बकरी के मुंह में छाले का इलाज [अक्टूबर 2023]| बकरियों में खुरपका-मुंहपका रोग के उपचार

बकरी के मुंह में छाले का इलाज: आज के इस आर्टिकल में हम आपको बकरी के मुंह के छाले का इलाज, बकरियों मे खुरपका-मुंहपका रोग के उपचार और बकरी के मुंह के छालों की दवा इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले है। अगर बकरियां इस बीमारी से पीड़ित है और समय पर इलाज न हो तो उनकी मौत भी हो सकती है। बकरी पालकों की कई बकरियां बीमारी के कारण दम तोड़ देती हैं। इसलिए इस नुकसान से बचने के लिए इस पोस्ट को पूरी ध्यान से पढ़े।

बकरी के मुंह में छाले का इलाज

Bakri ke Muh me Chhale ka ilaj(1)

बकरी के मुंह पर छाले एक प्रकार के रोग के कारण होते हैं। जिसकी वजह से बकरियों के होठों और मसूड़ों पर छाले होते जाते हैं। इसके अलावा बकरी के स्तन जैसे अन्य हिस्सों पर भी छाले हो सकते हैं। यह एक तरह का छूत का रोग है इसलिए यदि आप बहुत सारी बकरियां पालते हैं तो आपको दूसरी बकरियों को अलग कर देना चाहिए। क्योंकि ऐसा न करने पर दूसरी बकरियों में भी संक्रमण फैल सकता है।

अगर चार हफ्ते तक इनका ठीक से इलाज करा लें तो यह समस्या ठीक हो जाती है। इसके लिए आप घरेलू उपाय भी कर सकते हैं और इसके लिए आप बाजार से दवाइयां भी ला सकते हैं।

हालांकि, कभी-कभी उन्हें ठीक होने में काफी समय लग जाता है। और इन छालों के कारण बकरियां ठीक से चर नहीं खा पाती हैं जिसके कारण इनका वजन भी कम हो जाता है। आपको इसके बारे में पता होना चाहिए।

आपको बता दें कि यह एक संक्रामक बीमारी है। ऐसे में अगर बकरी का छोटा बच्चा हो और बकरी के थन से दूध पीता हो तो वह भी इस रोग से ग्रसित हो सकता है। इसलिए आपको सावधान रहने की आवश्यकता हो सकती है।

Orf Virus के कारण बकरियों के मुंह में छाले हो जाते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए कोई टीका नहीं है। और आपको बस इतना करना है कि प्रतीक्षा करें। हालांकि, आप जानवरों के लिए बनी एंटीबायोटिक क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं।

एंटीबायोटिक क्रीम लगाकर आप बकरियों के छाले दूर कर सकते हैं। जिसके बारे में हम आपको आगे बताने जा रहे हैं। यह बीमारी इतनी खतरनाक नहीं है कि इससे बकरी की मौत हो सके। इसलिए आपको इसे देखकर डरने की जरूरत नहीं है। कई बार यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। आप किसी भी मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक क्रीम लेकर आएं। इसके बाद इसे बकरी के छालों पर लगाएं। ऐसा करने से बकरी के छाले ठीक हो जाते हैं।

‌‌‌बकरी के मुंह में छाले क्यों होते हैं?

जैसा कि हमने आपको बताया कि ये छाले बरसात के मौसम में ज्यादा होते हैं। और एक प्रकार के वायरस के कारण छाले हो जाते हैं। अगर किसी बकरी को छाले हों तो डॉक्टर से सलाह लें।

बकरी के मुंह में छाले होने के लक्षण

बकरी के मुंह में छाले होने के लक्षण: इसके कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं। और इन लक्षणों को देखकर आप आसानी से पहचान सकते हैं कि बकरी के मुंह में छाले हो गए हैं।

  • बकरी के मसुडे सूजे हुये दिखाई देना
  • बकरी के होंठ का फटना
  • बकरी का वजन कम होना
  • बकरी कम खाना खाती है।

अगर बकरी के मुंह को गौर से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि बकरी के मुंह में छाले हो गए हैं। और इन छालों के कारण बकरी ठीक से खाना नहीं खा रही है तो आपको पता होना चाहिए कि बकरी के इन छालों का इलाज सही तरीके से कैसे होना चाहिए।

बकरी के मुंह के छालों का घरेलू इलाज

अगर आपको बकरी के मुंह में छाले दिखाई दे रहे हैं तो आप इसके लिए कई घरेलू ईलाज कर सकते हैं। जिससे बकरी के छाले ठीक हो जाते है। कुछ घरेलू ईलाज के बारे में जिससे बकरी को आराम मिल सकता है। आइए जानते हैं। 

