। हर 6 महीने में उन्हें 650 ग्राम तक ऊन मिल जाती है। इस नस्ल के मेमनों का वजन एक साल में 26 किलो तक बढ़ जाता है।

4. मेचेरी- भारत के तमिलनाडु के कोयंबटूर क्षेत्र में यह नस्ल पाई जाती है। इसके बाल छोटे होते हैं, लेकिन इसकी त्वचा बहुत उच्च कोटि की होती है। इसकी खाल बहुत ऊंचे दामों में बिकती है।

5. पाटनवाड़ी- इस भेड़ को देसी, कुटची, वधियारी और चारोतरी के नाम से भी जाना जाता है। इससे हर 6 महीने में 600 ग्राम तक ऊन प्राप्त होती है। इसका वजन 25 किलो तक होता है।

6. मुजफ्फरनगरी- उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की यह नस्ल मुख्य रूप से यूपी, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड में पाई जाती है। हर 6 महीने में 600 ग्राम तक ऊन देता है। इसका वजन 32 किलो तक होता है। इसका उत्पादन ऊन और मांस दोनों के लिए किया जाता हैं।

7. डेक्कनी- भेड़ की यह नस्ल भारत के महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है। स्थानीय भाषा में इसे सोलापुरी, कोलापुरी, संगमनारी और लोनंद के नाम से जाना जाता है। यह भेड़ पतली गर्दन और छाती के साथ काले रंग की होती है। इनका व्यवसाय मुख्यतः मांस उत्पादन के लिए किया जाता है।

8. नेल्लौरी- यह नस्ल भारत के आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में पाई जाती है। यह लंबी नस्ल 3 किस्मों में उपलब्ध है – पल्ला, जोड़ीपी, डोरा। जन्म के समय इसके मेमने का वजन 3 किलो होता है, एक साल में यह 27 किलो तक हो जाता है।

9. गद्दी- भेड़ की यह नस्ल भारत के जम्मू, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पाई जाती है। इससे प्रत्येक 6 माह में 450 ग्राम तक ऊन प्राप्त होती है। इसके मेमनों का वजन एक साल में 17 किलो होता है।

10. नीलगिरी- यह नस्ल भारत के तमिलनाडु में पाई जाती है। इसका आकर मीडियम साइज का होता है और इसका रंग सफेद होता हैं। कुछ भेड़ो में भूरे धब्बे भी होते हैं। इसका पालन ऊन के लिए किया जाता है। इसकी ऊन की लंबाई 5 सेमी तक होती है। यह हर 6 महीने में आधा किलो ऊन देती है।

11. कोयम्बटूर- इस नस्ल के लिए तमिलनाडु के कोयम्बटूर के आसपास के क्षेत्रों की जलवायु बेहतर है। यह भेड़ हर 6 महीने में 400 ग्राम तक ऊन देती है। इसके ऊन का व्यास 41 माइक्रोन तक होता है।

12. बेल्लारी- भेड़ो की यह नस्ल भारत के कर्नाटक के बेल्लारी में पाई जाती है। एक साल की उम्र तक इसका वजन 19 किलो हो जाता है। इससे हर 6 महीने में 300 ग्राम ऊन उपलब्ध होती है। ऊन का व्यास 60 माइक्रोन तक होता है।

13. बोनपाला- यह नस्ल दक्षिणी तिब्बत की है। लम्बे कद की यह नस्ल सफेद से काले रंग के कई स्वरों में पायी जाती है। यह नस्ल पूरी तरह से बालों में ढकी होती है। इससे हर 6 महीने में 500 ग्राम से ज्यादा ऊन मिलती है।

14. छोटानागपुरी- भारत के झारखण्ड में यह नस्ल पायी जाती है। यह नस्ल हल्के वजन की होती है। और इनका रंग हल्का भूरा और भूरा होता हैं। पूंछ पतली और छोटी होती है। ऊन खुरदरी होती है।

बकरी पालन की अन्य योजनाएं

भेड़ पालन के लिए जगह | Place for Sheep

अगर आप छोटे पैमाने पर भेड़ पालन का व्यवसाय शुरू कर रहे हैं तो इसे आप अपने घर पर आसानी से कर सकते हैं। यदि आप बड़े पैमाने पर भेड़ पालन व्यवसाय शुरू कर रहे हैं तो इसके लिए पशुओं को खुली जगह की आवश्यकता होती है।

भेड़ पालन के दौरान एक भेड़ के विकास के लिए अधिकतम 10 वर्ग फुट जगह की जरूरत होती है। भेड़ पालन के दौरान सभी भेड़ों को एक साथ रखा जा सकता है, क्योंकि इन प्राणियों में आपस में लड़ने की प्रवृत्ति नहीं होती है।

