बकरी के गले में सूजन (गलाघोंटू रोग): लक्षण, कारण, इलाज, घरेलू उपचार

बकरी के गले में सूजन

बकरी के गले में सूजन कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि इंफेक्शन, गले के अंदर खुजली, अलर्जी आदि। इस समस्या का उपचार करने के लिए निम्नलिखित दवाओं का उपयोग किया जा सकता है:

बकरी के गले में सूजन की दवा

ये बकरियों की एक ऐसी बिमारी जिसमें गला सूज जाता है और ये सूजन कोई आम सूजन नहीं होती है अगर पशुपालक भाई समय पर ध्यान ना दे तो बकरी या भेड़ की जान तक ले लेती है, यानी ये जानलेवा सूजन होती है। क्योंकि ये धीरे धीरे बढ़ती है लेकिन जब विकराल रूप ले लेती है तो बकरी की जान चली जाती है, ये एक लिवर फ्लूक नाम का कीड़ा होता है। उस लिवर फ्लूक नाम के कीड़े की वजह से होती है। साथियों, पहले मैं आप सभी को जानकारी दे देता हूँ कि यह जो लिवर फ्लूक नाम का कीड़ा जब बकरी के शरीर में जब जाता है तो बोतल जा नामक बीमारी पैदा कर देता है।

बकरी के गले सूजन और बीमारी के लक्षण

उसके क्या क्या लक्षण होते हैं? जो लक्षण मैं आपको बता बता रहा हूँ वो है, गले में सूजन यानी जबड़े के नीचे सूजन आ जाएगी और सूजन भी ऐसी रहेंगी जिससे अगर हम दबाएंगे तो गड्ढा बन जाएगा और अगर इंजेक्शन की सहायता से चेक करेंगे तो पानी की बूंदें गिरेगी। यानी कि जबड़े के नीचे पानी इकट्ठा हो जाता है और ये पानी जो हैं कभी दिखता है।

तो कभी बीच में गायब भी हो जाता है। कई बार शाम के समय दिखता है तो कई बार सुबह के समय दिखता है और दूसरे जो लक्षण आते हैं जिनमें हमारे जो भेड़ बकरी है वो कमजोर होती जाती है। आँखों की जो समक है उसकी कम होती जाती है। इसके अलावा आंखें धीरे धीरे करके सफेद होने लग जाती है। कभी उसको दस्त होते हैं तो कभी कब्ज की शिकायत रहती है। इसके अलावा अगर वह दस्त नहीं करके गोबर भी कर रही है तो गोबर में भी जाले जाले से आएँगे। बकरी धीरे धीरे कमजोर होती जाएगी। उसकी जो चमड़ी है वो खुश्क होती जाएगी।

बकरी धीरे धीरे खाना पीना कम कर देगी और लास्ट में जब तक सूजन आ जाती है और ये सभी लक्षण आ जाते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है और बकरी की जान भी चली जाती है क्योंकि तब तक जो लिवर फ्लूक नाम का जो कीड़ा था वो कीड़ा लिवर को पूरा खराब कर चुका होता है। यानी ये कीड़ा लिवर पे इफ़ेक्ट करता है, उसकी ऐक्टिविटीज़ को उसके कार्यों को रोक देता है। जिसकी वजह से बकरी की जान चली जाती है।

बकरी के गले में सूजन की दवा और इलाज

अगर हमें इसका इलाज करना है तो इलाज का जो मुख्य बिंदु आता है, मैं हमेशा आप सभी को बोलता हूँ कि समय पर देसी इलाज अगर किया जाए तो बहुत ही अच्छा काम करता है। लेकिन दोस्तों इस बिमारी में देसी इलाज काम नहीं करेगा, क्योंकि लिवर फ्लूक जब अंदर चला जाता है तो उसे मारने के लिए तुरंत हमें एक्शन लेना पड़ता है। जब हमें पता लग गया है की ये कीड़ा अंदर चला गया है और ये कीड़ा इस दवा से ही मरेगा तो क्यों ना हम उसे समय पर दें? और उस दवा का नाम है ऑक्सीक्लोज़ानाइड (oxyclozanide) और लेवामिसोल (levamisole)

