बकरी पालन कैसे करे [सितम्बर 2023]: बकरी पालन की संपूर्ण जानकारी | Goat Farming in Hindi
बकरी पालन कैसे करे: छोटे और सीमांत किसानों के लिए बकरी पालन किसी वरदान से कम नहीं है। इसे महिलाएं और पुरुष दोनों कर सकते हैं। बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने के लिए आपके पास में यदि दो बकरिया और एक बकरा है, तब भी आप अपना ये बिजनेस शुरू कर सकते हैं और एक अच्छा खासा मुनाफा यहां से कमा सकते हैं।
बकरी क्या है?
बकरी एक पालतू पशु है जो छोटे स्तनधारी प्राणियों के वर्ग में आती है यह पशु चार पैरों वाला होता है और इसके द्वारा दूध और मांस का उत्पादन किया जाता है।
बकरी का शरीर सामान्य रूप से छोटा और पेटलिका जैसा होता है, जिसमें उसके स्तन स्थित होते हैं। बकरी की रंगबिरंगी आंखें और ऊँचाई वाले कान होते हैं।
पूरे विश्व में बकरियां फालतू में जंगली रूप में पाई जाती है अनुमान है कि विश्व भर की सभी पालतू बकरियां दक्षिणी पश्चिमी एशिया और पूर्वी यूरोप की जंगली बकरियों की एक वंशज उपजाति के रूप में है।
बकरी पालन व्यवसाय करने के फायदे
वैसे बकरी पालन व्यवसाय करने के कई सारे फायदे हैं यहां पर कुछ फायदों के बारे में हमने जानकारी दी है। यदि आप अपना बकरी पालन व्यवसाय शुरू कर रहे है तो इन फायदों के बारे में आपको पता होना बहुत आवश्यक है।
नीचे कुछ फायदों के बारे में आप पढ़ सकते हैं।
- बकरी पालन व्यवसाय कम खर्च में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय है
- बकरी पालन व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है जिसे छोटे और लघु किसान आसानी से कर सकते हैं।
- बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करके इससे मांस, दूध, ऊन, खाद और औषधीय प्राप्त किया जा सकता है।
- बकरी पालन व्यवसाय को गरीब आदमी आसानी से शुरू कर सकते हैं, इसलिए इस व्यवसाय को ‘गरीबों का व्यवसाय’ भी कहा जाता है।
- बकरी के दूध में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को स्वस्थ और फिट रखने में मददगार होते हैं।
बकरी पालन: बेसिक से एडवांस्ड तक जानकारी
आजकल ज्यादातर लोगों का रुझान बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने में दिख रहा है इस व्यवसाय को मुख्यतः किसान और पशुपालन से जुड़े हुए लोग आसानी से कर सकते हैं। यह पशुपालन व्यवसाय कम खर्चीला और मुख्यता काफी लाभ देने वाला होता है।
यदि आप बकरी पालन में रुचि रखते हैं और इसे बेसिक से एडवांस्ड स्तर तक ले जाना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत ज्यादा हेल्पफुल होने वाला है।
इस ब्लॉग के माध्यम से मैं आपके साथ शेयर करने वाला हूं बकरी पालन व्यवसाय को कैसे शुरू करें, बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए कितनी बकरियों की आवश्यकता पड़ती है? कितनी जमीन की आवश्यकता पड़ती है? बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए शेड कैसे तैयार करनी है? बकरी की प्रमुख नस्लें बकरी पालन व्यवसाय शुरू करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना है इत्यादि अन्य सभी जानकारी यहां पर दी जाएगी इसलिए आप सभी से सिर्फ एक रिक्वेस्ट है कि आप इस आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक अवश्य पढ़ें।
यह आर्टिकल बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने में आपकी बहुत ज्यादा हेल्प करने वाला है इसको हमने आपके लिए बारह भाग में बाटा है ताकि आपको समझने में आसानी हो जोकि इस प्रकार है
भाग 1: बकरी पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें
भाग 4: बकरियों की कितनी नस्ल पाई जाती है?
भाग 7: बकरी पालन करने के लिए शेड कैसे तैयार करें?
भाग 8: बकरियों को क्या खिलाये?
भाग 9: बकरी पालन करते समय किन बातो का ध्यान रखे?
भाग 10: बकरियों में होने वाले रोग और उनका समाधान
भाग 11: बकरियों की प्रजनन के लिए आवश्यक जानकारी
भाग 12: कितनी बकरियों के लिए कितनी जमीन की आवश्यकता पड़ेगी?
तो चलिए सुरु करते है
भाग 1: बकरी पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें
बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको उद्देश्य स्पष्ट करना होगा आखिर आप इस व्यवसाय को क्यों शुरू करना चाहते हैं। आपको एक बिजनेस रिपोर्ट बनानी होगी। संचालन और अनुमानित खर्च का आंकलन करना होगा जिससे आप यह अनुमान लगा पाएंगे कि बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने में आपका कितना पैसा खर्च होगा।
यहां पर मैंने नीचे आपको कुछ पॉइंट के माध्यम से जानकारी प्रदान की है बकरी पालन व्यवसाय को आप किस प्रकार से शुरू कर सकते हैं इसके लिए आप नीचे दिए गए पॉइंट्स को ध्यान पूर्वक पढ़ सकते हैं।
1. उद्देश्य स्पष्ट करें: बकरी पालन व्यवसाय की शुरुआत करने से पहले आपको अपने उद्देश्य को स्पष्ट करना बेहद जरूरी है। आपको यह जानना होगा कि क्या आप दूध, मांस, या दोनों की उत्पादन के लिए बकरी पालन करना चाहते हैं? यह आपको बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने में बहुत मदद करेगा। इससे ही आप अनुमान लगा पाएंगे कि आप अपने बिजनेस को किस डायरेक्शन में ले जाना चाहते हैं।
2. एक बिजनेस रिपोर्ट तैयार करें: बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने से पहले आपको एक बिजनेस रिपोर्ट तैयार करना भी बेहद जरूरी है जहां पर आप बकरी पालन के लिए आवश्यकता है खर्च आए बाजार की सामग्री उचित मार्गदर्शन के विवरण को शामिल कर सकते हैं यह आपको एक बेहतर बिजनेस बनाने में मदद करेगी।
3. संचालन और अनुमानित खर्च का आकलन करें: अपनी बकरियों को संचालित करने के लिए आवश्यक संसाधनों का आकलन करें। इसमें आवास, चारा, पानी, वैक्सीनेशन, चिकित्सा देखभाल, और कर्मचारियों के लिए आवश्यकताएं शामिल होंगी। यह जानकारी बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए बहुत अहम होती है।
भाग 2: बकरी की देखभाल
जब आप बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने का उद्देश्य,बिजनेस रिपोर्ट और अनुमानित खर्च का आंकलन कर लेते हैं तो इसके बाद आपको यह तय करना होता है कि आप बकरियों को कहां पर रखेंगे, किस तरह का शेड बनाएंगे, बकरियों को खिलाने के लिए चारे का प्रबंध कैसे करेंगे, पानी की उपलब्धता कैसे करनी होगी, इसके अलावा बकरियों को होने वाली बीमारियों और उनकी रोकथाम के क्या उपाय है।
इन बातों के बारे में जानना भी जरूरी है। इस पार्ट में मैंने बकरी की देखभाल के रिकॉर्डिंग सभी जानकारी दी है जिसे आप नीचे पॉइंट्स में पढ़ सकते हैं।
1. आवास तैयार करें: बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए बकरियों के लिए एक सुरक्षित और आरामदायक आवास तैयार करें। शेड, बाड़, या खुले भूमि पर विचार करें जो उन्हें शीतलता, गर्मी, बरसात, और रात्रि की ठंड से सुरक्षा प्रदान कर सके।
2. चारा प्रबंधन: उचित पोषण के लिए बकरियों को आवश्यक चारा प्रदान करें। अच्छी गुणवत्ता के चारा, खाद्य सप्लीमेंट्स, पशु चारा व्यवस्था और चाराय पदार्थों के सही मिश्रण का उपयोग करें।
3. पानी की उपलब्धता: बकरियों को प्रतिदिन स्वच्छ पानी की उपलब्धता प्रदान करें। पानी के लिए उपयुक्त स्थानों को व्यवस्थित करें और स्वच्छता का ध्यान रखें।
4. वैक्सीनेशन और चिकित्सा: अपनी बकरियों को नियमतथा निरंतर वैक्सीनेशन देकर उन्हें स्वस्थ रखें। एक पशुचिकित्सक से सलाह लें और आवश्यक रोगों के खिलाफ वैक्सीनेशन रिपोर्ट अवश्य तैयार करें।
भाग 3: बिजनेस रिपोर्ट
जब आप बकरियों को रखने की जगह और उनको रखने वाली सभी आवश्यकताओं को कंप्लीट कर लेते हैं इसके बाद आपको बजट और लेनदेन की रिपोर्ट भी बनानी पड़ती है जहां पर आप अपने खर्चों का रिकॉर्ड रखते हैं इसके अलावा आप अपने बकरी पालन केंद्र की मार्केटिंग योजनाओं और विज्ञापनों के माध्यम से अपने बकरियों को बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कर सकते हैं नीचे में बताऊंगा कि कैसे आपको बिजनेस रिपोर्ट तैयार करनी है और कैसे आप मार्केटिंग योजना बनाकर यहां से करोड़ों रुपए कमा पाएंगे आइए उसके बारे में जानते हैं
1. बजट और लेनदेन: बकरी पालन व्यवसाय के लिए आपको अपना बजट तैयार करना जरूरी है और अपने खर्चों और आय की एक रिपोर्ट बनाने भी जरूरी है। इसके लिए सटीक लेनदेन रिकॉर्ड को बनाए रखें और व्यवसाय के प्रगति को निरीक्षण अवश्य करें।
2. मार्केटिंग योजना: अपने उत्पादों की पब्लिसिटी और विज्ञापन के लिए एक मार्केटिंग योजना तैयार करें। उचित मार्केट रिसर्च करें, अधिकारिक नेटवर्क बनाएं और उत्पादों को सही दर पर बेचने के लिए संगठित विज्ञापनों का इस्तेमाल अवश्य करें।
3. बिजनेस ग्रुप बनाएं: बकरी पालन व्यवसाय में बिजनेस ग्रुप बनाना भी बहुत इंपोर्टेंट होता है। स्थानीय पशुपालन समुदायों से जुड़ें, किसान संगठनों के साथ सहयोग करें, और बकरी पालन से जुड़े नए तकनीक और विकास के लिए नियमित रूप से सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा अवश्य लें।
बकरी पालन की एडवांस जानकारी
भाग 4: बकरियों की कितनी नस्ल पाई जाती है?
बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको सही नस्ल की बकरी का चुनाव करना होता है। इस पार्ट के माध्यम से मैं आपके साथ जानकारी शेयर करने वाला हूं। बकरियों की कितनी नस्ल पाई जाती है? कौन सी नस्ल आपके लिए लाभकारी होगी? चलिए इसके बारे में जानते हैं।
बकरियों की कितनी नस्ल पाई जाती है?
बकरियों की विशेषताओं के आधार पर कई प्रकार की नस्लें पाई जाती है जिन्हें आप दूध मास या फिर दोनों उद्देश्यों के लिए उपयोग कर सकते हैं। यहां पर मैंने बकरियों की नस्ल की विशेषताओं के आधार पर प्रमुख नस्ल की बकरियों का विभाजन किया है जो कि इस प्रकार है।
1. दूध उत्पादन नस्ल: इन नस्लों का मुख्य उद्देश्य अच्छी मात्रा में दूध प्रदान करना होता है। इनमें सानेन, तोगगनबर्ग, अल्पाइन, लामांचा, नुबियन, गुआर्नसी, और सांगन शामिल हो सकती हैं।
2. मांसीय नस्ल: ये नस्लें मांस के उत्पादन के लिए पाली जाती हैं। इनमें बोर, ब्लैक बेंगल, बोरोसा, बोरोसा क्रोस, जामनपुरी, और बोअर हो सकती हैं।
3. दोनों उद्देश्यों की नस्ल: यह नस्लें दूध और मांस दोनों के उत्पादन के लिए पाली जाती हैं। इनमें बोरोसा, जामनपुरी, जैवा, और सिरोही शामिल हो सकती हैं।
4. रखवाली की नस्ल: इन नस्लों का मुख्य उद्देश्य पशुओं की देखभाल करना होता है। इनमें बारबेरी, रोबार, ब्लैक बेंगल, बोअर, और मैनचेरी शामिल हो सकती हैं।
5. स्थानीय नस्ल: कई बकरी नस्लें स्थानीय नस्ल के रूप में मान्यता प्राप्त करती हैं, जो विशेष भूमि और मार्गदर्शन के आधार पर स्थापित होती हैं। इनमें भारतीय नस्लें जैसे कि जामनपुरी, सिरोही, बेनगलोर और पंजाबी शामिल हो सकती हैं।
नोट: भारत में अलग-अलग स्टेट में अलग-अलग बकरी की नस्लें पाई जाती है नस्ल के चयन में आप अपने अनुसार कोई भी एक बेहतर नस्ल को चुन सकते हैं जो आपके राज्य और प्रदेश के वातावरण के हिसाब से बेहतर हो सकती है।
भारत में पाई जाने वाली बकरियों की प्रमुख नस्लें
भारत के अलग-अलग राज्यों में बकरियों की अलग-अलग नस्लें पाई जाती हैं। यहां पर भारत में पाई जाने वाली कुछ प्रमुख नस्लों के नाम यहां पर हमने नीचे बताई है जिन्हें आप अपनी जरूरत के अनुसार खरीद कर अपना बकरी पालन का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। बकरी की प्रमुख नस्लें निम्नलिखित प्रकार है।
1. चम्बा
2. गद्दी
3. कश्मीरी
4. जमुनापरी
5. पश्मीना
6. बरबरी
7. बीटल
8. टोगनबर्ग
9. सिरोही
बकरियों की उन्नत नस्लें
विश्व में बकरियों की कुल 100 से भी अधिक नस्लें पाई जाती है। जिनमें से 20 भारत की नस्लें हैं। यहां की नस्लें विदेशी नस्लों से अधिक मजबूत होती हैं। जो मुख्यतः मांस उत्पादन के लिए अधिक उपयुक्त होती है। लेकिन विदेशी नस्लों का वजन अधिक होता है। विदेशी नस्लें ऊन और दूध के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
बकरियों की देसी नस्लें
Sr. No. | बकरियों की देसी नस्लें |
---|---|
1 | ब्लैक बंगाल |
2 | बारबरी (barbari bakri) |
3 | बीटल |
4 | जमुनापारी |
5 | सिरोही (sirohi bakri) |
6 | जाकराना |
7 | आसामहील |
8 | गंजम |
9 | मालावारी |
10 | ओसमानाबादी |
11 | सुरती |
12 | मारवाड़ी |
13 | चेगु |
14 | तोतापरी (totapuri goat) |
15 | कश्मीरी |
बकरियों की विदेशी नस्लें
Sr. No. | बकरियों की विदेशी नस्लें |
1 | 1.सानेन |
2 | अल्पाइन |
3 | टोगेनवर्ग |
4 | एग्लोनूबियन |
5 | अंगोरा |
6 | वियाना |
7 | जेरेबी |
8 | ग्रानाडा |
9 | माल्टीज |
10 | गोल्डेन गुरेंसी |
बकरी की सबसे अच्छी नस्ल का चुनाव कैसे करे?
बकरी की सबसे अच्छी नस्ल का चुनाव करने के लिए सबसे पहले आपको यह निश्चित करना होगा कि आप पशुपालन किस उद्देश्य के लिए कर रहे हैं। आप दूध उत्पादन, मांस प्राप्ति, नस्ल विकास, या कोई अन्य विशेषता के लिए नस्ल का चुनाव कर सकते हैं। इसके लिए आप अच्छी गुणवत्ता वाली बकरी की नस्ल को चुन सकते हैं।
क्षमता: बकरियों की नस्ल का चुनाव करने से पहले आपको यह भी जानना बेहद जरूरी है कि आप जिस नस्ल की बकरी को चुन रहे है उसकी क्षमता क्या है। यह उत्पादन, प्रतिस्पर्धा, जीनोटाइप, वजन प्राप्ति, विकास, और सामरिक गुणवत्ता जैसे मापदंडों पर आधारित होती है।
प्रजातिगत विशेषताएं: नस्ल के रूप में संगठित प्रजातिगत विशेषताओं का ध्यान भी देना बहुत जरूरी है। यह सम्मिलित क्षमता, संक्रमण संरक्षण, अनुकूलता जीन, विपणन और अन्य गुणवत्ताएं शामिल कर सकती है।
स्वास्थ्य और देखभाल: बकरियों की नस्ल का चुनाव करने से पहले नस्ल की स्वास्थ्य, संगठन, और रख-रखाव की जानकारी प्राप्त करना भी जरूरी है। उन्हें संक्रमणों, रोगों, पोषण की आवश्यकताओं, और देखभाल की जरूरतों के समय-समय पर अवश्य करवानी चाहिए।
स्थानीय प्रयोगशाला और अनुभव: स्थानीय प्रयोगशालाओं और पशुपालन अधिकारियों की सलाह लें जो आपके क्षेत्र में अच्छी प्रदर्शन दिखाने वाली नस्लों की सिफारिश कर सकते हैं। स्थानीय अनुभव का लाभ उठाएं और नियमित रूप से स्थानीय बकरीपालकों से बातचीत अवश्य करें।
ध्यान दें: अच्छी नस्ल का चयन करने के लिए अपने उद्देश्य, परिवार की आवश्यकताएं, उपभोक्ताओं की मांग, आपके क्षेत्र की वातावरणिक प्रकृति, और उपलब्ध संसाधनों को मध्यस्थ रखना महत्वपूर्ण होगा। वे आपको आपके क्षेत्र में सबसे अच्छी नस्लों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा देते हैं।
भाग 5: बकरी पालन क्यों करें
क्यों करें बकरी पालन (Bakri Palan): गाय-भैंस की तुलना में बकरी पालन आसान और सस्ता होता है। इस व्यवसाय को कम स्थान और सीमित देखभाल करके अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। बाजार में इसके मांग अधिक है। बकरी को बेचने में किसानों को कोई असुविधा नहीं होती है। यह बाजार में बहुत जल्दी और सुगमता से बिक जाती है।
इस व्यवसाय को छोटे आकार यानी 4-5 बकरियों से भी शुरू किया जा सकता है। इससे बहुत ही कम समय (12-15 महीने) में लाभ मिलने लगता है। इसके लिए सरकारी स्तर पर कई प्रकार की सब्सिडी और प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं।
Indian States with The Highest Number of Goats in 2019
वर्ष 2019 की जनगणना के अनुसार बकरियों की संख्या में करीब 15% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्तमान समय में बकरियों की संख्या करीब 116.91 करोड़ तक पहुंच चुकी है। भारत में यह बिजनेस काफी किफायती बिजनेस है।
भारत में बकरी पालन राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखंड,उड़ीसा और कर्नाटक समेत कई अन्य राज्यों में बकरी पालन किया जाता है।
यहां पर मैंने आपके साथ बकरी पालन व्यवसाय के हिसाब से बकरी की कितनी संख्या कौन से राज्य में कितनी पाई जाती है। इसके बारे में नीचे जानकारी दी है जिससे आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि यह बिजनेस आने वाले समय में कितना किफायती होगा।
State | Goat Population (Millions) |
---|---|
Rajasthan | 20.84 |
West Bengal | 16.28 |
Uttar Pradesh | 14.48 |
Bihar | 12.82 |
Madhya Pradesh | 11.06 |
Maharashtra | 10.6 |
Tamil Nadu | 9.89 |
Jharkhand | 9.12 |
Odisha | 6.39 |
Karnataka | 6.17 |
भाग 6: बकरी पालन कैसे करे?
