मुर्गियों की प्रमुख नस्लें (कुक्कुट नस्ल) [अक्टूबर 2023]| Chicken Breeds in Hindi

Chicken Breeds in Hindi: भारत में मांस और अंडों के लिए सदियों से मुर्गी पालन (Poultry Farm) की जा रहा है। यही कारण है कि मुर्गी पालन ग्रामीण क्षेत्रों में एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में उभरा है। खेती के साथ साथ मुर्गी पालन का व्यवसाय भी किसानों के लिए फायदेमंद है। आप कम लागत में आसानी से मुर्गी पालन का व्यवसाय कर सकते हैं।

Chicken Breeds

आज के इस आर्टिकल में हम आपको मुर्गियों की प्रमुख नस्लों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप मुर्गी की नस्लों का चयन करके आसानी से मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।

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भारत में मुर्गियों की नस्लें (Breeds of Chickens)

कुक्कुट नस्ल: मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले आपको नस्लों का चयन करना होगा, जो इस प्रकार है:

कड़कनाथ नस्ल (Kadaknath Breed)

भारत में कड़कनाथ मुर्गा मुख्य रूप से मध्य प्रदेश राज्य के झाबुआ जिले में पाई जाती हैै। जहां इसे कालीमासी के नाम से भी जाना जाता है। यह नस्ल अपने अच्छे स्वाद वाले मांस उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

कड़कनाथ मुर्गी की विशेषताएं: कड़कनाथ मुर्गे की जुबान, चोंच, मांस, अंडा बल्कि शरीर का हर भाग काला होता है। इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है, तथा वसा काफी कम होती है। इसलिए हार्ट और डायबिटीज के मरीजों के लिए यह चिकन काफी फायदेमंद होता है। यह मुर्गिया प्रतिवर्ष लगभग 80 अंडे देती है। और प्रत्येक अंडे का वजन 49 ग्राम होता है। कड़कनाथ मुर्गे का वजन लगभग 1.8 से लेकर 2 किलोग्राम तक होता है।

कड़कनाथ की कीमत (Kadaknath Chicken Price):

  • कड़कनाथ मुर्गे की कीमत 3,000 से 4,000 रुपये तक होती है।
  • कड़कनाथ मुर्गे के मांस की कीमत 700 से 1000 रुपये प्रति किलो होती है।

Note: अलग-अलग राज्यों में कीमत कम-ज्यादा हो सकती है!

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असेल नस्ल (Aseel Breed)

असेल (Aseel) नस्ल भारत के दक्षिण पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश राज्य में पायी जाती है। इन मुर्गियों का व्यवहार बहुत ही झगड़ालू स्वभाव का होता है, इसलिए इस नस्ल के मुर्गियों को ज्यादातर लड़ने के लिए पाला जाता है।

असेल मुर्गी की विशेषताएं: असील मुर्गी के पंख काले, लाल और मिश्रित रंग के होते हैं। इस नस्ल के मुर्गे-मुर्गियों की गर्दन और टांगें लंबी होती हैं तथा बाल चमकदार, चेहरा पतला होता है। असेल मुर्गों का वजन 4-5 किलोग्राम और मुर्गियों का वजन 3-4 किलोग्राम होता है। असेल मुर्गियों में अंडे देने की क्षमता बहुत कम (1 साल में 40 अंडे) होती है।

असेल की कीमत (Aseel Chicken Price):

  • मुर्गे की कीमत 2500 से 3000 रुपए तक होती है।
  • मुर्गी की कीमत 1500 से 2000 रुपए तक होती है।

Note: अलग-अलग राज्यों में कीमत कम-ज्यादा हो सकती है!

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ग्रामप्रिया नस्ल (Gramapriya Breed)

ग्रामप्रिया नस्ल का पालन ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा किया जाता है। इस नस्ल को अंडे और मांस दोनों के लिए पाला जाता है।

ग्रामप्रिया मुर्गी की विशेषताएं: ग्रामप्रिया नस्ल के अंडों का रंग भूरा होता है और इसका वजन 57 से 60 ग्राम होता है। इन मुर्गियों से अंडा और मांस दोनों मिलते हैं। इसका इस्तेमाल तंदूरी डिश बनाने में भी किया जाता है। एक वर्ष में लगभग 210 से 225 अंडे देने की क्षमता होती है। यह पिछवाड़े और बगीचे में पालने के लिए काफी उपयुक्त है। ग्रामप्रिया नस्ल का वजन 12 सप्ताह में 1.5 से 2 किलो तक हो जाता है।

