बकरी पालन एक लाभदायक व्यवसाय है जो बहुत से लोगों को अपनी आय का स्रोत प्रदान करता है। लेकिन, बकरी की सेहत बनाए रखना एक मुश्किल काम हो सकता है क्योंकि वे कई तरह की बीमारियों से पीड़ित हो सकती हैं। इसलिए, बकरी की सेहत बनाए रखने के लिए उचित देखभाल और समय पर उचित उपचार की आवश्यकता होती है। इस लेख में हम आपको कुछ बकरी की बीमारियों के बारे में बताएँगे और उनके घरेलू इलाज और चिकित्सक उपचार के बारे में भी जानकारी देंगे।
बकरियों में होने वाले 5 खतरनाक रोगों के नाम
बकरी पालन करते समय बकरियों में अनेक प्रकार के रोग पाए जाते हैं।
- खुर-मुंह पका रोग : यह रोग वर्षा ऋतु के समय बकरियों में अधिक पाया जाता हैं।
- खुर गलन रोग : यह रोग वर्षा से सर्दियों तक रहने वाला एक प्रमुख रोग है।
- आफरा रोग : यह रोग मुख्य रूप से सभी बकरियों में पाया जाता है।
- पी. पी.आर. रोग : यह रोग बकरियों में दूषित हवा, पानी, व भोजन से होता है।
- थनैला रोग : यह रोग सभी दुधारू पशुओं (बकरी, गाय, भैंस आदि) में होने वाला रोग है।
बकरियों में होने वाली सभी बीमारियों के नाम
Sr No. | बीमारियों के नाम |
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1 | पी.पी.आर. रोग |
2 | खुरपका-मुँहपका रोग |
3 | खुरपका-मुँहपका रोग |
4 | जोन्स रोग (पैराटयूबरकुलसता) |
5 | जीवाणुज गर्भपात |
6 | आफरा |
7 | चेचक (माता) |
8 | निमाेनिया |
9 | प्लेग |
10 | पोंकनी रोग |
11 | थनैला रोग |
12 | गले में सूजन |
13 | दस्त (पेचिश) |
बकरियों में होने वाले प्रमुख रोग के नाम और लक्षण की जानकारी
बकरियों में कई तरह की बीमारियाँ होती हैं, जिनमें से कुछ आम होती हैं और कुछ गंभीर होती हैं। निम्नलिखित कुछ मुख्य बीमारियाँ हैं जो बकरियों में देखी जाती हैं, जिसकी जानकारी आपको नीचे दी गई टेबल में मिल जाएगी:-
रोग के नाम | रोग के लक्षण |
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Foot and Mouth Disease | इस वायरस से प्रभावित बकरियों को बुखार, उल्टियां, श्वसन तंत्र की समस्याएं और मुंह, पैर और जीभ में छाले हो सकते हैं। |
Caprine Arthritis Encephalitis | इस वायरस से प्रभावित बकरियों के जोड़ों में सूजन, कमजोरी और तंगपन होता है। |
Peste des petits ruminants | इस वायरस से प्रभावित बकरियों में बुखार, खांसी, सांस की तंगी और जीभ में छाले होते हैं। |
Tick-borne Fever | इस रोग से प्रभावित बकरियों में उल्टियां, बुखार और तंगपन होता है। |
Enterotoxemia | इस रोग से प्रभावित बकरियों में तेज बुखार, दस्त, उल्टियां और मुंह से दुर्गन्ध आती है। |
Brucellosis | इस रोग से प्रभावित बकरियों में तापमान बढ़ना, अशोधन और दुगन्ध होती है। |
क्या आप जानते है बकरी पालन कैसे करें?