अब दोस्तों मैं आपके साथ शेयर करने वाला हूं बकरी पालन व्यवसाय को कैसे शुरू करना है और बकरी पालन करने के लिए शेड कैसे तैयार करनी है?
बकरी पालन कैसे करे?
बकरी पालन करने के लिए कई सारे चरणों से गुजरना पड़ता है। यहां पर मैंने बकरी पालन कैसे करते हैं। इसके सभी चरणों के बारे में जानकारी दी है। बकरी पालन करना वैसे आसान है। यदि आप ट्रेनिंग लेकर बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करते हैं तो फिर आप बकरी पालन व्यवसाय को बहुत ही अच्छे से कर पाएंगे। बकरी पालन करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं।
1. सही प्रकार की बकरी चुनें: अपने बकरीपालन के उद्देश्यों और आवश्यकताओं के अनुसार, उच्च उत्पादकता या बच्चों के लिए अच्छी नस्ल की बकरीयों का चयन करना बहुत जरूरी है।
2. आवास सुविधा का अनुमान लगाएँ: बकरीयों के लिए आवास की उचित व्यवस्था करें। इसमें एक अच्छे गोशाला, बाड़, और बकरीयों के लिए समर्थन की व्यवस्था शामिल हो सकती है।
3. आहार की व्यवस्था करें: बकरीयों के लिए उचित आहार की व्यवस्था करें। यह चारा, हरे पौधे, दलहन, खाद, और पानी की सुविधा शामिल कर सकता है। उन्हें प्रतिदिन संतुलित और पूर्ण आहार प्रदान करना चाहिए।
4. स्वच्छता और स्वास्थ्य का ध्यान रखें: अपनी बकरीयों के लिए स्वच्छता का ध्यान रखें। उनके आवास को साफ सुथरा रखें और उनकी स्वच्छता पर नजर रखें। उन्हें नियमित रूप से देखभाल करें, टीकाकरण कराएं, और उनके लिए आवश्यक संक्रमण नियंत्रण के उपायों को अपनाएं।
5. नियमित चिकित्सा परीक्षण करवाएं: बकरीयों के स्वास्थ्य के लिए एक वेटरीनरियन की सलाह लें और नियमित चिकित्सा परीक्षण कराएं। अपनी बकरीयों को संक्रमण, बीमारियों और पेशी रोगों से बचाएं और उनकी देखभाल करें।
6. बकरीयों की प्रजनन की देखभाल करें: यदि आपका उद्देश्य बकरीयों की प्रजनन है, तो उनके प्रजनन की देखभाल करें। यह सम्मिलित कर सकता है नस्ली बकरीयों के चयन, बकरीयों की गर्भावस्था और प्रसव की देखभाल, और बकरीयों के छोटे बच्चों की देखभाल करना जरूरी है।
ध्यान दें: यदि आप पहली बार बकरीपालन कर रहे हैं, तो पशुपालन के बारे में अधिक जानने के लिए स्थानीय पशुपालन अधिकारियों, पशुचिकित्सकों और विशेषज्ञों की सलाह लें। वे आपको बकरीपालन के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी और सलाह प्रदान कर सकते हैं।
भाग 7: बकरी पालन करने के लिए शेड कैसे तैयार करें?
बकरी पालन करने के लिए एक उचित शेड तैयार करना बेहद जरूरी है जहां पर आप अपने बकरियों को एक साथ रख सकते हैं। बकरी पालन शेड तैयार करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं। यहां पर मैंने कुछ पॉइंट के माध्यम से यह जानकारी प्रदान की है जो कि इस प्रकार है।
1. स्थान चुनें: बकरी शेड के लिए एक उचित स्थान का चुनाव करना बेहद जरूरी है। यह स्थान बकरियों के आवास के लिए पर्याप्त होना चाहिए जहां पर उन्हें रखने की सभी सुविधाएं जैसे पानी, बाढ़, घास-फूस व्यवसाय और उन्हें रखने की सुरक्षित इंतजाम भी होना चाहिए।
2. शेड का निर्माण करें: बकरी शेड के लिए छत, दीवारें और खींचाव जैसे सामग्री का उपयोग करें। शेड की ऊँचाई और आकार बकरियों की संख्या के आधार पर निर्धारित होनी चाहिए। इसे ऐसे ढंग से बनाएं कि बकरियों को शेड के अंदर और बाहर घूमने की आजादी होनी चाहिए।
3. वेंटिलेशन की व्यवस्था करें: शेड में सही वेंटिलेशन की व्यवस्था करें ताकि बकरियों को शुद्ध हवा मिल सके। छत में छेद, झरोखे या छिद्र बनाकर हवा के बहाव को सुनिश्चित करना बेहद जरूरी होता है।
4. आरामदायक शेड बनाएं: बकरी शेड को आरामदायक बनाने के लिए सही चारा, क्षेत्र, स्थान, गोदाम, और आरामदायक खाने-पीने की व्यवस्था करें। उचित पॉइंटर और बकरियों के लिए सुखद गोदाम बनाए।
5. सुरक्षा प्रदान करें: बकरी शेड में सुरक्षा के लिए आवश्यक उपकरण, जैसे कि जाल या बाड़ और उपयोगी सुरक्षा उपकरण जैसे अलार्म सिस्टम को अवश्य लगवाएं।
6. स्वच्छता और स्वास्थ्य: बकरी शेड की स्वच्छता और स्वास्थ्य की देखभाल में अवश्य ध्यान दें। अपशिष्टों को स्वच्छ करें, शेड को नियमित रूप से साफ करें, और ज़रूरत पड़ने पर चिकित्सा सेवा की सुविधा उपलब्ध कराएं।
ध्यान दें : यदि आप बकरी शेड तैयार करने में किसी भी दिक्कत का सामना कर रहे हैं, तो स्थानीय पशुपालन अधिकारियों और पशुचिकित्सकों की सलाह लें।
शेड कितने तरह के होते है?
बकरी पालन के लिए विभिन्न प्रकार के शेड बनाए जा सकते हैं। यह निम्नलिखित तरह के हो सकते हैं:
1. छप्पर शेड: यह एक साधारण शेड होता है जिसमें छत और तख्तों का उपयोग होता है। छप्पर शेड साधारणतया साइडवॉल नहीं रखता है और यह बकरियों को धूप, बारिश और हवा से सुरक्षित रखने के लिए उपयोगी होता है। छप्पर सेट पर आमतौर पर घास फूस का इस्तेमाल किया जाता है। अक्सर इस शेड का इस्तेमाल बकरियों को धूप से बचाने के लिए किया जाता है।
2. खुला शेड: यह एक पशुधार जोड़ शेड होता है जिसमें साइडवॉल खोले जाते हैं। यह शेड बकरियों को खुले आसमान के नीचे रहने देता है और वेंटिलेशन और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
3. पट्टी शेड: यह एक पशुधार जोड़ शेड होता है जिसमें साइडवॉल पट्टी से ढंके जाते हैं। इसके लिए साइडवॉल पट्टी, टिन शीट, या अन्य पट्टी सामग्री का उपयोग होता है। यह शेड बकरियों को धूप, बारिश और हवा से सुरक्षित रखने के साथ ही तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है।
4. बंटवारा शेड: यह बकरी शेड कई छोटे खोलों या सेक्शनों में बंटा होता है। हर बंटवारे में बकरियों के लिए अलग-अलग स्थान होता है जिससे व्यवस्थित प्रबंधन किया जा सकता है। इसका उपयोग बकरी पालन के लिए बड़ी संख्या में पशुओं को संभालने के लिए किया जाता है।
ध्यान दें : शेड का चुनाव बकरियों की संख्या, बजट, उपयोगिता और स्थान के अनुसार किया जाना चाहिए। यदि आप पशुपालन और बकरीपालन के लिए शेड बना रहे हैं, तो स्थानीय पशुपालन अधिकारियों और पशुचिकित्सकों से सलाह लेना महत्वपूर्ण होगा। वे आपको सबसे उपयुक्त शेड के लिए मार्गदर्शन कर सकते हैं।
कोन सा शेड आपके लिए सबसे अच्छा है?