ग्रामप्रिया की कीमत (Gramapriya Chicken Price):

  • ग्रामप्रिया मुर्गे के मांस की कीमत 300 से 400 रुपये प्रति किलो होती है।

स्वरनाथ नस्ल (Swarnath Breed)

स्वरनाथ मुर्गी की एक नस्ल है जिसे कर्नाटक पशु चिकित्सा और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलोर द्वारा विकसित किया गया है। इन्हें घर के पीछे आसानी से पाला जा सकता है।

स्वरनाथ मुर्गी की विशेषताएं: स्वरनाथ नस्ल 22 से 23 सप्ताह में पूरी तरह से परिपक्व हो जाते हैं और तब इनका वजन 3 से 4 किलो होता है। इनकी प्रति वर्ष अंडे देने की क्षमता 180 से 190 होती है।

कामरूप नस्ल (Kamrup Breed)

कामरूप नस्ल असम में मुर्गी प्रजनन को बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना द्वारा विकसित किया गया है। और यह एक बहुआयामी चिकन/मुर्गी की नस्ल है। यह नस्ल तीन अलग-अलग चिकन नस्लों, असम लोकल (25%), कलर्ड ब्रॉयलर (25%) और ढलम रेड (50%) की क्रॉस ब्रीड है।

कामरूप मुर्गी की विशेषताएं: कामरूप नर मुर्गे का वजन 40 सप्ताह में 1.8 – 2.2 किलोग्राम तक हो जाता है। इस नस्ल की प्रति वर्ष अंडे देने की क्षमता 118 से 130 तक होती है, जिसका वजन लगभग 52gm होता है।

चिटागोंग नस्ल (Chittagong Breed)

चिटागोंग नस्ल को सबसे ऊंची नस्ल माना जाता है। इसे मलय चिकन के नाम से भी जाना जाता है।

चिटागोंग मुर्गी की विशेषताएं: चिटागोंग नस्ल की मुर्गियां 2.5 फीट तक लंबी होती हैं और इनका वजन 4.5 से 5 किलो तक होता है। इनकी गर्दन और पैर बाकी नस्लों के मुकाबले ज्यादा लंबे होते हैं। इस नस्ल की अंडे देने की क्षमता प्रति वर्ष लगभग 70-120 अंडे होती है।

केरी श्यामा नस्ल (Kerry Syama Breed)

केरी श्यामा नस्ल ज्यादातर भारत के मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान राज्यों में पायी जाती है। यह कड़कनाथ और कैरी लाल का एक क्रास नस्ल है। इस किस्म के आंतरिक अंगों में भी गहरा रंग होता है, जिसे जनजातीय समुदाय द्वारा मानव रोगों के उपचार के लिए पसंद किया जाता है।

केरी श्यामा मुर्गी की विशेषताएं: केरी श्यामा नस्ल 24 सप्ताह में पूरी तरह से परिपक्व होती है। केरी श्यामा मुर्गे का वजन 1.5 किलोग्राम और मुर्गी का वजन 1.2 किलोग्राम होता है। यह नस्ल एक साल में लगभग 70-120 अण्डे देती है।

झारसीम नस्ल (Jharsim Breed)

झारसीम नस्ल एक दोहरी उद्देश्य वाली नस्ल है। यह नस्ल मुख्य रूप से झारखंड में पाई जाती है, और इसका नाम वहां की स्थानीय बोली से मिला है। यह थोड़े से पोषण पर जीवित रह सकती है और तेजी से ग्रोथ करती है। इस नस्ल की मुर्गियां उस क्षेत्र की आदिवासी आबादी के लिए आय का स्रोत हैं।

झारसीम नस्ल मुर्गी की विशेषताएं: झारसीम नस्ल अपना पहला अंडा 180 दिनों में देती है और प्रति वर्ष 165-170 अंडे देती है। इनके अंडों का वजन करीब 55 ग्राम होता है। जब यह नस्ल पूरी तरह से परिपक्व हो जाती है तो इनका वजन 1.5-2 किलो तक हो जाता है।

देवेंद्र नस्ल (Devendra Breed)

देवेंद्र नस्ल एक दोहरे उद्देश्य वाली नस्ल है। यह नर और रोड आइलैंड रेड के रूप में सिंथेटिक ब्रायलर की एक संकर नस्ल है।

