मधुमक्खी पालन कैसे करें? 2023 Madhumakhi Palan Kaise Kare

मधुमक्खी पालन (Bee Farming in Hindi): अक्सर शहद का इस्तेमाल बीमारियों के इलाज के लिए दवा के रूप में करते हैं। क्या आप जानते हैं कि मधुमक्खियों से बने इस शहद की खेती भी की जाती है और इसे आप भी कर सकते हैं।

मधुमक्खी पालन कृषि से जुड़ा व्यवसाय है। मधुमक्खी पालन (Madhumakhi Palan) में लागत कम और लाभ मुनाफा अधिक है। इस व्यवसाय को किसान और बेरोजगार युवा आसानी से कर सकते हैं।

Madhumakhi Palan Kaise Kare

आज के इस आर्टिकल में हम आपको मधुमक्खी पालन (Madhumakhi Palan) के बारे में जानकारी देने वाले हैं जैसे – मधुमक्खी पालन कैसे करें?, मधुमक्खी पालन/पालने के तरीके और मधुमक्खी पालन से कमाई कैसे करें?

सबसे पहले जानते हैं।

मधुमक्खी पालन क्या है? (What is beekeeping?)

Madhumakhi Palan Kaise Kare: शहद, मोम, गोंद, औषधि आदि के लिए मधुमक्खियों को एक साथ पालने की प्रक्रिया मधुमक्खी पालन कहलाती है। इस प्रक्रिया में मधुमक्खियों को मधुमक्खी डिब्बे के माध्यम से डिब्बे में इकट्ठा किया जाता है जहां 3,000 से 4,000 श्रमिक मधुमक्खियों को एक रानी मधुमक्खी और नर मधुमक्खियों के साथ रखा जाता है, जिसके बाद धीरे-धीरे डिब्बे के अंदर मधुमक्खियां शहद और मोम तैयार करती हैं।

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मधुमक्खी पालन के लिए किन-किन उपकरणों की आवश्यकता होती है? | Beekeeping equipment

मधुमक्खी पालन के लिए आवश्यक सामग्री: मधुमक्खी पालन के लिए कुछ उपकरणों की आवश्यकता होती है, जो उत्पादन करते समय आपके पास होने चाहिए:

  • लकड़ी का बॉक्स
  • एक मोटा और एक पतला ब्रश
  • स्टेनलेस स्टील चाकू
  • L आकार के मधुमक्खी का छत्ता
  • मुंह पर ढकने के लिए जालीदार कवर
  • हाँथ का दस्ताना
  • शहद निचोड़ने वाला यंत्र
  • शहद इकट्ठा करने के लिए ड्रम
  • रानी मधुमक्खी को अलग करने वाला यंत्र
  • धुआं करने वाले यंत्र
  • डंक निकालने वाला उपकरण
  • हाईवे टूल (खुरपी)

मधुमक्खी पालन के लिए सही समय और वातावरण का निर्धारित करना

मधुमक्खी पालन का समय: मधुमक्खी पालन (Madhumakhi Palan) के लिए जनवरी से मार्च का समय सबसे उपयुक्त होता है, लेकिन नवंबर से फरवरी इस व्यवसाय के लिए वरदान है। इस दौरान तापमान मधुमक्खियों के लिए सबसे उपयुक्त होता है और इस मौसम में रानी मधुमक्खी अधिक अंडे देती है।

मधुमक्खी पालन के लिए वातावरण: यह उद्योग फूलों की खेती से अधिक लाभदायक है। जिससे आपकी आमदनी में 20 से 80 प्रतिशत की वृद्धि होती है। सूरजमुखी, गाजर, मिर्च, सोयाबीन, चने की पोस्ता, नींबू, कीनू, आंवला, पपीता, अमरूद, आम, संतरा, मौसमी, अंगूर, यूकेलिप्टस और गुलमोहर जैसे फलों के पेड़ वाले क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन आसानी से किया जा सकता है। मधुमक्खियां सपाट होनी चाहिए और उसमें भरपूर पानी, हवा, छाया और धूप होनी चाहिए।