आपके लिए कौन सा शेड सबसे उपयुक्त होगा यह अलग-अलग तत्वों पर निर्भर करता है जैसे आप शेड को किस उद्देश्य के लिए बना रहे है, शेड के लिए स्थान कितना है, आपका बजट कितना है और बकरियों की संख्या कितनी है। यहां पर मैंने कुछ महत्वपूर्ण के चयन में मदद कर सकते हैं:
1. बकरियों की संख्या: यदि आपकी बकरियों की संख्या अधिक है, तो बंटवारा शेड उपयुक्त हो सकता है जिसमें बड़ी संख्या में पशुओं को संभाला जा सकता है। यदि आपकी संख्या कम है, तो एक छप्पर शेड या खोला शेड उपयुक्त हो सकता है जो बकरियों को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त होता है।
2. स्थान: आपके पास उपलब्ध स्थान और संरचना के आधार पर शेड का चुनाव करना बेहद जरूरी है। यदि आपके पास बहुत स्थान है, तो बड़े बंटवारे शेड का विचार कर सकते हैं। यदि स्थान सीमित है, तो एक छप्पर शेड या खोला शेड उपयुक्त हो सकता है।
3. बजट: आपके पास उपलब्ध बजट के आधार पर शेड का चयन करना भी जरूरी है। बंटवारा शेड में निवेश ज्यादा हो सकता है जबकि छप्पर शेड या खोला शेड आरामदायक और कम खर्च में तैयार किए जा सकते हैं।
4. उद्देश्य: आपके पशुपालन के उद्देश्य भी शेड के चयन पर प्रभाव डाल सकते हैं। यदि बहुत सारे जानवर आपके पास में है तो खोला शेड उपयुक्त हो सकता है जो बकरियों को खुले आसमान के नीचे रखता है। यदि आपका उद्देश्य बकरी पालन के लिए उचित संरचना और सुरक्षा है, तो छप्पर शेड उपयुक्त हो सकता है।
यहां पर दिए गए पॉइंट मेरे अनुसार आपके लिए अच्छे साबित हो सकते हैं। शेड का चयन आपकी विशेष स्थिति, आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा। इसलिए, सबसे अच्छा शेड चुनने से पहले एक बार अनुमान अवश्य बना है।
भाग 8: बकरियों को क्या खिलाये?
जब भी बकरी पालने की बात होती है तो ऐसे में आपको इस बात पर भी ध्यान देना आवश्यक होता है कि बकरियों को कैसे पाला जा सकता है। इसके अलावा बकरी पालते समय क्या-क्या खिला सकते हैं। इस भाग में मैंने इन सभी बातों पर ध्यान दिया है जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं।
बकरी को कैसे पाले?
बकरी आमतौर पर जंगल झाड़ी और खेत-मैदान में घूम-फिरकर अपना पेट भर लेती हैं। इन्हें गाय की तरह 24 घंटे बांधकर नहीं रखा जा सकता है। बारबारी और सिरोही नस्ल की बकरी को बांधकर पाला जा सकता है।
बकरियों को मुख्यतः तीन तरह से पाला जा सकता है
1. चराकर पालना
इस विधि में बकरियों को पालना आसान है। लेकिन व्यावसायिक दृष्टि से यह लाभकारी नहीं हो सकता क्योंकि इससे बकरियों के वजन में अधिक वृद्धि नहीं होती है। इस कारण बाजार में इनकी कीमत कम मिलती है। जंगली और पहाड़ी इलाके जहां खेती योग्य भूमि कम है वहां इस विधि से बकरी पाली जा सकती है।
2. खूंटे पर खिलाकर पालना
यह विधि बारबरी और सिरोही नस्ल की बकरियों को पालने के लिए अपनाई जा सकती है। दूसरे नस्ल की बकरियों को इस विधि से पालना आसान नहीं है।
3. चराकर और खूंटे पर खिलाकर पालना
इस विधि में बकरियों को 7-8 घंटा चरने दिया जाता है। इसके बाद बाड़े में लाकर चारा और पत्तियों और कुछ दाने का मिश्रण भी खिलाया जाता है। यह बकरी पालन की उचित विधि है। इसमें बकरियां स्वस्थ रहती है। साथ ही वजन में भी काफी वृद्धि होती है। इससे बाजार में मूल्य ज्यादा मिलता है। इसलिए कारोबार की वृद्धि से यह विधि अधिक अपनाई जाती है। अच्छा यह होगा कि आप इस विधि को ही अपनाएं। जमुनापारी, ब्लैक बंगाल और बीटल इस विधि के लिए उपयुक्त नस्ल है।
बकरियों को चारा कितने समय पर देना चाहिए
बकरियों को चारा देने के समय की आवश्यकता उनकी आयु, पोषण स्तर, और चाराय क्षेत्र की आवश्यकताओं पर निर्भर करेगी। बकरियों को दिन में दो या तीन बार चारा देना बेहतर होता है। यहां पर मैंने कुछ बातों के माध्यम से जानकारी दी है कि आखिरकार बकरियों को कितने समय बाद चारा देना चाहिए इसके बारे में आप डिटेल में नीचे पढ़ सकते हैं।
1. नियमितता: बकरियों को नियमित और स्थिर समय पर चाराय देना चाहिए। यह उनकी आदत बनाता है और उन्हें चाराय के लिए तैयार करता है। बकरियों को दिन में दो या तीन बार चाराय देने का अभ्यास बनाएं।
2. पोषण स्तर: बकरियों के पोषण स्तर पर विचार के बारे में अवश्य सोचना चाहिए । यदि उन्हें पोषणीय सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं या विशेष आहार प्रदान किया जाता है, तो चाराय के साथ-साथ इसका भी ध्यान दें। इसके अलावा, बकरियों की बीमारियों, गर्भावस्था, और वयाग्रस्तता को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है।
3. चाराय क्षेत्र: चाराय क्षेत्र की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना भी जरूरी होता है। यदि आपके पास उचित चाराय क्षेत्र नहीं है, तो अपने समय के अनुसार पर्याप्त चारा उपलब्ध कराएं। यदि चाराय क्षेत्र में समय-समय पर खुदाई की जाती है, तो चाराय करने के समय को उससे सम्बंधित रखें।
4. मौसम और आवकाश: मौसम और आवकाश को भी ध्यान में रखना जरूरी है। यदि आप चाराय क्षेत्र में बर्फ या ठंड जैसी परिस्थितियों के बारे में चिंतित हैं, तो अपनी बकरियों को उचित गर्मी और सुरक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक उपाय करें।
5. पशुओं की पसंद: बकरियों की पसंद और आदतों को भी ध्यान में रखना जरूरी है। कुछ बकरियां नियमित खाने के लिए अधिक उत्सुक हो सकती हैं, जबकि दूसरी अपने आप को अपेक्षित समय पर चाराय की नापसंद हो सकती है।
यहां पर बताई गई कुछ बातें बकरियों को किस समय चारा देना चाहिए इसके लिए मददगार साबित हो सकती है हालांकि आपको अपने विशेष परिस्थितियों, स्थानीय मार्गदर्शन के आधार पर और पशुपालन अधिकारियों और पशुचिकित्सकों की सलाह भी लेना जरूरी होता है।
बकरी गर्भवती होने पर क्या खिलाये?
जब बकरी गर्भवती होती है, उसे उत्पन्न करने वाले बच्चे की संख्या और विकास के लिए उचित पोषण प्रदान करना महत्वपूर्ण है। नीचे कुछ खाद्य पदार्थों की सूची है जो आप गर्भवती बकरी को खिला सकते हैं:
1. अच्छी गुणवत्ता का चारा: एक गर्भवती बकरी को पोषणपूर्ण चारा प्रदान करें। विशेष रूप से उचित प्रोटीन, फाइबर, और पोषण सप्लीमेंट्स का उपयोग करें। यह उसके विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
2. पौष्टिक बहुतायता वाले दाने: बकरी को बादाम, मूंगफली, मेथी बीज, लड्डू, और अन्य पौष्टिक बहुतायता वाले दाने खिलाएं। इनमें विटामिन, प्रोटीन, और मिनरल्स होते हैं जो बकरी और उसके बच्चों के लिए फायदेमंद होते हैं।
3. खरपतवार या घास: खरपतवार और घास को उचित मात्रा में प्रदान करें। यह बकरी के लिए पोषणपूर्ण होते हैं और पाचन को सुधारते हैं।
4. पोषण गोंद: गर्भवती बकरी को उचित पोषण गोंद दें जो विटामिन, खनिज, और अन्य पोषक तत्वों का उचित संयोजन प्रदान करता है। इसे वेटरिनरीयन से प्राप्त करें और उसके अनुसार उपयोग करें।
5. पानी: बकरी को हमेशा पर्याप्त पानी प्रदान करें, विशेष रूप से गर्मियों में। गर्भवती बकरी को अधिक प्यास हो सकती है, इसलिए पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करें।
यदि आपके पास विशेष पशुचिकित्सा या पशुपालन अधिकारी है, तो उनसे सलाह लें ताकि आप गर्भवती बकरी के लिए सटीक और उपयुक्त पोषण योजना तैयार कर सकें। यह आपकी बकरी और उसके बच्चों के स्वास्थ्य और विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा।
बकरी के बच्चे होने पर क्या खिलाये?