Bakri ke Muh me Chhale ka gharelu ilaj(2)

हल्दी (पिसी हुई) और नारियल का तेल 

पिसी हुई हल्दी हर घर में आसानी से मिल जाएगी। पिसी हुई हल्दी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं। इसमें नारियल का तेल मिलाकर अच्छे से मिक्स कर लें। उसके बाद बकरी को जहां भी छाले हों, उसे दिन में दो बार लगाना होगा। उसके बाद धीरे-धीरे बकरी के छाले ठीक हो जाएंगे।

बोरिक एसिड और नारियल का तेल

बोरिक एसिड (Boric Acid) का नाम तो आपने सुना ही होगा, यह आमतौर पर फंगस की ग्रोथ को रोकने का काम करता है। अगर बकरी के मुंह में छाले हो गए हैं तो आप बाजार से Boric Acid खरीद लें। अगर यह आपके लोकल में उपलब्ध है तो ठीक है लेकिन अगर यह उपलब्ध नहीं है तो आप इसे ऑनलाइन Amazon या Flipkart से खरीद सकते हैं। इसके बाद इसके अंदर नारियल का तेल डालें। और इसे दिन में दो बार बकरी छालों पर लगाएं।

एलोवेरा (ग्वारपाठा)

एलोवेरा का नाम तो आपने सुना ही होगा जिसे ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है। बकरी के छाले को रोकने में भी यह बहुत फायदेमंद होता है। इसकी लुगदी बनाकर बकरी के मुंह में दिन में दो बार लगाएं। ऐसा करने से बकरी को काफी आराम मिलेगा।

बकरी के मुंह के छालों की दवा

लाल दवा- लाल दवा पशु चिकित्सक के पास आसानी से मिल जाती है। लाल दवा से बकरी के पैरों और मुंह के छाले को अच्छे से धो लें। ऐसा करने से बकरी के छालों में कीड़े नहीं पड़ेंगे और छाले ठीक हो जाएंगे। अगर आप बकरी पालन करते हैं तो आपके यहां लाल दवा बड़ी ही आसानी से मिल जाती है। आप उस दवा को अपने घर में भी रख सकते हैं। क्योंकि यह कई चीजों में काम आती है।

बकरी के मुंह के छालों में कीड़े पड़ गए हैं तो क्या करें?

इसके लिए आप पहले बकरी को डॉक्टर के पास ले जाएं और डॉक्टर बकरी के मुंह से कीड़े निकाल देगा और इसके बाद लाल दवा से छाले धो देगा। ऐसे में बकरी का इलाज घर पर नहीं करना चाहिए। नहीं तो संक्रमण बहुत तेजी से और कई जगहों पर फैल सकता है।

बकरी के छाले में कीड़ों लगने से रोकने के लिए क्या करें?

इसके लिए बकरी को समय-समय पर दवा लगाते रहें। और बकरी के छालों को धोने के लिए लाल दवा का प्रयोग करना चाहिए। इससे बकरी के छाले में कीड़े नहीं होंगे। लेकिन अगर आप ठीक से छाले की देखभाल नहीं करते हैं तो उसमें कीड़े भी लग सकते हैं जो बकरी के लिए बहुत दर्दनाक हो सकता है।

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‌‌‌क्या बकरी के छाले अपने आप ठीक हो जाते हैं?

बकरी के मुंह के छाले अपने आप ठीक हो जाये ये कोई जरूरी नहीं है। आपको ठीक होने का इंतजार नहीं करना चाहिए। अगर आपकी बकरी के मुंह में छाले हो गए हैं तो आप तुरंत इसका इलाज शुरू कर दें। क्‍योंकि अगर आप अपने आप ठीक होने की प्रक्रिया में बैठे रहेंगे तो समस्‍या और भी गंभीर हो सकती है और छालों के अंदर कीड़े भी पड़ सकते हैं तो वह अपने आप ठीक नहीं होते हैं। आपको उन पर उचित ध्यान देना होगा।

‌‌‌बकरी के मुंह में छाले का कारण: मुंहपका रोग

इस बीमारी का नाम तो आपने सुना ही होगा मुंहपका खुरपका एक प्रकार की घातक वायरस जनित बीमारी है। और यह रोग गाय, भेड़, भैंस और बकरी में फैलता है। आपको इसके बारे में अच्छी तरह पता होना चाहिए। खुरपका-मुंहपका रोग हो जाने पर पहले पशु को बुखार आता है और फिर उसके खुरों और मुंह में दाने निकल आते हैं और बाद में वे छाले का रूप धारण कर लेते हैं। ऐसे में अगर इन्हें समय पर न संभाला जाए तो यह बीमारी और भी खतरनाक हो जाती है।