इसके अलावा मधुमक्खी पालन (Madhumakhi Palan) के स्थान के चारों ओर 1 से 2 किलोमीटर तक जामुन, केला, अमरूद, नारियल, नाशपाती और फूलों के पेड़ होने चाहिए।

मधुमक्खी पालन/पालने के तरीके (Beekeeping methods)

मधुमक्खी पालन के निम्नलिखित दो तरीके हैं-

  1. वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन करना
  2. परंपरागत मधुमक्खी पालन

1. वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन करना

कई देशों में मधुमक्खियों को आधुनिक तरीके से लकड़ी के बने बक्सों में रखा जाता है, जिन्हें आधुनिक मधुमक्खी का छत्ता कहा जाता है। इस तरह से मधुमक्खियों को रखने से अंडे और बच्चों वाले छत्तों को नुकसान नहीं होता है। शहद को अलग-अलग छत्ते में भरकर बिना छत्ते को काटे मशीन से निकाल लिया जाता है। इन खाली छत्तों को वापस मधुमक्खी डिब्बे (bee box) में डाल दिया जाता है, ताकि मधुमक्खियाँ उन पर बैठ कर फिर से शहद इकट्ठा करना शुरू कर दें।

2. परंपरागत मधुमक्खी पालन

मधुमक्खी पालन कैसे करें: मधुमक्खी पालन भारत में सैकड़ों वर्ष पूर्व से किया जा रहा है। पारंपरिक मधुमक्खी पालन में हम अभी भी मधुमक्खियों को मिट्टी के बर्तनों में, लकड़ी के बक्सों में, पेड़ के तने के खोखलों में या दीवार की दरारों में रखते हैं। शहद से भरे छत्तों से शहद प्राप्त करने के लिए छत्ते को या तो काटकर निचोड़ा जाता है या आग पर उबाला जाता है। फिर इस शहद को कपड़े या छन्नी से छान लें। इस विधि से गंदा और अशुद्ध शहद ही प्राप्त किया जा सकता है, जो कम दाम में बिकता है।

मधुमक्खी पालन के लिए जगह का चुनाव

मधुमक्खी पालन (Madhumakhi Palan) व्यवसाय के लिए सबसे जरूरी है जगह का चुनाव।

मधुमखी पालन के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें, जो शहर और गांव से लगभग बाहर हो और सुरक्षित हो। क्योंकि ये मधुमक्खियों से जुड़ा बिजनेस है, अगर जरा सी भी चूक हुई तो आसपास के लोगों को खतरा हो सकता है।

मधुमक्खी पालन के व्यवसाय के लिए आपको सबसे पहले किसी ठंडी जगह का चुनाव करना होगा, जहां मधुमक्खियां आसानी से आ सकें।

मधुमक्खी पालन (Madhumakhi Palan) के व्यवसाय के लिए ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए जहां तालाब, नदी, नहर जैसी नमी वाली जगह न हो, बल्कि इस व्यवसाय को करने के लिए ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए जहां पेड़ पौधे हों और चारों ओर से खुला, हवादार, छायादार और सूखा वातावरण हो।

इसके बाद मधुमक्खियां पेड़ों के नीचे अपना छत्ता बना लेती हैं तो ऐसे में अपने फार्महाउस पर पेड़ों के लिए बेहतरीन इंतजाम कर लें। इसके बाद अच्छी गुणवत्ता वाली प्रजातियों के साथ मधुमक्खी पालन शुरू करें।

मधुमक्खी की प्रजाति

भारत में मुख्यतः चार प्रकार की मधुमक्खियां पाई जाती है:

  1. छोटी मधुमक्खी (एपिस फ्लोरिय)
  2. भैंरो या पहाड़ी मधुमक्खी ( एपिस डोरसाटा)
  3. देशी मधुमक्खी (एपिस सिराना इंडिका)
  4. इटैलियन या यूरोपियन मधुमक्खी (एपिस मेलिफेरा)