बकरियों में होने वाले प्रमुख रोग एवं उनके बचाव के उपाय
बकरी के रोग और उपचार: बकरियों की बीमारियों का उपचार उनकी बीमारी के प्रकार पर निर्भर करता है। कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनका उपचार आसान होता है, जबकि कुछ बीमारियां ज्यादा गंभीर होती हैं और अधिक समय और उपचार की आवश्यकता होती है। नीचे दिए गए टेबल में बकरी की बीमारियों के उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है:
बकरी में होने वाले रोगों के नाम | रोग का इलाज (उपचार) |
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मुंहपका व खुरपका | बकरी मुंह के छालों में बोरो ग्लिसरीन दवा या मलहम लगाने चाहिए। इसके अलावा खुरों की सफाई फॉर्मेलिन के घोल, नीले थोथे के घोल या लाल दवाई से करनी चाहिए। पशु चिकित्सा की राय के अनुसार 4 से 5 दिन एंटीबायोटिक का इंजेक्शन लगाना चाहिए। मुंहपका व खुरपका बीमारी के बचाव के लिए हर 6 महीने के अंदर मार्च-अप्रैल तथा सितंबर- अक्टूबर में बकरियों को टीका लगवाए। |
निमोनिया | बीमार बकरियों 3 से 5 मिली. एंटीबायोटिक दवा 3 से 5 दिन तक दें. खांसी के लिए केफलोन पाउडर 6 से 12 ग्राम रोजाना 10 दिन तक दें। |
अफारा | बकरी को चारा व पानी देना तुरंत बंद कर दे, बकरी को अफारा होने पर एक चम्मच खाने का सोडा या टिम्पोल पाउडर 15 से 20 ग्राम दे, इसके अलावा एक चम्मच तिल का तेल व जैतून के तेल 150-200 मिली. पिलाना चाहिए। |
पेट में कीड़े | बकरी के पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए अल्बोमार 2-3ml 10 किलोग्राम बकरी के वजन के अनुसार दिन में केवल रात के समय देनी है। यह दवा 3 माह में एक बार दें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यह दवा गर्भवती बकरी को नहीं देनी है। |
चर्म रोग | पशु चिकित्सा की राय के अनुसार इंजेक्शन आइवरमेक्टिन चमड़ी में लगवाए, बकरियों के जख्मों को लाल दवाई से धोऐं और जख्मों पर हिमेक्स मलहम लगाएं। |
पेट दर्द और गैस | बकरी को पेट दर्द और गैस की समस्या होने पर आपको उन्हें नींबू पानी और अदरक का जूस देना चाहिए। |
दस्त | बकरी को दस्त होने पर आपको उन्हें दही और छाछ खिलाना चाहिए। इसके अलावा, बकरी को एंटीबायोटिक दवा भी दी जा सकती है। |
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बकरी की बीमारी का घरेलू इलाज
बकरी पालन एक लाभदायक व्यवसाय है जो बढ़ती हुई मांग के कारण आज बहुत स्थायी हो गया है। हालांकि, बकरी पालन में कुछ बीमारियां होती हैं जो बकरियों को प्रभावित करती हैं और उनसे खतरा होता है। कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिनके घरेलू उपाय मौजूद होते हैं जो आप अपनी बकरियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। यदि आपकी बकरी बीमार हो गई है, तो इसका इलाज तुरंत किया जाना चाहिए। इस लेख में, हम आपको बकरी की बीमारी के घरेलू इलाज के बारे में बताएंगे।
रोगों के नाम | बकरियों के रोगों का घरेलू इलाज |
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खुजली | इसे ठीक करने के लिए आप बकरियों के त्वचा पर सरसों का तेल लगा सकते हैं। इससे त्वचा नरम होगी और खुजली ठीक हो जाएगी। |
दस्त (पेचिश) | जामुन के पत्ते दे जिससे बकरियों के दस्त ठीक हो जाएंगे। दूसरा बकरी को दो चम्मच चाय पत्ती दे इससे बकरी को आराम मिलेगा। इसके अलावा बकरी का पेट खराब हो जाने पर उसे दही खिलाएं जो पाचन को बेहतर बनाएगा। या फिर केले का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। |
बुखार | बुखार के लिए एक चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर दें। इससे बकरी का बुखार ठीक हो जाएगा। |
पेट दर्द | अगर आपकी बकरी को पेट दर्द हो रहा है, तो उसे नींबू पानी दें। नींबू पानी उसके पेट की समस्या को दूर करने में मदद करेगा। |