अगर जल्द ही बकरी पर ध्यान नहीं दिया गया तो समस्या और भी गंभीर हो जाती है। बकरी जुगाली करना बंद कर देगी। और इसके मुंह से लार टपकने लगेगी। बकरी धीरे-धीरे कमजोर हो जाएगी। ऐसे में बकरी की उचित देखभाल करना बहुत जरूरी है। आप बकरी के मुंह को खोलकर देख सकते हैं कि उसके मुंह में छाले हो गए हैं या नहीं। अगर हुए है तो ऊपर लाल दवा के बारे में बताया है। आप उस दवा से छालों को धो सकते हैं। आपको इसके बारे में पता होना चाहिए।

बकरियों में खुरपका-मुंहपका रोग के लक्षण

प्रभावित बकरी बार-बार अपना पैर पटकती है। ऐसा इसके छालों में पड़े कीड़े के कारण होता है।

  • इसके अलावा पैरों में सूजन आ जाती है।
  • बकरी को बुखार भी हो सकता है।
  • पैरों में घाव हो सकते हैं।
  • जीभ, मसूढ़ों, होठों आदि पर छाले।
  • बकरी का खुर पैर से अलग हो जाता है।
  • गर्भवती बकरियों में गर्भपात होने की संभावना रहती है।
  • इसके अलावा प्रजनन क्षमता काफी प्रभावित होती है।

बकरियों में खुरपका-मुंहपका रोग के उपचार

इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। लेकिन अगर बकरी के घाव की ठीक से देखभाल की जाए तो उसके बाद यह रोग अपने आप ठीक हो जाता है। इसके लिए आप कुछ उपायों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

  • पीपल और नीम के पत्ते- बकरी के पैर और मुंह में घाव हो तो पीपल और नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर घाव को अच्छी तरह से धो लें। और ऐसा आपको दिन में दो बार करना है। नीम और पीपल लगभग हर जगह मिलते हैं इसलिए आप ऐसा कर सकते हैं।
  • काला फिनाइल- अगर बकरी के पैरों में छाले हो गए हों तो इसके लिए आप काले फिनाइल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। काले फिनायल से बकरी के घाव को धोया जा सकता है। इससे उसमें कीड़े नहीं पड़ेंगे और घाव भी बड़ी आसानी से भर जाएगा। काला फिनाइल आपको किसी भी मेडिकल स्टोर में बड़ी आसानी से मिल जाएगा, आप वहां से खरीद सकते हैं। काले फिनाइल का इस्तेमाल करना आपके लिए काफी फायदेमंद रहेगा। हमरी बकरी को खुरपका मुंहपका रोग होने पर हम काले फिनायल का प्रयोग करते है।
  • नीम का तेल- नीम के तेल के बारे में तो आप बखूबी जानते हैं। नीम का तेल बाजार से खरीद लें। आम तौर पर नीम का तेल घाव में मौजूद कीड़ों को मारने या उसे कीड़ों से बचाने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अगर बकरी के मुंह में छाले हो गए हैं तो आप उनके छालों पर नीम का तेल भी लगा सकते हैं। और अगर बकरी के पैरों में छाले हो गए हों तो वहां भी नीम के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। ताकि मक्खियां आदि न बैठें और बकरी के छाले ठीक हो जाएं, इसकी जानकारी आपको होनी चाहिए। यह देसी दवा है लेकिन काम करती है।
  • तारपीन का तेल- तारपीन के तेल का नाम तो आपने सुना ही होगा अगर बकरी के छाले में कीड़े पड़ गए हों तो तारपीन का तेल उसके लिए बहुत फायदेमंद होता है। आप इसे बाजार से खरीद कर छाले वाली जगह पर लगाएं। इससे कीड़े मर जाते हैं और बकरी को बहुत आराम मिलता है। आपको बता दें कि तारपीन का तेल चीड़ के पेड़ से बनाया जाता है। यह बाजार के अंदर आसानी से मिल जाता है। अगर आपको यह स्थानीय बाजार में नहीं मिलता है तो आप इसे ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
  • फिटकरी- 100 Ml पानी में 1 ग्राम फिटकरी मिलाकर दिन में तीन बार धोएं। इसके लिए आप दिन में दो बार धो सकते हैं। यह आपके लिए उत्तम रहेगा। और फिटकरी आप बाजार से आसानी से खरीद सकते हैं। जो लोग बकरियों की देखभाल करते हैं उन्हें अपने स्थान पर फिटकरी अवश्य रखनी चाहिए।
  • नरम खाना- अगर बकरी के मुंह में छाले हो जाते हैं तो वह ठीक से खाना नहीं खा पाती है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए आपको उसे नरम खाना देना चाहिए ताकि छाले में चुभन न हो और बकरी उसे आसानी से खा सके।
  • डॉक्टर की सलाह- इसके अलावा आप एक बार अपने डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं। जैसा कि आपका डॉक्टर आपको निर्देश देता है। आपको उसका पालन करना चाहिए। वह बकरी के लिए कुछ दवाएं भी लिख सकता है। ताकि समस्या का समाधान हो सके।
  • बोरो ग्लिसरीन और गेहूं का आटा- बोरो ग्लिसरीन और गेहूं का आटा मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। अगर बकरी के मुंह में छाले हो गए हों तो इसे लगाना चाहिए, इसका आप दिन में दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बहुत ही फायदेमंद चीज है। आप इसे एक बार प्रयोग करके देख सकते हैं।
  • टीकाकरण- इसके अलावा जो पशुपालक हैं, उन्हें हर 4 महीने में बकरी का टीकाकरण करवाना चाहिए। ताकि वे इस समस्या से आसानी से बच सकें। आपको इसके बारे में पता होना चाहिए।