हालांकि नर पशुओं और गर्भवती पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखने की व्यवस्था की जाती है।

नर भेड़ के लिए जगह

नर भेड़ को मादा भेड़ो से अलग रखा जाता है, ताकि उचित मात्रा में भोजन देने के साथ-साथ उनकी ठीक से देखभाल की जा सके।

पशु विशेषज्ञों के अनुसार 30 मादा भेड़ों के लिए 1 नर भेड़ पर्याप्त होता है, इसके अलावा नर भेड़ हिंसक प्रवृति के होते हैं। जिसके चलते उन्हें अलग रखा जाता है।

गर्भित भेड़ के लिए जगह

गर्भवती भेड़ों को हमेशा अन्य भेड़ों से अलग रखा जाता है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान जानवर को चोट लगने से भेड़ और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है।

एक जगह पर आप 3 से 4 गर्भवती भेड़ आसानी से रख सकते हैं, जिसके लिए अधिकतम 25 से 30 वर्ग फुट की दूरी की आवश्यकता होती है।

भेड़ो के लिए भोजन (आहार) की व्यवस्था | Sheep feed

भेड़ों का अच्छे से विकास हो सके, इसके लिए उन्हें उचित मात्रा में पौष्टिक आहार देने की आवश्यकता होती है। हालाँकि भेड़ें आमतौर पर खुली जगह में चरती हैं, लेकिन उनका मुख्य भोजन जंगली हरी घास और पेड़ों की पत्तियाँ हैं। वैसे तो अधिकतर भेड़पालक उन्हें बाहर ही चराते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि भेड़ों को सुबह और शाम के समय ही चरागाहों में चराना चाहिए।

भेड़ की ऊन कब और कैसे काटे | When and how to shear sheep’s wool

भेड़ पालने वाले आमतौर पर साल में दो बार ऊन कातते हैं। लेकिन कुछ जगहों पर यह काम साल में तीन बार भी किया जाता है। पहली बार ऊन कताई मार्च-अप्रैल के महीने में किया जाता है। दूसरी बार ऊन कताई का समय उपयुक्त मौसम के अनुसार चुना जाता है।

ऊन काटने से पहले भेड़ों को नहलाया जाता है। नहाने से भेड़ की ऊन में जमा हुई धूल, मैल आदि पूरी तरह से साफ हो जाती है। भेड़ को बहते पानी के तालाब या पानी की टंकी में नहलाना चाहिए। जिस दिन भेड़ों को नहलाना हो उस दिन धूप अच्छी होनी चाहिए, ऊन के अच्छी तरह सूख जाने के बाद ही ऊन काटने का काम करना चाहिए।

ऊन काटने का स्थान पक्का और साफ होना चाहिए या फिर तिरपाल बिछाकर ऊन की कटाई करनी चाहिए। भेड़ की ऊन काटने का क्षेत्र आकार में 10 x 5 फीट से कम नहीं होना चाहिए। सामान्यत: ऊन काटने का काम कैंची या बाल काटने वाली मशीन से किया जाता है।

एक व्यक्ति एक दिन में 20 भेड़ों का ऊन कैंची से काट सकता है। और ऊन काटने वाली मशीन की सहायता से 150 भेड़ों की ऊन कताई कर सकता है।

भेड़ पालन के फायदे | Benefits of sheep farming

  • भेड़ो से प्राप्त मांस, ऊन, खाद, दूध, चमड़ा, हार्मोन जैसे उत्पादों के मुख्य स्रोत है।
  • रेगिस्तान, पहाड़ों और शुष्क इलाकों में भेड़ पालन आसानी से किया जा सकता है।
  • भेड़ पालन कम लागत में ज़्यादा मुनाफे का व्यवसाय है।
  • भेड़ का मांस स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर होता है।
  • भेड़ के दूध और इससे बनने वाला घी का इस्तेमाल दवाओं में किया जाता है।भेड़ पालन के लिए कम जगह (जमीन) की आवश्यक होती है।
  • भेड़ों के आहार (भोजन) में कम खर्च होता है

भेड़ पालन से कमाई | Earnings from sheep farming

यदि भेड़पालक एक बार में लगभग 20 मादा भेड़ और एक नर भेड़ के साथ व्यवसाय शुरू करता है तो उसके पास एक साल में ही 50 भेड़ों के आसपास हो जाती हैं। बाजार में एक भेड़ की कीमत करीब 7 से 8 हजार रुपये है। जिससे किसान सारा खर्चा निकालकर आसानी से लाखों रुपए कमा सकते हैं।

