बकरियों में होने वाली बीमारियां, कारण, लक्षण एवं बचाव

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बकरियों में होने वाली बीमारियों के बारे में बताने वाले हैं और बकरियों में होने वाली बीमारियों के कारण, लक्ष्मण एवं बचाव के बारे में भी जानकारी देने वाले हैं। जिससे आप अपनी बकरियों में आने वाले नुकसान को बचा सकते हैं इसलिए इसे पूरा और ध्यान से पढ़ें इस पोस्ट से आपको बहुत मदद मिलने वाली है ।

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बकरियों में होने वाली बीमारियां

अगर आप बकरी पालन करते हैं या करना चाहते हैं तो आपको पहले इनकी बीमारियों के बारे में जान लेना चाहिए और उससे कैसे बचाव करें। क्योंकि बकरियों में होने वाली बीमारियां बहुत तेजी से फैलती है और यह धीरे-धीरे सभी बकरियों में फैल जाती हैं।

Bakriyon mein Hone Wali bimariyan

जिससे बकरियों की मृत्यु तक हो जाती है। इसलिए समय रहते अपनी बकरियों में होने वाली बीमारी से बचाव करें नहीं तो आपको बकरियों में भारी नुकसान देखने को मिल सकता है। बकरियों में अनेक प्रकार की बीमारियां होती है जिसके कई कारण होते हैं जो हमने आपको नीचे बताया है।

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1. बकरियों में अफारा (पेट फूलना) की बीमारी

यह बीमारी बकरियों में ज्यादा चारा खाने से होती है या ज्यादा मात्रा में सूखा चारा खाने से, जुगाली बंद करना, कब्ज होने पर, पानी की कमी से और बासी एवं सड़ा चारा खाने से आदि बकरियों में अफारा (पेट फूलना) की बीमारी इन कारणों से होती है।

bakriyon mein aphara Ki Bimari

इस बीमारी से बकरियों की मृत्यु भी हो सकती है।

अफारा की बीमारी के लक्षण

  • बकरियों को सांस लेने में तकलीफ होते है, बेचैनी होना।
  • बकरियों का बार-बार उठना बैठना।
  • बकरियों का नथुना फूलना।
  • बकरियां अपने पेट पर पैर मारने लगती है।

अफारा (पेट फूलना) की बीमारी बचाव

  • बकरियों को पानी और चारा देना तुरंत बंद कर दे।
  • बकरियों को 10 ग्राम हींग और 100 ग्राम सरसों का तेल इन दोनों को 200 मिली. पानी में अच्छी तरह से घोलकर पिलाएं।
  • बकरियों को 150 से 200 मिली. मीठे तेल में एक चम्मच तारपीन का तेल मिलाकर पिलाएं।

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2. बकरियों में मुंहपका-खुरपका की बीमारी

वर्षा ऋतु के समय बकरियों के चारों पैरों के खुर सड़ने या गलने लगते हैं।

bakriyon mein muhpaka-khurpaka Ki Bimari

मुंहपका-खुरपका बीमारी के कारण– बकरियों को पानी से भरे हुए स्थानों पर रखने से, गीले चारों में चराने से या कीचड़ वाले स्थानों पर चराने से।

मुंहपका-खुरपका बीमारी के लक्षण

  • मुंह में पैरों में छाले और कुछ दिन बाद घाव में बदल जाते हैं।
  • मुंह में दर्द के कारण खाना पीना बंद।
  • बकरियों का लंगड़ा कर चलना।
  • तेज बुखार से दूध की मात्रा में गिरावट।

मुंहपका-खुरपका बीमारी से बचाव

  • जिन बकरियों में इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो उन बकरियों को तुरंत अन्य बकरियों से अलग करें।
  • मुंह एवं पैरों के घावों पर लाल दवा या डेटोल से धुलाई करें, और टेरामाइसिन, लोरेक्सीन इनमें से किसी भी मरहम का बकरियों के घाव पर उपयोग करें।
  • घाव पर किसी भी प्रकार का गुनगुना तेल लगाएं।

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3. बकरियों में थनेला (थन सूजन) की बीमारी

यदि आपकी बकरियों में थनेला बीमारी है तो इसके कई कारण है जैसे- बकरियों के बच्चे को अधिक समय तक दूध पिलाने से, जंगल में बकरी को चराते समय कांटे या आग लगने से।

bakriyon mein thanela Ki Bimari

थनेला बीमारी के लक्षण

  • दूध उत्पादन में कमी और थनो का गरम लगना।
  • किसी भी समय बकरी के दोनों थनों में बीमारी लगना।
  • बच्चों को दूध पिलाते समय बकरियों के थनों में दर्द होना।
  • बकरी के थन में ज्यादा बीमारी ज्यादा सूजन होने से दूध निकलना बंद हो जाता है।