बकरियों में खुरपका-मुंहपका रोग के उपचार

  • अगर बकरियों को खुरपका और मुंहपका रोग है, तो आप कुछ जरूरी कदम उठा सकते हैं। तो चलिए स्टेप्स को विस्तार से समझते हैं:
  • अगर बकरी में खुरपका-मुंहपका रोग के लक्षण दिखाई देते है, तो सबसे पहले आपको इसे पशु चिकित्सक के पास ले जाना होगा। और इसके बाद डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करना जरूरी है।
  • अगर किसी बकरी में यह बीमारी है, तो आप उस बकरी को दूसरी बकरियों से अलग कर दें। क्‍योंकि अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह बीमारी दूसरी बकरियों में भी फैल सकती है। और अगर आप बकरी का दूध निकाल रहे हैं तो अपने हाथ अच्छी तरह धो लें, क्योंकि यह बीमारी इंसानों को भी प्रभावित कर सकती है।
  • 2% सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) के घोल का छिड़काव उस जगह में करना चाहिए जिसके अंदर बकरी को बांधा गया है ताकि रोग दूसरे जानवर में न फैले।
  • कुछ बकरी इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित नहीं होती हैं। खासकर देशी बकरियों पर इसका असर कम होता है। उसके छाले अपने आप ठीक हो जाते हैं। ज्यादातर मामलों में
  • अगर आप दूसरी बकरियों को बीमारी से बचाना चाहते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें ताकि वह दूसरी बकरियों को तुरंत टीका लगा सके। अन्य बकरियों पर इसका प्रभाव न पड़े इसके लिए टीकाकरण के बाद इन बकरियों को 10 से 15 दिनों तक अलग रखें।
  • जिस बर्तन में पीड़ित बकरी का दूध एकत्र किया जाता है उसे सोडियम कार्बोनेट के घोल से साफ करना चाहिए। इससे संक्रमण के और फैलने की संभावना कम हो जाती है।
  • जिस बकरी को खुरपका मुंहपका रोग हो तो उस बकरी को अन्य बकरियों के साथ चरने के लिए ना भेजे, अन्यथा यह संक्रमण दूसरी बकरियों में फैल सकता है और समस्या बहुत अधिक गंभीर हो सकती है। आपको इसके बारे में अच्छी तरह पता होना चाहिए।
  • प्रभावित बकरी को पानी पीलाने के लिए नदी, तालाब आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए, अन्यथा बकरियों के अंदर संक्रमण फैलने का भय रहता है। इसलिए उसके लिए अलग से पानी की व्यवस्था की जाए।
  • इसके अलावा आपको उन इलाकों से बकरियों को नहीं खरीदना चाहिए जहां खुरपका मुंहपका रोग फैला हो, नहीं तो आपके पास मौजूद बकरियों में संक्रमण फैल सकता है।

निष्कर्ष / Conclusion

आजके आर्टिकल में हमने आपको बकरी के मुंह में छाले का इलाज के बारे में पूरी जानकारी दी है। और कई तरह के देसी उपचार के बारे मे भी बताए हैं। आप उन देसी उपायों को अजमा सकते हैं।

अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया तो हमें कमेंट करके बताएं। अगर आप इस आर्टिकल से संबंधित कोई प्रश्न पूछना चाहते है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं।

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