भेड़ पालन के लिए सरकारी योजना और अनुदान | Sheep farming scheme

भेड़ पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारें समय-समय पर योजनाएं चलाती हैं। सरकार भेड़ पालन के लिए भेड़पालकों को प्रशिक्षण भी देती है। इसके लिए अपने नजदीकी पशुपालन विभाग या जिला कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क करें।

भेड़ पालन के लिए सरकार द्वारा वित्तीय सहायता: भेड़ पालन के लिए सरकार द्वारा अधिकतम 1 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है, जिसमें से 90% राशि किसान को ऋण/लोन के रूप में दी जाती है और शेष 10% भेड़ पालने वाले को स्वयं देनी होगी है। सरकार द्वारा ऋण के रूप में दी जाने वाली 90% राशि में से 50 प्रतिशत पर पशुपालक को ब्याज नहीं देना पड़ता है। जबकि बाकी 40 फीसदी रकम पर आपको ब्याज देना होता है। इस कर्ज को चुकाने की अवधि सरकार ने 9 साल तय की है।

भेड़ पालन में ध्यान रखने योग्य कुछ खास बातें

  • भेड़ खरीदने से बचें अगर वे खुजली से ग्रस्त हैं। उनकी फर्टिलिटी की विशेष जांच व पूछताछ करें।
  • भेड़ के बाड़े में वेंटिलेशन होना चाहिए, उन्हें रोजाना 6 घंटे चरने देना चाहिए।
  • क्षेत्र में पाए जाने वाले संक्रामक रोगों के लिए पहले से टीका लगवाएं।
  • सूखे चारे और हरी घास के साथ-साथ उन्हें मक्का, ज्वार, बाजरा और मूंगफली जैसी रोपण फसलों के साथ भी कभी-कभी खिलाना चाहिए।
  • आमतौर पर भेड़ें नौ महीने की उम्र में पूरी तरह से परिपक्व हो जाती हैं, लेकिन उनसे स्वस्थ मेमनों को प्राप्त करने के लिए एक वर्ष की उम्र के बाद उन्हें गर्भवती करना आवश्यक होता है।
  • भेड़ें 17 दिनों के बाद 30 घंटे तक गर्मी/हीट में आती हैं। हीट के आखिरी समय में नर भेड़ के संपर्क में आने पर गर्भधारण की अच्छी संभावनाएं होती हैं।
  • गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद मेमनों के दूध पीने तक भेड़ पालने पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
  • उन्हें अन्य भेड़ों की तुलना में संतुलित और पौष्टिक आहार अधिक देना चाहिए। वहीं प्रजनन से पहले आहार में अनाज की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।

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FAQ – भेड़ पालन कैसे करें? | how to do sheep farming

  1. भेड़ पालन कैसे किया जाता है?

    अगर कोई किसान भेड़ पालन व्यवसाय शुरू करना चाहता है तो आप 20 मादा भेड़ और एक नर भेड़ यानी 20+1 फॉर्मूले से इस व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं। यह खरीदारी आपको सिर्फ 1 लाख रुपये में मिल जाएगी। उनके लिए 500 वर्गफीट का बाड़ा काफी है। बस बाड़ा थोड़ा खुला-खुला होना चाहिए।

  2. एक भेड़ की कीमत कितनी है?

    एक भेड़ की कीमत बाजार में 3 से 8 हजार रुपए तक होती है। भेड़ पालन की शुरुआत आप साल के किसी भी महीने से कर सकते हैं। 20 भेड़ों के लिए 500 वर्ग फुट का बाड़ा पर्याप्त होता है। इस बाड़े को 30 से 40 हजार रुपए में आसानी से तैयार किया जा सकता है।

  3. एक भेड़ कितना दूध देती है?

    मांस के लिए पाली गई एक औसत भेड़ प्रति वर्ष 90 किग्रा दूध का उत्पादन कर सकती है, जबकि चुनिंदा डेयरी नस्लें प्रति वर्ष 272 – 362 किग्रा दूध का उत्पादन कर सकती हैं।

  4. भेड़ का बाड़ा बनाने में कितना खर्च आता है?

    भेड़ पालन के लिए शेड बनाने में 100 रूपए प्रति वर्ग फ़ीट का खर्च आता है। यदि बात करे और खर्चे पर तो जल, बिजली, आदि का 3000 तक का खर्च होता है। भेड़ो के खाने का खर्चा यूनिट के अनुसार प्रति वर्ष 20,000 रुपये की जरूरत पड़ेगी।

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