मधुमक्खी पालन कैसे करें: एपिस सिराना इंडिका और एपिस मेलिफेरा प्रजाति की मधुमक्खियां इस व्यवसाय के लिए अधिक शहद उत्पादन करती है और यह प्रकृति में शांत होती हैं। इन्हें लकड़ी के बक्सों में आसानी से पाला जा सकता है। इस प्रजाति की रानी मधुमक्खी में अंडे देने की क्षमता भी अधिक होती है।

मधुमक्खियों का भोजन स्त्रोत (Diet of bee)

महीनें के नामभोजन स्त्रोत
जनवरीसरसों, तोरियाँ, कुसुम, चना, मटर, राजमा, अनार, अमरुद, कटहल, यूकेलिप्टस इत्यादि।
फरवरीसरसों, तोरियाँ, कुसुम, चना ,मटर, राजमा, अनार, अमरुद, कटहल, यूकेलिप्टस, प्याज, धनिया, शीशम इत्यादि।
मार्च कुसुम, सूर्यमुखी, अलसी, बरसीम, अरहर, मेथी, मटर, भिन्डी, धनियाँ, आंवला, निम्बू, जंगली जलेबी, शीशम, यूकेलिप्टस, नीम इत्यादि।
अप्रैल सूरजमुखी, बरसीम, अरण्डी, रामतिल, भिन्डी, मिर्च, सेम, तरबूज, खरबूज, करेला, लोकी, जामुन, नीम, अमलतास इत्यादि।
मईतिल, मक्का, सूरजमुखी, बरसीम,  तरबूज, खरबूज, खीरा, करेला,लोकी, इमली, कद्दू, करंज, अर्जुन, अमलतास इत्यादि।
जून तिल, मक्का, सूरजमुखी, बरसीम,  तरबूज, खरबूज, खीरा, करेला, लोकी, इमली, कद्दू, बबुल, अर्जुन, अमलतास इत्यादि।
जुलाई ज्वार, मक्का, बाजरा, करेला, खिरा, लोकी, भिन्डी, पपीता इत्यादि।
अगस्तज्वार, मक्का, सियाबिन, मुंग, धान, टमाटर, बबुल, आंवला, कचनार, खिरा, भिन्डी, पपीता इत्यादि।
सितम्बरबाजारा, सनई, अरहर, सोयाबीन, मुंग, धान, रामतिल, टमाटर, बरबटी, भिन्डी, कचनार, बेर इत्यादि।
अक्टूबरसनई, अरहर, धान, अरण्डी, रामतिल, यूकेलिप्टस, कचनार, बेर, बबूल इत्यादि।
नवम्बर सरसों, तोरियां, मटर, अमरुद, शह्जन, बेर, यूकेलिप्टस, बोटलब्रश इत्यादि।
दिसम्बरसरसों, तोरियाँ, राइ, चना, मटर, यूकेलिप्टस, अमरुद इत्यादि।

मधुमक्खियों के प्रकार – कार्य अनुसार (मधुमक्खी कॉलोनी) | (Type of Bee)

मधुमक्खियों की एक कॉलोनी होती है, जिसमें तीन तरह की मधुमक्खियों होती है। रानी मधुमक्खी, नर मधुमक्खी (ड्रोन) और श्रमिक मधुमक्खियां।
मधुमक्खी के छत्ते में केवल एक रानी मधुमक्खी होती है, सैकड़ों नर मधुमक्खियां और हजारों श्रमिक मधुमक्खियां होती हैं। और उनके अपने अलग-अलग कार्य होते हैं।

मधुमक्खी पालन कैसे करें: मधुमक्खी पालन के लिए 3 प्रकार की मधुमक्खियों की आवश्यकता होती है-

  1. रानी मधुमक्खी
  2. नर मधुमक्खी (ड्रोन)
  3. श्रमिक मधुमक्खी

1. रानी मधुमक्खी

प्रत्येक मधुमक्खी परिवार में एक रानी मधुमक्खी होती है। रानी मधुमक्खी मादा होती है, इसलिए यह पूरे परिवार की सभी मधुमक्खियों से बड़ी और लंबी होती है। रानी मधुमक्खी की उम्र करीब 3 साल होती है।