इस सस्पेन्शन को अगर समय पर दे दिया जाए और वो भी देना कितनी बार हैं? सिर्फ एक बार कितना देना है? 100 किलो की बकरी को हमें 30ml देना है यानी 50 किलो की बकरी को हम 15ml दे सकते है। भूखे पेट सुबह के समय देना है। अगर इमर्जेन्सी हो तकलीफ ज्यादा हो गई है तो आप किसी भी समय दे सकते है। कोई दिक्कत नहीं है। जबकि तकलीफ बढ़ रही है। धीरे धीरे आपको पता पहले ही चल गया है। उस अवस्था में आप बकरी को दोपहर 4:00 बजे के बाद बिल्कुल भूखा रखे। उस समय छोटी सी एक गुड़ की डली 25 ग्राम या 50 ग्राम गुड़ जो है वो आप उसे शाम को खिला दें। फिर सुबह के समय जल्दी उठकर के 5:00 या 6:00 बजे ये दवा आप बकरी को दे। वजन के हिसाब से।

ये दवा यह सिर्फ एक ही बार देना है। इसके बाद जब लिवर खराब होने की सम्भावनाएं हैं तो हमें बकरी को लिवर टॉनिक भी देना होगा। यानी ऐसा टॉनिक जो लिवर की एक्टिविटी को वापस बढ़ा सके। कई प्रकार के लिवर टॉनिक जो है वह मार्केट में मिलते है। कोई सा भी अच्छा लिवर टॉनिक आप लेके आ जाये और अपनी बकरी को 25ml सुबह 25ml श्याम। हालांकि यह दोस्त थोड़ी सी ज्यादा है लेकिन हमें देनी पड़ेगी लिवर टॉनिक भी शुरू कर देना है और ये दवा भी दे देनी है। इसमें विलंब नहीं करना है।

अब बात आती है प्रेग्नेंट भेड़ों की और बकरियों की। अगर आपकी भेड़ और बकरी अगर प्रेग्नेंट हैं तो उस अवस्था में आप सभी को पता है की प्रेगनेंसी में जो फेनबेंडाजोल (fenbendazole) आता है वो बहुत ही अच्छा डी वॉर्मर होता है। यानी की किसी भी प्रकार का नेगेटिव इफेक्ट इससे नहीं पड़ता, तो आप सभी ये जो दवा है वो भी इस्तेमाल कर सकते हैं। कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर तकलीफ ज्यादा है तो हमें ऑक्सीक्लोज़ानाइड (oxyclozanide) और लेवामिसोल (levamisole) देनी होगी। हालांकि यह प्रेगनेंसी में ज्यादा नुकसान नहीं करती है लेकिन लिवर फ्लूक जो आपकी बकरी या भेड़ को नुकसान करने वाला है। इतना नुकसान यह नहीं करेगी। यानी आप (Fenbendazole) भी दे सकते हैं तो (oxyclozanide) भी दे सकते हैं।

बकरी के गले की सूजन का चिकित्सा उपचार

एंटीबायोटिक – अगर सूजन इंफेक्शन के कारण है, तो एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। यह दवाएं आमतौर पर वेटरिनरी डॉक्टर द्वारा प्रदान की जाती हैं और आपको दवा के उपयोग की सलाह देने के लिए सलाह दी जाती है।

एंटीहिस्टामीन – अगर सूजन एलर्जी के कारण हो रही है, तो एंटीहिस्टामीन दवाएं काम कर सकती हैं। ये दवाएं बकरी के अलर्जीक प्रतिक्रिया को रोकती हैं और सूजन को कम करती हैं। लेकिन, इन दवाओं का उपयोग करने से पहले एक वेटरिनरी डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

स्टेरॉयड्स – सूजन को कम करने के लिए, स्टेरॉयड दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है। ये दवाएं बकरी के शरीर की जल्दी से वापसी को बढ़ाती हैं।

बकरियों के गले में सूजन आने पर Oxyclozanide And Levamisole यह दवा देनी चाहिए यह दवा बकरियों को सिर्फ एक बार दी जाती है 50 किलो वाली बकरी को 15 Ml देना है और भूखे पेट सुबह के समय देना है अगर बकरी को ज्यादा परेशानी हो रही है तो आप किसी भी समय दे सकते हैं।

गलाघोंटू रोग क्या है?