जब बकरी के बच्चे उत्पन्न होते हैं, उनके लिए उचित पोषण प्रदान करना महत्वपूर्ण है ताकि वे स्वस्थ और मजबूत हो सकें। नीचे कुछ खाद्य पदार्थों की सूची है जिन्हें आप नवजात बकरियों को खिला सकते हैं:
- मात्रिका दूध: नवजात बकरियों के लिए मात्रिका दूध सबसे महत्वपूर्ण पोषण है। यह उनकी ग्रोथ, प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास और पोषक तत्वों की आपूर्ति में मदद करता है।
- अन्य पशुदूध: यदि माताओं के पास पर्याप्त दूध नहीं है, तो आप अन्य पशुदूध (जैसे कि गाय, भैंस, या ऊंट) का उपयोग कर सकते हैं। ध्यान दें कि यह उचित प्रकार का और साफ़ दूध होना चाहिए।
- पौष्टिक बहुतायता वाले दाने: नवजात बकरियों को पौष्टिक बहुतायता वाले दाने खिलाएं, जैसे कि बादाम, मेथी बीज, मूंगफली, और लड्डू। यह उनके विकास और ग्रोथ के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- चारा: नवजात बकरियों को उपयुक्त चारा प्रदान करें। ध्यान दें कि चारा उचित पोषण और प्रोटीन की सम्पूर्णता का स्रोत होना चाहिए।
- पानी: नवजात बकरियों को नियमित रूप से पर्याप्त पानी प्रदान करें। उन्हें स्वच्छ और पानी उपलब्धता वाले पेय-पानी की जरूरत होती है।
यदि आपके पास विशेष पशुचिकित्सा या पशुपालन अधिकारी है, तो उनसे नवजात बकरियों के लिए उचित पोषण योजना के बारे में सलाह लें। वे आपको सही और उपयुक्त पोषण की जानकारी देंगे जो उनके स्वास्थ्य और विकास के लिए आवश्यक होगी।
भाग 9: बकरी पालन करते समय किन बातो का ध्यान रखे?
अगर आप बकरी पालन व्यवसाय करना चाहते हैं तो ऐसे में आपको बकरी पालन करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है क्योंकि गाय भैंस को तो हम अपने घरों में भी पाल सकते हैं लेकिन बकरी पाल के समय हमें एक सही और सटीक जानकारी का होना आवश्यक है।
यहां पर मैंने बकरी को मौसम के हिसाब से, रात के समय में, बकरी पालन करते समय किस तरीके से ध्यान रखना है इन सभी के बारे में जानकारी दी है जिसे आप नीचे दिए गए पॉइंट्स में पढ़ सकते हैं
बकरी पालन करते समय किन बातो का ध्यान रखे
बकरी पालन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है:
1. चारा और पोषण: बकरी को उचित चारा और पोषण प्रदान करें। सुनिश्चित करें कि उनका आहार पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और ऊर्जा सहित संपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर है।
2. पानी की उपलब्धता: बकरी को स्वच्छ पानी की पर्याप्त मात्रा में प्रदान करें। यह उनके प्यास को बुझाने के साथ-साथ पाचन और सामान्य स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
3. शेड या आवास: एक उचित और सुरक्षित शेड या आवास का निर्माण करें जो बकरी को धूप, बारिश, ठंड और गर्मी से सुरक्षा प्रदान कर सके। यह उनकी आरामदायक जगह होनी चाहिए जहां वे अच्छी तरह से आराम कर सकें।
4. स्वच्छता और संगठन: बकरी पालन क्षेत्र को स्वच्छ और संगठित रखें। नियमित रूप से शेड को साफ़ करें, बकरियों के लिए स्वच्छ बिस्तर प्रदान करें और अपशिष्टों का निपटान सुनिश्चित करें। यह संक्रमणों के खतरे को कम करेगा और उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखेगा।
5. वैक्सीनेशन और चिकित्सा: नियमित रूप से अपनी बकरियों की वैक्सीनेशन और चिकित्सा की जांच कराएं। यह संक्रमणों और बीमारियों के खिलाफ उनकी सुरक्षा में मदद करेगा।
6. रखरखाव: बकरी की सुरक्षा और देखभाल के लिए नियमित रूप से उनकी जांच करें। उनकी उम्र, वजन, आहार, और आम दिनचर्या को मापें और उनकी स्वस्थ्य स्थिति पर नजर रखें। यदि कोई लक्षण या समस्या होती है, तो तुरंत कार्यवाही करें और पशुचिकित्सक से सलाह लें।
इन सभी बातों का ध्यान रखना आपकी बकरी के स्वास्थ्य, सुरक्षा और विकास में मदद करेगा। यदि आपके पास विशेष पशुचिकित्सा या पशुपालन अधिकारी है, तो उनसे नियमित रूप से सलाह लें और उनकी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
बकरियों का मोसम के हिसाब से कैसे ध्यान रखें?
बकरी पालन (Bakari Palan) के लिए शुष्क और पहाड़ी क्षेत्र की आवश्यकता पड़ती है। अधिक बारिश वाले स्थानों पर बकरी पालन करने में असुविधा होती है। अधिक गर्मी वाले इलाके में भी बकरी पालन से बचना चाहिए।
बकरियों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए मौसम के हिसाब से ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। यहां कुछ मौसम के प्रभावों का ध्यान रखने वाले सुझाव हैं:
1. ठंडी: ठंडी के मौसम में, बकरियों को उचित सुरक्षा और गर्मी के लिए उपयोगी रखें। उन्हें गर्म सालों में थर्मल कोट, शेड, या अन्य गर्मी से संरक्षण प्रदान करने की सुविधा अवश्य दें।
2. गर्मी: गर्मी के मौसम में, बकरियों को समय-समय पर पानी पिलाते रहिए और उन्हें किसी छाया वाले इलाके में रहने देना चाहिए। इसके अलावा पानी की उपलब्धता की जांच करें और उन्हें पर्याप्त पानी प्रदान करें।
3. बारिश: बारिश के मौसम में, बकरियों को सुरक्षित स्थान प्रदान करना बेहद जरूरी है ताकि वे बारिश से बच सके। यदि आवश्यक हो, तो उन्हें चाराय के लिए सुरक्षित और सुखाने की सही जगह का चुनाव करना भी बेहद जरूरी होता है।
4. मानसून: मानसून के मौसम में, बकरियों को उचित गर्मी सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दें। उन्हें सुरक्षित शीट और गर्मी से संरक्षण प्रदान करें ताकि वे ठंड से बच सकें।
अपने बकरियों के लिए सुरक्षित और आरामदायक माहौल सुनिश्चित करने के लिए उपरोक्त सुझावों का पालन करें। यह उनकी स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।
रात के समय बकरियों का ध्यान कैसे रखें?
रात के समय बकरियों के लिए ध्यान रखना महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें सुरक्षित और आरामदायक माहौल मिल सके। यहां कुछ सुझाव हैं जिन्हें आप ध्यान में रख सकते हैं:
- सुरक्षा की व्यवस्था: रात के समय बकरियों की सुरक्षा की व्यवस्था करना बेहद जरूरी है रात के समय एक सुरक्षित और अच्छी बाड़, रेग्रेज़, या अन्य सुरक्षा प्रतिरोधक उपकरण को सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है ताकि उन्हें उन्हें खतरनाक जानवरों या चोरों से सुरक्षा मिल सके।
- शेड की सुविधा: रात के लिए उपयुक्त शेड की व्यवस्था अवश्य करें ताकि बकरियों को ठंड से बचाया जा सके। शेड को ठंड से सुरक्षित रखें और वेंटिलेशन की सुविधा प्रदान करें ताकि उन्हें स्वच्छ और उचित हवा मिल सके।
- बाड़ी जाँच: रात के समय बाड़ की जाँच करें ताकि कोई खुले या खुले छोड़े स्थान न रहें जिससे बकरियां भाग सकती हैं। बाड़ी को सतह पर सुधारें और तोड़े हुए या बिगड़े हुए हिस्सों को ठीक करें।
- प्रकाश की सुविधा: बकरियों के शेड में प्रकाश की सुविधा का ध्यान रखें। रात के समय भी उन्हें प्रकाश के साथ आराम करने की आवश्यकता होती है।
- वॉटर और चारा की उपलब्धता: रात के समय भी पशुओं को पानी और चारा की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी होता है। वॉटर ट्रफ को चेक करें और उन्हें पर्याप्त पानी प्रदान करें। चाराय की खाद्य सामग्री को सुरक्षित रखें और सुनिश्चित करें कि उन्हें रात के लिए पर्याप्त मात्रा में दिया जाता है।
- नियमित चेकअप: नियमित रूप से अपनी बकरियों को चेकअप करें और उनकी स्वास्थ्य स्थिति का ध्यान रखें। किसी ऐसे लक्षण या चिकित्सा समस्या के बारे में वेटरिनरीयन से सलाह लें जो रात के समय में उठ सकती हैं।
रात के समय बकरियों के लिए उपरोक्त सुझावों का पालन करके आप उन्हें सुरक्षित रख सकते हैं और उनकी सुख-शांति की गारंटी कर सकते हैं।
गर्भवती बकरी की देख-रेख कैसे करें?
गर्भवती बकरियों को गर्भावस्था के अंतिम डेढ़ महीने में अधिक सुपाच्य और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। गर्भवती बकरी के पेट में पल रहे भ्रूण का विकास काफी तेजी से होने लगता है। इस समय गर्भवती बकरी को पोषण और रख-रखाव पर ध्यान देने से स्वस्थ बच्चा पैदा होगा और बकरी अधिक मात्रा में दूध देगी जिससे इनके बच्चों में शारीरिक विकास अच्छा होगा।
बच्चे की देख रेख कैसे रखे?