यह अपने पूरे जीवनकाल में सिर्फ एक बार ही सम्भोग (सेक्स) करती है। इसके बाद यह अंडे देने का काम करती है। एक रानी मधुमक्खी एक दिन में 1500 से 2000 तक अंडे देती है।

2. नर मधुमक्खी

पूरे परिवार में नर मधुमक्खियों की संख्या 1% तक यानी 100 से 200 तक ही होती है। नर मधुमक्खी का काम रानी को गर्भधारण करना होता है। इसके अलावा यह और कोई भी काम नहीं करती।

नर मधुमक्खी छत्ते में जमा शहद को खाता रहता है। यह श्रमिक मधुमक्खी से थोड़ी बड़ी और रानी से छोटी होती है।

3. श्रमिक मधुमक्खियां

पूरे मधुमक्खी परिवार में मधुमक्खी का छत्ता बनाने से लेकर फूलों का अमृत इकट्ठा करने, अंडों की देखभाल, बच्चों की देखभाल और दुश्मनों से बचाव का सारा काम श्रमिक मधुमक्खियां ही करती हैं, श्रमिक मधुमक्खियां छत्ते में सबसे अधिक संख्या में होती हैं।

इन मधुमक्खियों की एक खासियत यह भी है कि अगर इनमें से कोई एक भी बूढ़ी हो जाती है तो उन्हें ज्यादा काम नहीं करना पड़ता और ये एक तरह से बाँझ मधुमक्खियां होती हैं। और डंक मारने वाली यही मधुमक्खी होती है।

मधुमक्खियों के प्रमुख रोग एवं रोकथाम (Diseases of Honeybee)

सैक़ ब्रुड :

यह रोग मधुमक्खियों में कोशिका के बंद होने से पहले आता है। इसमें लार्वा की बाहरी त्वचा मोटी हो जाती है और आंतरिक अंग पानी की तरह हो जाते हैं। यह एक विषाणु जनित रोग है। इस पर कोई नियंत्रण नहीं है,

लेकिन मजबूत मधुमक्खी वंश में यह रोग कम पाया जाता है। इसके प्रकोप को कम करने के लिए कॉलोनी की साफ-सफाई रखना बेहद जरूरी है।

यूरोपियन फाउल ब्रुड :

आजकल यह बीमारी पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में मधुमक्खी कालोनियों में बहुत नुकसान कर रही है। यह एक जीवाणु जनित रोग है। इसमें मधुमक्खी के लार्वा अंडे से निकलने के बाद 1-3 दिनों के भीतर संक्रमित हो जाते हैं। प्रारंभ में हल्के पीले, बाद में भूरे और अंत में काले रंग के शल्क कोशिका के तल पर पड़े दिखाई देते हैं।

इसके नियंत्रण के लिए फाउंटेन से प्रभावित ब्रूड पर टेरामाइसिन 250 मिलीग्राम (ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन 250 मिलीग्राम 750 मिली पानी में एक चम्मच शहद या एक चम्मच चीनी मिलाकर) छिड़कें। दूसरा छिड़काव 8-10 दिनों के अंतराल पर करें। मधुमक्खियों की कॉलोनियों में अधिक शहद होने पर सावधान रहें। इसलिए शहद निकालकर दवा छिड़कें।

नोज़ेमा :

नोसेमा वयस्क मधुमक्खियों की सबसे गंभीर बीमारी है और यह श्रमिकों, नर मधुमक्खियों और यहां तक कि रानी को भी प्रभावित कर सकती है। यह नोसेमा एपिस और नोसेमा सेरेन प्रोटोजोआ के कारण होता है।

इस मामले में, अधिकांश संक्रमित मधुमक्खियां गंभीर पेचिश से पीड़ित होती हैं और वे छत्ते के अंदर शौच कर सकती हैं, जो सामान्य परिस्थितियों में वे कभी नहीं करतीं।

यह रोग छत्ते में मल द्वारा फैलता है। छत्ते के भारी काम के बोझ को संभालने के लिए संक्रमित श्रमिक मधुमक्खियाँ बहुत कमजोर हो जाती हैं। भोजन के लिए घूमने वाली मधुमक्खियां अक्सर बेहद थक जाती हैं और छत्ते तक पहुंचने से पहले ही मर जाती हैं।