जुकाम | बकरी को जुकाम होने पर, आप उसे अदरक का रस दे सकते हैं। अदरक का रस उसकी समस्या को दूर करेगा। |
उलटी | उलटी होने पर, बकरी को शक्कर और नमक का पानी पिलाएं। इससे उसके शरीर का तापमान बना रहेगा और उलटी रुक जाएगी। |
अफारा | एक प्याज और एक चम्मच काला नमक और 2 बड़े चम्मच दही इन सब को मिक्सी में मिलाकर बकरी को पिला दे इससे बकरी का अफारा ठीक हो जाएगा। |
पेट के कीड़े | सर्दियों में बकरियों को बथुआ दे बथुआ से इनके पेट के कीड़े खत्म हो जाएंगे दूसरा बकरियों को छाछ में काला नमक डालकर पिलाएं इससे इनके पेट के कीड़े मर जाएंगे यह आपको 4 से 5 दिनों तक प्रतिदिन पिलानी है। |
आंखें | गर्मियों के मौसम में बकरियों के आखों का रोग सबसे ज्यादा दिखाई देता है तो उसका सबसे अच्छा इलाज है फिटकरी का पानी ले पानी से इनकी आंखों को धोऐं इससे बकरियों के आंखों को जल्द आराम मिलेगा। |
जू , चिचड़, मक्खी, पिस्सू | नीम के पत्ते को गर्म पानी में उबालकर ठंडा होने के बाद उस पानी से सभी बकरियों को नहलाएं। इससे बकरी के शरीर के जू , चिचड़, मक्खी, पिस्सू खत्म हो जाएंगे या फिर आप फेनिल की गोली को पीसकर उसका पाउडर सभी बकरियों को लगा दें, इससे बकरी के सभी जू , चिचड़, मक्खी, पिस्सू 100% खत्म हो जाएंगे। |
NOTE: यदि आपकी बकरी की बीमारी गंभीर हो रही है, तो आपको पशुचिकित्सा से संपर्क करना चाहिए।
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बकरी के बुखार का घरेलू इलाज
Bakri ko bukhar ki dawa: बकरियों में बुखार होना आम बात है बकरी काफी दुर्लभ प्राणी है जिसे हल्के ठंड लगने या ज्यादा गर्मी लगने के कारण जल्दी से बुखार आ जाता है, यदि आपके बकरियों में हल्का बुखार का लक्षण है तो आप इसे घरेलू इलाज से ठीक कर सकते हैं इसके अलावा यदि गंभीर परिस्थिति होती है तो आप अपने नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
औषधि | घरेलू इलाज |
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गिलोय बेल | सबसे पहले आपको 3-4 सेमी. गिलोय की बेल लेनी है और साथ में आधा चम्मच हल्दी और सोंठ का पाउडर लेना है और इन तीनों को दो गिलास पानी में डालकर उबलने रख दें. जब आधा पानी बच जाए तो उसे ठंडा होने के लिए रख दें, फिर उस पानी को छानकर बकरियों को पिला दें। |
अदरक और शहद | बकरी को अदरक और शहद का मिश्रण देने से भी बकरी के बुखार को कम किया जा सकता है। अदरक को पीसकर उसमें शहद मिला लें। फिर इसे बकरी को दे दें। |
पपीते का रस | पपीते का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर बकरी को पिला दें। इससे बकरी का बुखार जल्दी कम हो जायेगा। |
तुलसी का पत्ता | बकरी के बुखार को कम करने के लिए बकरी को तुलसी के पत्ते खिलाएं। |
हल्दी वाला दूध | एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर बकरी को पिलायें। यह उपाय बकरी के बुखार को कम करने में मदद करता है। |
नींबू का रस | बकरी के पानी में नींबू का रस मिलाकर पिलायें। इससे बकरी को ठंडक मिलेगी और उसके बुखार से भी राहत मिलेगी। |
बकरी के बुखार, सर्दी, जुकाम का देसी (आयुर्वेदिक) इलाज
बकरी को सर्दी खांसी का इलाज: बकरियों को अक्सर हर मौसम में सर्दी-खांसी की शिकायत रहती है। जब भी मौसम में बदलाव होता है या कोई वायरस या बैक्टीरिया का संक्रमण होता है तो बकरियों में ऐसी शिकायत हो जाती है या ऐसी स्थिति में देखा जाता है।
बकरी के बुखार का देसी इलाज हम घर पर ही कर सकते हैं, इसके लिए सबसे पहले आपको गिलोय बेल की दो बड़ी पत्तियां और 3-4 सेमी गिलोय की डंठल लेनी होगी और इसमें चाय वाला आधा चम्मच हल्दी और सोंठ का पाउडर भी डाल लें और इन्हें मिलाकर तीनों का पेस्ट बना लें और इसमें दो गिलास पानी डालकर उबलने के लिए रख दें.