गलाघोंटू रोग एक पशु रोग है, जो मुख्य रूप से गाय, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर आदि पशुओं को लगता है। गलाघोंटू बहुत खतरनाक रोग है। यह रोग आमतौर पर मानसून (बारिश) के समय फैलता है। बहुत तेजी से फैलने वाला यह जीवाणु जनित रोग, छूत वाला भी होता है। यह Pasteurella multocida नामक जीवाणु (बैक्टीरिया) के कारण होता है।

बकरी में गलाघोंटू रोग के लक्षण

बकरी में गलघोटू रोग के लक्षणों में गले की सूजन एक प्रमुख लक्षण होती है, जिसके कारण बकरी के गले और गर्दन के नीचे सूजन दिखाई देती है। इस सूजन के कारण बकरी को खाने-पीने में दिक्कत आती है। और घर्र-घर्र की आवाज करती है। इसके अलावा गलघोटू रोग के कुछ लक्षण नीचे बताये गए है:

  • बकरी को अचानक से तेज बुखार (105 से 106 डिग्री तक) आना
  • गले और गर्दन के नीचे सूजन आना
  • बकरी कांपने लगती है।
  • इस रोग से बकरी सुस्त हो जाती है
  • खाना पीना छोड़ देना
  • बकरी की आंखें लाल होना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • सांस लेने पर घर्रघर्र की आवाज आती है
  • पेट में दर्द होना
  • बकरी के मुंह से लार भी गिरने लगती है।
  • आंख-नाक से पानी बहना

इसके अलावा बकरियों को खूनी दस्त की बीमारी भी हो सकती है। यदि बकरी इस रोग से अधिक संक्रमित हो जाए तो उसकी 2 से 3 दिन में मृत्यु हो सकती है। इसलिए यदि किसी बकरी में गलघोटू रोग के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और बकरी का इलाज कराएं।

बकरी में गलघोटू रोग के बचाव/रोकथाम

आपके बकरियों को हर साल बरसात के मौसम से पहले इस बीमारी से बचाव का टीका अवश्य लगवाना चाहिए। यदि रोग के लक्षण दिखाई दें तो उन्हें अन्य स्वस्थ बकरियों से अलग कर दें। बीमार बकरी से पहले स्वस्थ बकरी को चारा, दाना, पानी आदि दें।

जिस स्थान पर बकरी मर जाये उस स्थान को कीटाणुनाशक औषधियों, फिनाइल या चूने के घोल से धोना चाहिए।
बकरियों के आवास को साफ-सुथरा रखें और यदि बीमारी की आशंका हो तो सलाह के लिए तुरंत पशुचिकित्सक से संपर्क करें।

बकरी में गलाघोंटू रोग का इलाज

गलाघोंटू रोग का इलाज पशुचिकित्सक द्वारा किया जाना चाहिए। पशुचिकित्सक गलाघोंटू रोग का निदान करने के लिए परीक्षण और जांच करेंगे और फिर उपचार की सलाह देंगे।

गलाघोंटू रोग के उपचार में आमतौर पर दवाओं का उपयोग किया जाता है, जैसे, एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाएं जो बीमारी के कारण को खत्म करने में मदद करती हैं। उपचार के दौरान, पशु को विशेष पोषण और देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।

इसलिए, जब गलाघोंटू रोग की बात आती है तो इसने पशु चिकित्सा की सलाह और उपचार बेहद जरूरी है, और आपको अपने बकरी को पशु चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए ताकि सही इलाज दिया जा सके।

बकरी में गलघोटू रोग से बचाव के लिए लगवाएं टीका

दवाई का नामकितनी देनी है (Dose)
Sulphadimidine Antibiotic1 ML/10 Kg Body Weight
Biotrim-IM1 ML/30 Kg Body Weight

FAQS

  1. बकरी के गले में सूजन कितने दिन तक रहती है?

    यदि गलाघोंटू रोग जल्दी पहचाना और उपचार किया जाता है, तो गले की सूजन कुछ ही दिनों के लिए हो सकती है, और उपचार के बाद समय के साथ सूजन कम हो जाती है।

  2. बकरी के गले में गांठ क्यों हो जाती है?

    बकरी के गले में गांठ कई कारणों से हो सकती है। सबसे आम कारण गलघोटू रोग होता है, जिसमें गले की ग्रंथियां असामान्य रूप से विकसित होती हैं और इसी के कारण गले में गांठ या सूजन हो सकती है। इसके अलावा, गले में इंफेक्शन के कारण भी गांठ या सूजन हो सकती है।

  3. बकरी के गले के अंदर सूजन कैसे कम करें?

    सबसे पहले, आपको अपनी बकरी के गले में सूजन का कारण जानने के लिए पेशेवर पशु चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। पशुचिकित्सक उपचार और दवाओं की सिफारिश करेंगे जो सूजन को कम कर सकते हैं।

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