रोगों का निवारण (रोकथाम)

मधुमक्खियों को होने वाले रोगों से बचाने के लिए समय-समय पर फार्मिक एसिड (Formic acid) एवं सल्फर (गंधक) का छिड़काव करना चाहिए।

मधुमक्खियों के प्रमुख शत्रु (दुश्मन) | Bee enemies

  • मोमी पतंगा,
  • छिपकली,
  • मेंढक,
  • परजीवी अष्टपदियां,
  • परभक्षी ततैया,
  • चिड़िया,
  • मेंढक,
  • चींटियाँ,
  • गिरगिट आदि।

मधुमक्खियों के मुख्य शत्रु (दुश्मन) हैं, और छत्ते में चल रही गतिविधियों में मधुमक्खियों के लिए असुविधा का कारण बनते हैं। वे युवा मधुमक्खियों, उनके अंडों, शिशुओं और शहद के भंडार को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं।

मधुमक्खी पालन से मिलने वाले उत्पाद

मधुमक्खी पालन मुख्य रूप से तीन उत्पादनों के लिए किया जाता है।

  1. शहद (Honey)
  2. मोम (Wax)
  3. रॉयल जैली (Royal Jelly) आदि।

1. शहद (Honey)

मधुमक्खियां फूलों के परागकणों को अपने अंदर जमा कर रखती हैं इसके बाद फूलों के रस को अपने छत्ते के अंदर इक्क्ठा कर लेती हैं और उन फूलों के रस को शहद में बदल लेती हैं।

शहद खाने में स्वादिष्ट होता है और औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है।

शहद में विटामिन बी और विटामिन सी के अलावा कैल्शियम, आयरन और कार्बोहाइड्रेट का प्राकृतिक स्रोत होता है। शहद में एंटीसेप्टिक जीवाणुरोधी गुण भी पाए जाते हैं।

शहद में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जिसके नियमित सेवन से हम कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।

2. मोम (Wax)

मोम मधुमक्खियों से मिलता है, जिससे वे अपना छत्ता बनाती हैं। मोम बनाने के लिए मधुमक्खियां पहले शहद खाती हैं, फिर उससे गर्मी पैदा करके मोम के छोटे-छोटे टुकड़े अपनी ग्रंथियों के जरिए बाहर निकालती हैं।

3. रॉयल जेली (Royal Jelly)

रॉयल जेली में एक मसालेदार और मीठा स्वाद होता है और यह युवा मधुमक्खियों द्वारा स्रावित एक स्वस्थ भोजन है। रॉयल जैली भी मधुमक्खियों के छत्ते से बनाई जाती है, लेकिन इसका उपयोग रानी मधुमक्खी के भोजन के रूप में किया जाता है।

इसे रॉयल जेली शहद के नाम से भी जाना जाता है।

मधुमक्खी पालन से लाभ (Benefits of beekeeping)

  • मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए आप बहुत ही कम समय में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
  • मधुमक्खी पालन एक समूह या एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया जा सकता है।
  • मधुमक्खी पालन से मिलने वाले उत्पाद शहद और मोम की बाजारों में उच्च मांग है।
  • मधुमक्खी पालन कम उपज वाले फार्मों में भी किया जा सकता है, जहां बड़ी मात्रा में मोम का उत्पादन किया जा सकता है।

मधुमक्खी पालन से कमाई कैसे करें?

आप चाहें तो 10 बक्सों से भी मधुमक्खी पालन शुरू कर सकते हैं।

Note: एपिस सिराना इंडिका और एपिस मेलिफेरा प्रजातियों की मधुमक्खियों को लकड़ी के बक्सों में आसानी से पाला जा सकता है।

यदि प्रति बॉक्स में 40 किग्रा शहद उपलब्ध हो तो कुल शहद 400 किग्रा होगा। 400 किलो शहद, 350 रुपये प्रति किलो बेचने पर 1.40 लाख रुपए की कमाई होगी। यदि प्रति बॉक्स की लागत 3500 रुपये है तो कुल लागत 35,000 रुपये होगी और मुनाफा 1,05,000 रुपये होगा।