जब आधा पानी यानि एक गिलास पानी बच जाए तो इसे ठंडा होने के लिए रख दें, इसके बाद उस पानी को छान लें और उन बकरियों को पिला दें जो बुखार या सर्दी से पीड़ित हों। उन्हें दिन में एक बार पिलाएं। बुखार, सर्दी, खांसी सब एकदम गायब हो जाएंगे।
लेकिन बस एक बात का ध्यान रखें कि आपको यह देसी दवा अपनी गर्भवती (गाभिन) बकरी को नहीं देनी है. आपको यह देसी दवा उस बीमार बकरी को देनी है जिसका वजन 50 किलो के बराबर हो। अगर बकरी का वजन कम है तो इस देशी दवा को बकरी के वजन के अनुसार मात्रा में दें।
बकरियों में निमोनिया की बीमारी
बकरियों को निमोनिया की बीमारी बरसात से भीगने के कारण हो जाती है। इसके अलावा यह बीमारी ठंड व नमी में रहने के कारण भी हो जाती हैं। समय से इस बीमारी का इलाज न करवाने पर बीमारी ज्यादा बढ़ सकती है। जिसके कारण बकरियों की मृत्यु भी हो सकती है।
निमोनिया बीमारी के लक्षण
- बकरियों को सांस लेने में कठिनाई होती है।
- बकरियों के मुंह और नाक स्त्राव आता है।
- बकरियां खाना-पीना बंद कर देती है।
निमोनिया बीमारी से बचाव
- बकरियों को तारपीन तेल की भाप देने से निमोनिया बीमारी में आराम मिलता है।
- बकरियों को बरसात से बचाएं और ठंड व नमी वाले स्थान से अलग रखें।
बकरी को निमोनिया की दवा
बकरी को निमोनिया का इलाज: किसी भी बकरी को दवा देने से पहले, उसकी समस्या के कारणों का निर्धारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि आपकी बकरी को निमोनिया है तो उसे अपने वेटरिनर से चेकअप करवाना चाहिए जो उसकी स्थिति का निरीक्षण करेगा और उचित इलाज का सुझाव देगा।
बकरी को दवा देने से पहले, पशु चिकित्सक आमतौर पर उसके वजन, उम्र और अन्य लाभांशों को ध्यान में रखते हुए उचित दवा का चयन करेगा। निमोनिया के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की दवाएं हो सकती हैं, जैसे कि एंटीबायोटिक दवाएं, कॉर्टिकोस्टेरॉयड दवाएं या अन्य दवाएं जो चिकित्सक की सलाह के अनुसार हो सकती हैं।
इसलिए, आपको अपनी बकरी को खुशहाल रखने के लिए उसे अपने पशु चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए ताकि वे सही इलाज और दवा प्रदान कर सकें।
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बकरी को लकवा मारने की दवा
बकरी को लकवा मारने की दवा की जानकारी स्थानीय पशुचिकित्सक से लेनी चाहिए। बकरी के लिए सही दवा की जरूरत उसके लकवे के कारण और लक्षणों पर निर्भर करेगी, जिसका सही निदान केवल एक पशुचिकित्सक ही कर सकता है।
लकवे के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं और इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे संक्रमण, बीमारी या चोट। बकरी का उचित निदान करने के बाद, पशु चिकित्सक उचित उपचार या दवाएँ प्राप्त करने की सलाह देंगे।
इसलिए, आपको अपनी बकरी को पशु चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए ताकि वे उचित निदान कर सकें और सही उपचार या दवा का सुझाव दे सकें।
बकरी के पेट में कीड़े मारने की दवा
दवा | खुराक | विधि |
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एल्बेंडाजोल | 10 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम वजन | मुंह से, पानी में मिलाकर या सीधे खिलाकर |
पाइपरजिनॉल | 5 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम वजन | मुंह से, पानी में मिलाकर या सीधे खिलाकर |
फेबेंडाजोल | 10 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम वजन | मुंह से, पानी में मिलाकर या सीधे खिलाकर |
मोक्सिडेक्विन | 0.25 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम वजन | मुंह से, पानी में मिलाकर या सीधे खिलाकर |