नवजात बकरी की देखभाल और देखरेख करना महत्वपूर्ण होता है ताकि उनकी स्वास्थ्य और विकास में सुधार हो सके। यहां कुछ महत्वपूर्ण टिप्स हैं जिन्हें आप अपने बकरी के बच्चे की देखभाल के दौरान ध्यान में रख सकते हैं:
दूध की पूर्ति: सुनिश्चित करें कि नवजात बकरी पूरी तरह से मातृका दूध प्राप्त कर रही है। यह उनके उचित पोषण, प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास और ग्रोथ के लिए महत्वपूर्ण है। यदि माताओं के पास पर्याप्त दूध नहीं है, तो आप पशुदूध या नवजात बकरी के लिए उपयुक्त दूध संपल्क कर सकते हैं।
स्वास्थ्य देखभाल: नवजात बकरी को नियमित रूप से विशेष देखभाल और मेडिकल जांच प्रदान करें। इसमें उनके वजन, पाचन समस्याएं, लक्षणों की जांच, और वैक्सिनेशन की जरूरतों का आकलन शामिल होता है।
गर्मियों की सुरक्षा: गर्मियों में, नवजात बकरी को ठंड से बचाने के लिए उचित सुरक्षा प्रदान करें। शेड को उचित गर्मी से संरक्षित रखें और उन्हें पर्याप्त पानी प्रदान करें।
चारा की पूर्ति: नवजात बकरी को उचित चारा प्रदान करें। ध्यान दें कि चारा पोषणपूर्ण होना चाहिए और उनके उम्र के अनुसार आकार के हिसाब से चारा मद्रों की मात्रा बदलती रहेगी।
साफ-सुथरा माहौल: नवजात बकरी के लिए स्वच्छ और सुथरा माहौल सुनिश्चित करें। शेड को साफ़ रखें, उनके बिस्तर को नियमित रूप से सफाई करें और किसी भी आपदा को रोकने के लिए उचित सुरक्षा प्रतिबंधक उपकरणों का उपयोग करें।
समय पर वैक्सीनेशन: नवजात बकरी को समय पर वैक्सीनेशन प्रदान करें। इसके लिए एक पशुचिकित्सक की सलाह लें और वैक्सीनेशन चार्ट का पालन करें।
सामान्य ध्यान दें: नवजात बकरी के साथ नियमित रूप से समय बिताएं, उनसे संपर्क बनाए रखें और उनके विकास के लिए उन्हें उत्साहित करें।
अपने बकरी के बच्चे की देखभाल के दौरान यदि आपको किसी चिंता की बात होती है या आप किसी चिंता की बात होती है या आपको किसी विशेष समस्या का सामना करना पड़ता है, तो सर्वोत्तम विकल्प एक पशुचिकित्सक या पशुपालन अधिकारी से सलाह लेना होगा। वे आपको उचित दिशा-निर्देश देंगे और आपकी समस्या का समाधान करने में मदद करेंगे।
भाग 10: बकरियों में होने वाले रोग और उनका समाधान
अन्य पशुओं की तरह बकरियों भी बीमार पड़ती है। बीमार पड़ने पर मृत्यु भी हो सकती है। बकरियों में मृत्यु दर कमकर बकरी पालन से होने वाली आय में काफी वृद्धि की जा सकती है। अतः बीमारी की अवस्था में पशुचिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
बकरियों में होने वाले रोग
1. परजीवी रोग
बकरी में परजीवी से उत्पन्न रोग अधिक होते है। परजीवी रोग से काफी हानि पहुंचती है। बकरी को आन्तरिक परजीवी से अधिकतर हानि होती है। इसमें गोल कृमि, फीता कृमि, फ्लूक, एमफिस्टोम और प्रोटोजोआ प्रमुख है।
इसके प्रकोप के कारण उत्पादन में कमी, वजन कम होना, दस्त लगना, शरीर में खून की कमी होती है। शरीर का बाल तथा चमड़ा रूखा-रूखा दिखता है।
इसके कारण पेट भी फूल सकता है तथा जबड़े के नीचे हल्का सुजन भी हो सकता है। इसे आक्रमण से बचाव तथा उपचार के लिए नियमित रूप से बकरी के मल का जांच कराकर कृमि नासक दवा (नीलवर्म, पानाकिओर, एलवेन्डाजोल, वेनमीन्थ, डिस्टोडीन आदि) देनी चाहिए।
कृमिनाशक दवा तीन माह के अन्तराल खासकर वर्षा शुरू होने के पहले और बरसात के बाद आवश्य दें।
2. सर्दी जुकाम (न्यूमोनिया)
यह रोग कीटाणु, सर्दी लगने या प्रतिकूल वातावरण के कारण हो सकता है। इस रोग से पीड़ित बकरी को बुखार रहता है। सांस लेने में तकलीफ होती है और नाक से पानी निकलता रहता है। कभी-कभी न्यूमोनिया के साथ दस्त भी होता है। सर्दी-जुकाम की बिमारी बच्चे में ज्यादा होती है। इससे अधिक बच्चे मरते हैं।
इस रोग से ग्रसित बकरी या बच्चों को ठंड से बचाव करें। पशुचिकित्सक की सलाह पर उचित एंटीबायोटिक दवा दें। इससे न्यूमोनिया ठीक हो जाता है।
3. पतला दस्त (छेरा रोग)
यह खासकर पेट की कृमि या अधिक हरा चारा खाने से हो सकता है। यह कीटाणु (बैक्टेरिया) के कारण भी होता है। इससे पतला दस्त होता है। खून मिला हुआ दस्त हो सकता है।
सर्वप्रथम उचित दस्त निरोधक दवा ( मेट्रान, केओलिन, आरीप्रीम, नेवलोन आदि) का प्रयोग कर दस्त को रोकना जरूरी है। दस्त वाले पशु को पानी में ग्लूकोज तथा नमक मिलाकर अवश्य पिलाते रहना चाहिए।
पतला दस्त ठीक होने के बाद मल की जांच कराकर उचित कृमिनाशक दवा दें।
4. खुरपका और मुंहपका
यह संक्रामक रोग है। इस रोग में जीभ, ओंठ, तालु और खुर में फफोले पड़ जाते हैं। बकरी को तेज बुखार हो सकता है। मुंह से लार गिरता है तथा बकरी लंगड़ाकर चलती है।
सावधानियां
- बीमार बकरी को अलग रखें।
- मुंह तथा खुर को लाल पोटास (पोटाशियम परमेंगनेट) के घोल से साफ करें।
- मुंह पर सुहागा और गंधक के मिश्रण का लेप लगा सकते है।
- आवश्यकता पड़ने पर एण्टीवायोटिक दवा का भी उपयोग कर सकते है।
- इस रोग से बचाव के लिए मई-जून माह में एफएमडी का टीका लगवा लें।
5. आंत ज्वर (इन्टेरोटोक्सिमिया)
इस बीमारी में खाने की रूचि कम हो जाती है। पेट में दर्द होता है, दांत पीसना भी सम्भव है, पतला दस्त तथा दस्त के साथ खून आ सकता है।
दस्त होने पर नमक तथा चीनी मिला हुआ पानी देते रहें। इस बीमारी से बचाव के लिए इन्टेरोटोक्सिमिया का टीका बरसात शुरू होने के पहले लगवा लें।
6. पीपीआर
यह बकरियों में विषाणुओं से फैलने वाला रोग है। इससे काफी संख्या में बकरियां ग्रसित हो सकती हैं। छेरा के साथ-साथ न्यूमोनिया के लक्षण दिखाई देना, ग्रसित बकरियोें का धूप में खड़ा रहना तत्काल चिकित्सा नहीं होने पर ग्रसित बकरियों और बच्चों में मृत्यु हो जाना इसके लक्षण है। इस प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ने पर तत्काल पशुचिकित्सक की सलाह से इलाज़ कराएं।
पीपीआर रोग से बचाव हेतु इसका टीकाकरण अवश्य कराएं। सरकारी अस्पताल में यह टीका बहुत ही कम दाम में उपलब्ध होता है।
7. पेट फूलना
इस बीमारी में भूख कम लगती है, पेट फूल जाता है, पेट को बजाने पर ढोल के जैसा आवाज निकलता है।
इस बीमारी में टिमपाॅल पाउडर 15-20 ग्राम पानी में सानकर 3-3 घंटों पर दें। ब्लोटोसील दवा पिलाएं और एविल की गोली खिलाएं आप हींग मिलाकर तीसी का तेल भी पिला सकते हैं।
8. थनैला रोग
बकरी के थन में सूजन, दूध में खराबी तथा कभी-कभी बुखार आ जाना इस रोग के लक्षण है। दूध निकालने के बाद थन में पशुचिकित्सक की सलाह से दवा देनी चाहिए। थनैल वाले छीमी को छूने के बाद अच्छी तरह साबुन और डिटॉल से साफ कर लेना चाहिए।
बकरी के बचे को कब कोन सी दवाई दे
बकरी के बच्चे को दवाई देने से पहले सर्वोत्तम विकल्प है कि आप एक पशुचिकित्सक या पशुपालन अधिकारी से सलाह लें। वे आपको बेहतर जानकारी और निर्देशन देंगे जो आपके बकरी के बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति, विकास और किसी विशेष समस्या के आधार पर उचित होगा।