मधुमक्खियों की संख्या बढऩे के साथ ही यह बिजनेस हर साल कम से कम 3 गुना बढ़ जाता है यानी 10 बॉक्स से शुरू किया गया बिजनेस 1 साल में 25 से 30 बॉक्स का हो सकता है।

आपको बता दें कि जितनी ज्यादा मधुमक्खियां बढ़ेंगी उतनी ही ज्यादा शहद का उत्पादन होगा और मुनाफा भी कई गुना बढ़कर लाखों का हो जाएगा।

मधुमक्खी पालन में मार्केटिंग (Madhumakhi palan ki marketing)

किसी भी बिजनेस को बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है उसका प्रचार और मार्केटिंग करना। ऐसे में शहद बेचने के लिए मार्केटिंग भी करना बहुत जरूरी होता है।

यदि आप शहद का व्यापार करके मार्किट में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं तो आपको बेहतर क्वालिटी और 100% शुद्ध शहद बेचना होगा। अगर आप बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले शहद का व्यापार करेंगे तो बहुत जल्द आप बाजार में अपनी और अपने ब्रांड की पहचान बना लेंगे।

आप अखबारों में विज्ञापन छपवाकर, पोस्टर लगाकर और ऑनलाइन विज्ञापन भी दिखा सकते हैं। इसके अलावा आप अपने ब्रांड को सीधे अपने नजदीकी बाजार की दुकानों में दिखा सकते हैं।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय के लिए लाइसेंस

मधुमक्खी पालन के लिए किसी भी प्रकार के लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है।

लेकिन, मधुमक्खी पालन पशु पालन से संबंधित है, इसलिए शायद इसके लिए लाइसेंस जरूरी हो सकता है।

मधुमक्खी पालन लोन योजना 2023 (Madhumakhi palan yojana 2023)

मधुमक्खी पालन ऋण योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना है, इस योजना के तहत सरकार मधुमक्खी पालन शुरू करने वाले बेरोजगार लोगो को ऋण/लोन प्रदान करेगी।

मधुमक्खी पालन योजना के अंतर्गत सब्सिडी का प्रावधान

  • मधुमक्खी पालन योजना के तहत हर किसान को फ्रेम लगे 3 बॉक्स दिए जाएंगे।
  • प्रत्येक किसान को एक फ्रेम पर 800 रुपये तक सब्सिडी देने का प्रावधान है।
  • अगर आप भेजने वाली मशीन पर 5 बॉक्स देने वाले किसान हैं तो आपको ₹7000 तक की सब्सिडी दी जाएगी।

मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण केंद्र (Beekeeping Training Center)

Sr No.प्रशिक्षण केंद्र का पता
1.खादी और ग्रामोद्योग आयोग, एट एंड पीओ- जोन्हा -835103, जिला- रांची, (झारखंड)
2.खादी और ग्रामोद्योग आयोग, जनरल महादेव सिंह रोड, कांवली, देहरादून, (उत्तराखंड)
3.खादी और ग्रामोद्योग आयोग, 18-ए, गुफा स्ट्रीट, कन्याकुमारी जिला- नागरकोइल -629001 (तमिलनाडु)
4.खादी और ग्रामोद्योग आयोग, पीओ-गांधी नगर, खेतड़ी -782403 (असम)
5.खादी और ग्रामोद्योग आयोग, पंजोखरा, पोस्ट- कांधला (मुजफ्फरनगर -247775 उत्तरप्रदेश)
6.जिला के जी संघ, सर्वोदयग्राम, मुजफ्फरपुर -842002 (बिहार)
7.खादी और ग्रामोद्योग आयोग, भटियारी, पो-कनहल, जिला जम्मू -818132 (जम्मू और कश्मीर)

मधुमक्खी पालन कांटेक्ट नंबर (Beekeeping contact number)

  • एकत्रित मधुमक्खी पालन विकास केंद्र कुरुक्षेत्र: 9996788004

खादी ग्राम उद्योग विकास केंद्र

  • Mobile Number Toll Free Number: 022-26714370

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