बकरी को कीड़े मारने की दवा देने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
- हमेशा अपने पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही कृमिनाशक दवाएं दें।
- कृमिनाशक दवाएँ नियमित रूप से दी जानी चाहिए, आमतौर पर हर 6 से 12 महीने में एक बार।
- कृमिनाशक दवाएँ अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकती हैं, इसलिए यदि आप बकरी को कोई अन्य दवा दे रहे है, तो अपने पशुचिकित्सक से एक बार जरूर बात करें।
बकरे के पेशाब रुकने का इलाज
कई बार ऐसा होता है कि बकरे पेशाब नहीं कर पाती है बकरे का पेशाब रुक जाता है यह पथरी के कारण होता है। इसके इलाज के लिए सबसे पहले आपको मार्केट पंसारी की दुकान पर जाना है वहां जाकर आपको बोलना है की सूखा गोखरू दीजिए। और उसको घर लेकर आना है और उसको बारीक करके पीस लेना है फिर उसको पानी में मिलाकर बकरे को पिला देना है जिससे बकरे का पेशाब आ जाएगा या फिर आप मेडिकल जाए और वहां से ले सिसक की गोली लाकर दे सकते हैं इससे भी पेशाब आ जाएगा।
बकरियों में पेशाब रुक जाने से क्या हो सकते हैं?
यदि एक बकरी का पेशाब बंद हो गया है, तो यह एक मूत्र बाधा का संकेत हो सकता है, जो एक चिकित्सा आपात स्थिति है जिसके लिए पशु चिकित्सक से तत्काल संपर्क करने की आवश्यकता होती है। मूत्र अवरोध मूत्र पथ में एक रुकावट है जो बकरी को सामान्य रूप से पेशाब करने से रोकता है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो यह स्थिति गंभीर समस्याओं और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकती है।
बकरी के पेशाब का रुक जाना कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि-
- दुध देने की उम्र में सामान्य रूप से पेशाब रुक जाता है।
- अगर बकरी को पानी नहीं मिलता है तो भी पेशाब रुक सकता है।
- अगर बकरी को खुराक में कम पानी या पोषक तत्व होते हैं तो भी यह समस्या हो सकती है।
- अगर बकरी को फंगल या बैक्टीरियल संक्रमण हो जाता है तो भी पेशाब रुक सकता है।
- अगर बकरी को पाचन तंत्र से संबंधित समस्या होती है तो भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
- अगर आपकी बकरी का पेशाब रुक गया है, तो आपको एक वेटरिनर से सलाह लेनी चाहिए। वेटरिनर आपकी बकरी की जाँच करेगा और उपचार के लिए सलाह देगा।
बकरे का पेशाब बंद होने का कारण
- बैक्टीरियल अथवा फंगल संक्रमण।
- मूत्र मार्ग में ब्लॉकेज जैसे कि किसी कारण से बाहर से कुछ चीजें अंदर जा सकती हैं जो मूत्र मार्ग को बंद कर देती हैं।
- अगर बकरे को पानी नहीं मिलता है तो भी पेशाब रुक सकता है।
- पाचन तंत्र से संबंधित समस्या होना।
बकरियों में थनेला (थन सूजन) की बीमारी
यदि आपकी बकरियों में थनेला बीमारी है तो इसके कई कारण है जैसे- बकरियों के बच्चे को अधिक समय तक दूध पिलाने से, जंगल में बकरी को चराते समय कांटे या आग लगने से।
थनेला बीमारी के लक्षण
- दूध उत्पादन में कमी और थनो का गरम लगना।
- किसी भी समय बकरी के दोनों थनों में बीमारी लगना।
- बच्चों को दूध पिलाते समय बकरियों के थनों में दर्द होना।
- बकरी के थन में ज्यादा बीमारी ज्यादा सूजन होने से दूध निकलना बंद हो जाता है।
थनेला बीमारी से बचाव
- बकरी के थनो की अच्छी तरह से सफाई रखें।
- बकरी के बच्चों को थनों में दूध खत्म होने पर चूसने न दें।
- थनों की सरसों के तेल से मालिश करें।
- 5 ग्राम सल्फा की गोली सुबह शाम 4 से 5 दिन तक खिलाएं।
बकरियों में पोंकनी बीमारी के लक्षण, कारण और उपचार
बकरियों में पोंकनी रोग एक वायरस (विषाणु ) से होने वाला संक्रामक रोग है। यह रोग गाय, भैंस, भेड़ और सूअर को भी प्रभावित कर सकता है। पोंकनी रोग के लक्षण आमतौर पर संक्रमित पशुओं में 10-14 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:
- बुखार
- नाक और मुंह से पानी निकलना
- खांसी
- छींकना
- आंखों का लाल होना
- मुंह और जीभ में घाव
- दूध उत्पादन में कमी
पोंकनी बीमारी से संक्रमित जानवरों में मृत्यु दर 50% तक हो सकती है। पोंकनी बीमारी का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, संक्रमित जानवरों को दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स दिए जा सकते हैं। पोंकनी बीमारी को रोकने के लिए, पशुओं को टीका लगाया जा सकता है। भारत में, पोंकनी बीमारी को “राइनिपेस्ट” या “सांस रोग” के रूप में भी जाना जाता है। यह बीमारी सबसे अधिक बार सर्दियों के महीनों में होती है।
पोंकनी बीमारी से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- अपने फार्म को साफ और स्वच्छ रखें।
- संक्रमित पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखें।
- पशुओं को नियमित रूप से टीका लगाया जाए।
- पशुओं को स्वच्छ और स्वस्थ परिस्थितियों में रखें।
- पशुओं को संक्रमित सामग्री से बचाएं।
- संक्रमित जानवरों के मल, मूत्र, और लार को सावधानी से निपटाएं।
यहां पोंकनी रोग के कुछ अतिरिक्त विवरण दिए गए हैं:
- यह रोग एक विषाणु के कारण होता है जिसे “Rinderpest virus” कहा जाता है।
- यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है।
- रोग का प्रसार संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने से हो सकता है।
- रोग के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों का इलाज किया जा सकता है।
- पोंकनी रोग एक विश्वव्यापी बीमारी है।
यदि आपके पास बकरी है और आपको लगता है कि वह पोंकनी बीमारी से संक्रमित हो सकती है, तो कृपया तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
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बकरियों के बीमारी से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न
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बकरियों में पी.पी.आर. रोग की दवा
पी.पी.आर. रोग या पेस्टरलोसिस एक संक्रामक रोग है जो जीवाणु पेस्टरेला मल्टोसिडा के कारण होता है। यह रोग बकरियों में ज्यादातर साँस लेने वाले अंगों में असर करता है और लंबे समय तक बकरियों की सेहत को प्रभावित करता है। इस रोग का उपचार आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। जैसे ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन, स्ट्रेप्टोमाइसिन, एनरोफ्लॉक्सासिन
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बकरे के आंख से पानी आना
गर्मी के समय बकरे की आंख से पानी आता है और इनके बाल भी झड़ जाते हैं और इनका चेहरा भी उतर जाता है तो उसका इलाज यह है कि अगर आपके पास फिटकरी है। अगर नहीं है तो मार्केट से खरीद लाएं अपनी आवश्यकतानुसार फिर उसको बारिक करके पीस लें फिर एक गिलास बर्तन मैं घोल ले फिर उससे बकरे की आंख को धो दें जिससे बकरे की आंख सही हो जाएगी। अगर बकरे के मुंह में भी छाले हो रखे हैं तो उसको भी फिटकरी के पानी से धो दें वह भी ठीक हो जाएगा ।
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बकरे की रसौली का इलाज
आपने देखा होगा कि बकरे के शरीर पर बहुत बड़े-बड़े धापड़ से होते हैं शरीर के ऊपर दिखाई देते हैं उसे रसोली कहते हैं आपको थोड़ा सब्र करना है। जब तक वह नरम ना हो जाए फिर जब वहां नरम हो जाए तब आपको एक नया ब्लेड से थोड़ा सा कट चीरा लगाना है फिर उसको दबाकर इसके अंदर जितना मोआद को बाहर निकाल देना है इसके बाद विटाडीन पट्टी बांध दे जिससे बकरे का घाव सही हो जाएगा।
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