पशुचिकित्सक या पशुपालन अधिकारी आपको बकरी के बच्चे के लिए उपयुक्त दवाइयों की सूची और उनके देने की विधि बता सकते हैं। इस तरह की जानकारी क्षेत्रीय पशुपालन संगठन, पशुचिकित्सा विशेषज्ञों, या पशुपालन समुदाय के संघों से प्राप्त की जा सकती है।
यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि आप बकरी के बच्चे की उम्र, स्वास्थ्य समस्या, आपके क्षेत्र के पशुपालन नियमों और उचित दवाओं के लिए स्थानीय पशुचिकित्सक से सलाह लें। वे आपको दवाओं के नाम, मात्रा, उपयोग की विधि और उचित समय समय पर देने के बारे में सलाह देंगे।
सभी दवाइयों को सुरक्षित ढंग से स्टोर करें और बच्चे की देखभाल के दौरान उन्हें सटीक रूप से दें, उचित मात्रा का पालन करें और अगर कोई अनुचित प्रतिक्रिया होती है तो तुरंत पशुचिकित्सक से संपर्क करें।
भाग 11: बकरियों की प्रजनन के लिए आवश्यक जानकारी
बकरियों के बच्चे करीब 8-10 माह की उम्र में व्यस्क हो जाते हैं। अगर शारीरिक वजन ठीक हो तो मादा मेमना (पाठी) को 8-10 माह की उम्र में गर्भधारण कराना चाहिए।
बकरियां सालभर गर्म होती है लेकिन अधिकांश बकरियां मध्य सितम्बर से मध्य अक्टूबर तथा मध्य, मई से मध्य जून के बीच गर्म होती है।
ऋतुकाल शुरू होने के 10-12 तथा 24-26 घंटों के बीच 2 बार पाल (सिमेन) दिलाने से गर्भ ठहरने की संभावना 90 प्रतिशत से अधिक रहती है।
इसे आप इस प्रकार समझ सकते हैं कि अगर बकरी सुबह में गर्म हुई हो तब उसे उसी दिन शाम और दूसरे दिन सुबह में गर्भ धारण कराएं। अगर ये शाम को गर्म हुई हो तो दूसरे दिन सुबह तथा शाम को गर्भधारण कराएं।
बकरी पालकों का बकरी ऋतुकाल (गर्म होने) के लक्षण के विषय में जानकारी रखना चाहिए।
बकरियों के गर्म होने के लक्षण
बकरी के गर्म होने के कई सारे लक्षण हो सकते हैं यहां पर मैंने कुछ लक्षणों के बारे में जानकारी दी है जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं।
- विशेष प्रकार की आवाज निकालना।
- लगातार पूंछ हिलाना।
- चरने के समय इधर-उधर भागना।
- नर के नजदीक जाकर पूंछ हिलाना तथा विशेष प्रकार की आवाज निकालना।
- घबराई हुई सी रहना।
- दूध उत्पादन में कमी।
- भगोष्ठ में सूजन और योनि द्वार का लाल होना।
- योनि से साफ पतला लेसेदार द्रव्य निकलना तथा।
- नर का मादा के ऊपर चढ़ना या मादा का नर के उपर चढ़ना।
इन लक्षणों को जानने पर ही समय से गर्म बकरी को पाल(सिमेन) दिलाया जा सकता है। बच्चा पैदा करने के 30-32 दिनों के बाद ही गर्म होने पर बकरी को पाल दिलाएं। सामान्यतः 20-25 बकरियों के लिए एक बकरा काफी है।
यहां पर दी गई जानकारी से आपको बहुत ज्यादा मदद मिली होगी यदि आपको फिर भी किसी भी तरह की कोई समस्या आती है तो नीचे कमेंट कर सकते हैं हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे कांटेक्ट करके इसके बारे में जानकारी दे देगी।
भाग 12: कितनी बकरियों के लिए कितनी जमीन की आवश्यकता पड़ेगी?
बकरी पालन करने के लिए आपको यह जानना भी आवश्यक है कि एक बकरी को रखने के लिए कितनी जमीन की आवश्यकता होती है या फिर अगर आप 10 बकरी पालते हैं तो ऐसे में कितनी जमीन की आवश्यकता होगी, 20 बकरियों के लिए कितनी जमीन की आवश्यकता होगी, 100 बकरियों के लिए कितनी जमीन की आवश्यकता होगी। इसके बारे में भी जानना बेहद आवश्यक है। नीचे मैंने किसी के बारे में जानकारी दी है जिसे आप नीचे दिए गए प्वाइंटों में पढ़ सकते हैं।
बकरियों के लिए आवास प्रबंधन कैसे करें
बकरी पालन (bakaripalan) के लिए बाड़े की आवश्यकता होती है। आमतौर से 10 बकरी के लिए बाड़े की चौड़ाई 15-20 फीट तथा ऊंचाई 10-15 फीट होती है। बकरी की संख्या के अनुसार इसकी लम्बाई घटाई-बढ़ाई जा सकती है।
प्रति बकरी के लिए 12 वर्गफीट स्थान को जरूरत होती है। बकरा के रहने के लिए 7 × 5 फीट जबकि गाभिन बकरी के लिए 5 × 5 फीट स्थान जरूरी है।
100 बकरियों को रखने के लिए 60 × 20 फीट का बाड़ा बनवाएं और इससे दोगुनी जगह साथ में रखें जिसमें बकरियां स्वेच्छानुसार घूम-घूमकर बाहर व भीतर रख सकें। इस खाली जगह को तार की जाली से घेर दें।
बाड़े के पास छायादार चारा वृक्ष जैसे- शीशम, करंज, कटहल,बबूल आदि पेंड़ लगा सकते हैं, जो गर्मी के दिनों में बाड़े को ठंडा रखेगा और साथ ही समय-समय पर चारे की आवश्यकता को भी पूरा करेगा।
बकरी के लिए कितनी जगह चाहिए?
बकरियों के लिए जगह (स्थान) | बकरियों की संख्या | स्थान |
---|---|---|
1 बकरी | 1 | 10 से 12 वर्ग फीट |
2 बकरी | 2 | 20 से 25 वर्ग फीट |
5 बकरी + 1 बकरा | 5 बकरी + 1 बकरा | 50 से 60 वर्ग फीट |
10 बकरी + 2 बकरे | 10 बकरी + 2 बकरे | 200 वर्ग फीट |
50 बकरी पालने के लिए कितना जगह चाहिए?
50 बकरियों के लिए 1000 वर्ग फीट जगह की आवश्यकता पड़ेगी क्योंकि एक बकरी को रखने के लिए 20 वर्ग फीट तान का चुनाव किया जाता है तो ऐसे में 50 बकरियों के लिए 1000 वर्ग फीट ठीक रहेगा।
100 बकरी पालन के लिए कितनी जमीन चाहिए?
100 बकरी पालने के लिए डेढ़ एकड़ जमीन की आवश्यकता पड़ेगी इसके लिए आप अपना खुद का हरा चारा उगाना कर सकते हैं । यदि आपके पास अपनी जमीन है तो आप व्यावसायिक बकरी पालन में अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
500 बकरियों के लिए कितनी जमीन चाहिए?
500 बकरियों को पालने के लिए 10 एकड़ जमीन की आवश्यकता पड़ेगी यदि आप न्यूनतम संख्या में बकरियों से शुरुआत कर रहे हैं यानी कि 50 बकरियों से तब आपको 1 एकड़ जमीन की आवश्यकता पड़ेगी।
बकरी पालन उन्नत कैसे करें?
बकरी पालन को उन्नत करने के लिए वर्ष में एक से दो बार बाड़े की मिट्टी बदल देनी चाहिए। 80 से 100 बकरियों के लिए बाड़ा 20 × 6 वर्ग मीटर ढका हुआ तथा 12 × 20 वर्ग मीटर खुला जालीदार क्षेत्र होना चाहिए। बकरा, बकरी तथा मेमनों को (ब्याने के एक सप्ताह बाद) अलग-अलग बाड़ों में रखना चाहिए। मेमनों को बकरी के पास दूध पिलाने के समय ही लाना चाहिए।
कम जगह में बकरी पालन कैसे करें?
कम जगह में बकरी पालन शुरू करने के लिए आप शुरुआती समय में दो बकरी और एक बकरे का उपयोग कर सकते हैं जैसे-जैसे इनकी संख्या बढ़ती जाएगी उसी हिसाब से आप जगह को बढ़ा सकते हैं ।
एक बकरी को रखने के लिए 12 वर्ग मीटर की आवश्यकता पड़ती है। इसी प्रकार से आप 80 से 100 बकरियों के लिए बाड़ा 20 × 6 वर्ग मीटर वर्ग मीटर क्षेत्रफल होना चाहिए तथा 12 × 20 वर्ग मीटर खुला जालीदार क्षेत्रफल मेमनों को रखने के लिए होना चाहिए।
FAQs: बकरी पालन
-
बकरी पालन के लिए कितने बकरी प्रकार होते हैं?
बकरी प्रजातियों में कई प्रकार होती हैं, जैसे कि जमुनपारी, सूरती, बोर गोतामर, बोरले, बगरा, तेलगु, शेखावती, बखरवाल, जैसी नस्लें प्रसिद्ध हैं। प्रत्येक प्रजाति अपनी विशेषताओं और उपयोगिता में अलग होती है।
-
बकरी की सबसे अच्छी नस्ल कौन सी होती है?