थनेला बीमारी से बचाव

  • बकरी के थनो की अच्छी तरह से सफाई रखें।
  • बकरी के बच्चों को थनों में दूध खत्म होने पर चूसने न दें।
  • थनों की सरसों के तेल से मालिश करें।
  • 5 ग्राम सल्फा की गोली सुबह शाम 4 से 5 दिन तक खिलाएं।

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4. बकरियों में निमोनिया की बीमारी

बकरियों को निमोनिया की बीमारी बरसात से भीगने के कारण हो जाती है। इसके अलावा यह बीमारी ठंड व नमी में रहने के कारण भी हो जाती हैं। समय से इस बीमारी का इलाज न करवाने पर बीमारी ज्यादा बढ़ सकती है। जिसके कारण बकरियों की मृत्यु भी हो सकती है।

निमोनिया बीमारी के लक्षण

  1. बकरियों को सांस लेने में कठिनाई होती है।
  2. बकरियों के मुंह और नाक स्त्राव आता है।
  3. बकरियां खाना-पीना देती है।

निमोनिया बीमारी से बचाव

  • बकरियों को तारपीन तेल की भाप देने से निमोनिया बीमारी में आराम मिलता है।
  • बकरियों को बरसात से बचाएं और ठंड व नमी वाले स्थान से अलग रखें।

5. बकरियों में पोंकनी बीमारी

कारण– बकरियों में यह बीमारी गंदी जगह रखने से, शेड में साफ सफाई ना रखने से, बकरी को बासी या सड़ा खाना खिलाने से।

bakriyon mein ponkani Ki Bimari

पोंकनी बीमारी के लक्षण

  • बकरियों की चमड़ी शुष्क और खाना पीना बंद कर देना।
  • बकरियों में कमजोरी आना, वजन में गिरावट होना।
  • बकरियों को काली पतली एवं बदबूदार दस्त लगने।

पोंकनी बीमारी से बचाव

  • बकरियों को सल्फा कि 5 ग्राम गोली के शरीर वा वजन के अनुसार एक गोली सुबह और एक गोली श्याम को यह लगातार 5 दिन तक खिलाएं।
  • बकरियों को पाचक पाउडर प्रतिदिन खिलाए यदि फिर भी बकरियों की स्थिति ठीक ना होने पर उन्हें एंटेरोरोम्सीमिया का इंजेक्शन लगवाएं।

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FAQ.

Q. बकरी रोग क्या है?

Ans. बकरी रोग एक वायरल रोग है जो बकरियों को प्रभावित करता है। यह एक गंभीर बीमारी है जिसका अगर जल्द इलाज न किया जाए तो जानवरों की मौत हो सकती है। वायरस संक्रमित बकरी के श्वसन स्राव, रक्त या ऊतक के संपर्क में आने से फैलता है। बकरियों को यह बीमारी अन्य बकरियों, हिरणों या खरगोशों से हो सकती है।

Q. बकरी रोग के लक्षण क्या हैं?

Ans. बकरी रोग के सबसे आम लक्षण खाँसी, छींकना और बुखार हैं। इस रोग से ग्रस्त पशुओं में भूख कम लगना, वजन कम होना और सांस लेने में कठिनाई भी हो सकती है। गंभीर मामलों में, जानवरों को निमोनिया हो सकता है और उनकी मृत्यु हो सकती है।

Q. बकरी रोग का निदान कैसे किया जाता है?

Ans. बकरियों की बीमारी का निदान जानवर के श्वसन स्राव का एक नमूना लेकर और वायरस के लिए उनका परीक्षण करके किया जाता है।

Q. बकरी रोग का इलाज कैसे किया जाता है?

Ans. बकरी की बीमारी का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे शुरू में ही होने से रोका जाए। जिन जानवरों पर संदेह है।

Conclusion

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बकरियों में होने वाली बीमारी, कारण, लक्षण और बचाव के बारे में बताया है।

आप हमें कमेंट करके बताएं की आपकी बकरियों में कौन सी बीमारी होती है और आप उस बीमारी से कैसे बचाव करते हैं।

अगर आपकी कोई राय है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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