देवेंद्र नस्ल मुर्गी की विशेषताएं: देवेंद्र नस्ल की मुर्गी के शरीरिक का वज़न 12 सप्ताहों में 1800 ग्राम हो जाता है। 160 दिनों में यह पूरी तरह से परिपक्व हो जाती है। इनकी वार्षिक अण्डा उत्पादन क्षमता 200 होती है। इसके अण्डे का वजन 54 ग्राम होता है।

मुर्गी पालन शुरू कैसे करें (murgi palan kaise kare)

  • छोटे स्तर से पोल्ट्री फार्मिंग शुरू करें और धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं।
  • आवास, उपकरण, भोजन की व्यवस्था पहले से कर लें।
  • पोल्ट्री फार्म को ऊँचे स्थान पर बनायें, ताकि नमी वहाँ न पहुँचे।
  • चूजों को ब्रूडर से पंख निकलने तक गर्म रखा जा सकता है।
  • पोल्ट्री फार्म में बिजली और साफ पानी की व्यवस्था करें।
  • आवास को आरामदायक और हवादार बनाएं।
  • मुर्गियों को समय-समय पर टीका लगवाएं।
  • मुर्गियों को संतुलित आहार दें।
  • हर दो महीने में कृमिनाशक दवा दें।
  • मुर्गियों की बिक्री के लिए पहले से ही बाजार पर शोध कर लें।
  • सरकारी योजनाओं और सुविधाओं के बारे में पशुपालन विभाग से संपर्क करें।
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मुर्गियों के लिए आवास की व्यवस्था (Housing arrangement)

पोल्ट्री फार्म में तीन प्रकार के आवास का उपयोग किया जा सकता है।

  1. ब्रूडर्स – चूजों को जन्म से लेकर 8 हफ्ते तक रखते हैं।
  2. पालन गृह – उत्पादकों को 8 से 18 सप्ताह तक रखते है।
  3. लेयर हाउस- अंडे देने वाली मुर्गियां रखी जाती हैं।
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मुर्गियों के लिए बिस्तर/बिछावन की व्यवस्था (Bed arrangement)

  • बिस्तर के रूप में सूखे, मुलायम, धूल मुक्त, नई लकड़ी का चूरा, पुआल, धान की भूसी का उपयोग करें।
  • बिछावन (thickness) की मोटाई 10 सेंटीमीटर रखें।
  • बरसात के मौसम से पहले बिछावन में 1 किलो चूना डाल दें।
  • अमोनिया जैसी गंध आने पर 15 वर्ग फुट के बिस्तर पर 500 ग्राम सुपर फास्फेट मिलाएं।
  • मुर्गियों के लिए उपयुक्त तापमान 60 से 75 फ़ारेनहाइट (60 to 75°F) तक होता है।
  • फर्श पक्का, चिकना और बाहरी जमीन से 30 सेमी. ऊँचा होना चाहिए।
  • एक मुर्गी के लिए 2 वर्ग फुट तथा भारी नस्ल की मुर्गी के लिए 3 वर्ग फुट जगह की आवश्यकता होती है।

भारत मे पायी जाने वाली अन्य नस्लें (Murgiyon ki Nasle)

नीचे कुछ अन्य मुर्गियों की नस्लें बताई गई है, जो भारत में पायी जाती है:

Sr No.मुर्गियों की अन्य नस्ले
1अंकलेश्वर
2कश्मीर फेवरोला
3कालास्थि
4कलिंगा ब्राउन
5कृष्णा-जे.
6कालाहांडी
7कोमान
8घाघस
9तेलीचेरी
10धुमसील
11डाओथीर
12धनराजा
13पंजाब ब्राउन
14गिरिराज
15कैरी गोल्ड
16ग्रामलक्ष्मी
17गुजरी
18डांकी
19निकोबारी
20फुलबनी
21बुसरा
22मिरी
23वेजागुडा
24हरींगाटा ब्लैक
25हंसली
26यमुना
27मृत्युंजय
28वंजारा

मुर्गियों की प्रमुख नस्लें – निष्कर्ष

आजके इस आर्टिकल में हम आपको मुर्गियों की प्रमुख नस्लों के बारे में डिटेल में जानकारी दी है।

आप हमें कमेंट करके बताएं कि आप किस मुर्गी की नस्ल का पालन करते हैं और वह 1 साल में कितने अंडे देती है?

अगर आप मुर्गी पालन व्यवसाय से जुड़े किसी प्रकार का प्रश्न पूछना चाहते हैं तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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