बकरी की सबसे अच्छी नस्ल चुनने के लिए आपके पशुपालन के उद्देश्य, क्षेत्रीय पर्याप्तता, मार्केट की मांग और मात्रा, और आपके संसाधनों को मध्यस्थ करना महत्वपूर्ण है। जिन नस्लों में अच्छी प्रदर्शन की क्षमता, वजन, दूध उत्पादन या मांस की गुणवत्ता शामिल होती है, वे नस्लें आपके उद्देश्यों के अनुसार सबसे अच्छी मानी जा सकती हैं।
-
बकरी पालन में रात्रि को कैसे ध्यान रखें?
रात्रि में बकरी पालन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
1. सुनिश्चित करें कि बकरियों का शेड सुरक्षित है और उन्हें ठंड और हवा से बचाएं।
ध्यान दें कि उनकी पानी की उपलब्धता पूरी होती है और नल का प्रयोग करके सुनिश्चित करें कि वे पी सकती हैं।
2. रात्रि में बकरियों को पर्याप्त चारा दें ताकि वे पूरी तरह से पोषित रहें।
3. अगर आपके इलाके में जानवरों के लिए संक्रमण या खतरनाक जानवरों का आवागमन होता है, तो सुनिश्चित करें कि उन्हें सुरक्षा के लिए आवास में बंद रखा जाता है। -
बकरी के बच्चे को कब कौन सी दवाई दें?
बकरी के बच्चे को दवाई देने के लिए सर्वोत्तम विकल्प है कि आप एक पशुचिकित्सक या पशुपालन अधिकारी से सलाह लें। वे आपको बेहतर जानकारी और निर्देशन देंगे जो आपके बकरी के बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति, विकास और किसी विशेष समस्या के आधार पर उचित होगा।
-
बकरी पालन के दौरान कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखें?
बकरी पालन के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
चारा और पोषण की पूर्ति पर ध्यान दें।
पानी की उपलब्धता और प्यास के संकल्प पर नजर रखें।
बकरी के लिए सुरक्षित और आरामदायक आवास प्रदान करें।
स्वच्छता और संगठन को सुनिश्चित करें।
वैक्सीनेशन और चिकित्सा की जांच कराएं।
नियमित रूप से पशु की जांच करें और उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर ध्यान दें।
सामान्य व्यवहार, संग्रहण करने का समय, और उचित संबंध के बारे में संपर्क बनाए रखें। -
10 बकरी पालने में कितना खर्चा आता है?
10 बकरियों को पालने में ₹60000 तक का खर्चा आ सकता है वही एक बकरी को पालने में लगभग ₹6000 खर्चा आता है।
-
20 बकरियों पर कितना लोन मिल सकता है?
20 बकरियों पर ₹50000 तक का लोन आसानी से मिल सकता है। अगर आप स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से बकरी पालन के लिए लोन लेना चाहते हैं तो ऐसे में आपको अधिकतम लोन ₹400000 तक मिल सकता है।
-
सबसे ज्यादा बच्चे देने वाली बकरी कौन सी है?
सबसे ज्यादा बच्चे देने वाली बकरी के नाम में जमुनापारी, बरबरी, ब्लैक बंगाल, और सिरोही बकरी शामिल है।
-
बकरा कितने दिन में तैयार हो जाता है?
बकरा 6 से 8 महीने में तैयार हो जाता है
-
गांव में बकरी पालन कैसे करें?
गांव में बकरी पालन करने के लिए आप दो बकरी और बकरे को अपने खेतों में चढ़ाकर आसानी से कर सकते हैं बकरी पालन करने के लिए अधिकतम जगह की आवश्यकता भी नहीं पड़ती और यह कम जगह में ही शुरू किया जा सकता है।
-
बकरियां कितनी जल्दी बढ़ती हैं?
उम्र के पहले तीन महीनों में, NY झुंड में अधिकांश स्वस्थ बकरी के बच्चे प्रति दिन 1/3 पौंड से 1/2 पौंड तक बढ़ते हैं। छोटी नस्ल के बच्चे बड़ी नस्ल के बच्चों की तुलना में अधिक धीरे-धीरे बढ़ते हैं। तीन बच्चों के बच्चे एकल बच्चों की तुलना में अधिक धीरे-धीरे बढ़ते हैं।
-
सबसे महंगी नस्ल की बकरी कौन सी है?
मालवा नस्ल का बकरा अपने झक सफेद रंग और बाजार में अन्य बकरों की तुलना में ज्यादा स्वस्थ होने के कारण 5 से 1000000 रुपए की कीमत में बिकता है।
-
शुरुआत करने वाले को कितनी बकरियों से शुरुआत करनी चाहिए?
शुरुआत करने के लिए आप तो बकरी और एक बकरे के माध्यम से शुरू कर सकते हैं अगर आप एक बकरी का झुंड बनाने के बारे में सोच रहे हैं तो ऐसे में आप 10 बकरी और एक बकरे से भी शुरुआत कर सकते हैं
-
भारत में बकरी पालन के लिए सरकारी सब्सिडी कितनी है?
नाबार्ड योजना से, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और गरीबी रेखा से नीचे के व्यक्तियों को बकरी पालन ऋण पर 33% तक की सब्सिडी मिल सकती है। ओबीसी और सामान्य वर्ग के लोग 2.5 लाख रुपये तक के लोन पर 25% तक की सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं।
-
पशुपालन के लिए कौन सी बैंक लोन देती है?
पशु पालन के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पंजाब नेशनल बैंक एक्सिस बैंक यूनियन बैंक एचडीएफसी बैंक आई सी आई सी आई सी आई बैंक इत्यादि अन्य के माध्यम से बिजनेस लोन प्राप्त कर सकते इसके अलावा आप मुद्रा लोन लेकर भी इस बिजनेस को शुरू कर सकते हैं जहां पर आप आसानी से ₹50000 तक का लोन मिल जाता है।
-
पशुपालन लोन का फॉर्म कहाँ मिलेगा ?
आप अपने किसी भी नजदीकी एसबीआई बैंक में जाकर पशुपालन का फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं।
-
सबसे ज्यादा पैसे में कौन सी बकरियां बिकती हैं?
सबसे ज्यादा पैसों में डेरी बकरी की नस्ल सानेन बिकती है। इस बकरी को यदि आप पालकर बेचते हैं तो यहां से आप अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं।
-
1 साल में बकरी कितने बार बच्चा देती है?
आमतौर पर बकरियां 7 से 8 महीने में बच्चे देती है। एक बार में दो से तीन बच्चे एक साथ देती है। कुछ नस्लें 1 साल में दो बार या तीन बार बच्चे देती है।
-
बकरी किस उम्र में गर्भवती हो सकती है?
बकरी 10 से 15 महीने की उम्र में गर्भवती हो सकती है 15 से 20 महीने की उम्र में वह बच्चे पैदा करने के लिए लाइफ हो जाती है। नियम के मुताबिक बकरी को तब तक संभोग नहीं कराना चाहिए जब तक वह एक साल की न हो जाए।
-
क्या बकरी पालन अच्छा व्यवसाय है?
हाँ, बकरी पालन व्यवसाय लाभदायक है , और आप इसे कम पूंजी के साथ भी शुरू कर सकते हैं। लेकिन बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले आपको इस आर्टिकल को ध्यान पूर्वक अवश्य पढ़ लेना चाहिए।
-
बकरियों को मोटा कैसे करें?
बकरियों को मोटा करने के लिए, उन्हें लगभग 3 से 6 महीने तक प्रोटीन युक्त आहार दें। अच्छे भोजन के साथ, आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जानवरों को स्वस्थ वातावरण में रखा जाए। टीकाकरण करें और उन्हें स्वस्थ रखने में मदद करने के लिए हर तीन महीने में उन्हें कृमिहरण (डीवार्मिंग) गोलियां दें।
-
बकरी 1 दिन में कितना खाना खाती है?
बकरियों को हमेशा खाने की आदत होती है। सामान्यतः बकरियां एक दिन में साढ़े तीन से लेकर चार किलो तक हरा चारा खाती है।
-
क्या 4 महीने की बकरी गर्भवती हो सकती है?
एक बकरी 4 से 12 महीने की उम्र में ही यौवन तक पहुंच सकती है और गर्भधारण के लिए तैयार हो सकती है। इसका मतलब यह नहीं है कि उसका शरीर इस प्रक्रिया के लिए तैयार है। बच्चे पैदा करने से 15 से 20 महीने की होना आवश्यक है।
-
बकरियों को किस उम्र में सींग मिलते हैं?
बकरियों के बच्चे सींग रहित पैदा होते हैं लेकिन 3 सप्ताह के बाद उनके सींग निकलने शुरू हो जाते है।
Conclusion
इस आर्टिकल में हमने बकरी पालन व्यवसाय कैसे शुरू कर सकते हैं इसके बारे में संपूर्ण जानकारी दी है इस आर्टिकल को आप bakripalan.com वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं यहां पर बकरियों से जुड़ी हुई सभी जानकारी मिल जाएगी।
इसके अलावा यहां पर आधुनिक तरीके से बकरी पालन कैसे किया जा सकता है।
इसके बारे में भी जानकारी मिलेगी यदि दोस्तों बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने में आपको किसी भी तरह की कोई भी समस्या आ रही है तो नीचे कमेंट कर सकते हैं।
हमारी टीम आप से जल्द से जल्द कांटेक्ट करेगी और आपके प्रश्न का उत्तर जल्द से जल्द देने की कोशिश करेगी।
उम्मीद करता हूं यह जानकारी आपके लिए बेहद हेल्पफुल रही होगी । आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं ताकि उन्हें यह इंपॉर्टेंट जानकारी आसानी से मिल जाए।