आज हम आपको इस आर्टिकल में बकरियों का आहार प्रबंधन, गाभिन बकरियों का आहार और प्रजनन हेतु बकरे का आहार इन के बारे में पूरी जानकारी देंगे। जिससे आपको बकरी पालन में बहुत मदद मिलेगी। जैसे बकरियों को कितना हरा चारा, सूखा चारा और दाना देना है। इसके अलावा गाभिन बकरियों को उसके समय के अनुसार कितना आहार खिलाना है यह भी आपको पता होना चाहिए।
बकरियों का आहार प्रबंधन
भारत में बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय है भारत के हर राज्यों में गरीब वर्ग के लोग और किसान भाई बकरी पालन का व्यवसाय करते हैं। बकरी पालन में सबसे जरूरी बात यह आती है कि बकरियों को खाने के लिए किस प्रकार का आहार या किस तरह का चारा और बकरियों को कब कितना खिलाए।
बकरियों की नस्ल के हिसाब से आपको उनके आहार या चारे का भी विशेष ध्यान रखना है जैसे सानेन बकरी की नस्लें गेहूं का भूसा नहीं खाती, परंतु जमुनापारी एवं बीटल नस्ल की बकरियां बड़े चाव से गेहूं का भूसा खाती है। इसलिए जिस भी नस्ल की बकरियों का पालन आप करना चाहते हैं तो पहले उसके आहार या चारे के बारे में अच्छी तरह से जान लें।
इसके अलावा बकरियों को चारे से ज्यादा पानी की भी जरूरत होती है, दूध देने वाली बकरियों को प्रति लीटर दूध के लिए 1 से 1.5 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। बकरियों को पानी पिलाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जो भी आप बकरियों को पानी पिला रहे हैं, वह पानी साफ और स्वच्छ होना चाहिए।
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बकरियों का पालन आप तीन तरह से कर सकते हैं।
1. चराकर
बकरियों को बाहर खेतों या जंगलों में चराकर पालना बहुत ही आसान है। लेकिन बकरियों को खेतों या जंगलों में चराना बकरी पालन व्यवसाय के लिए लाभकारी नहीं होता, क्योंकि अगर आप बकरियों को बाहर चराते हो तो उन बकरियों के वजन में अधिक वृद्धि नहीं होती है।
जिसके कारण बाजारों में इनकी कीमत बहुत कम मिलती है। इस तरह से बकरियों का पालन जंगल या पहाड़ी इलाकों में किया जाता है।
2. खूंटे पर खिलाकर
बारबरी एवं सिरोही नस्ल की बकरियों का पालन ही खूंटे पर खिलाकर किया जा सकता है अन्य दूसरी बकरियों का पालन इस तरह से नहीं किया जा सकता।
3. चराकर और खूंटे पर खिलाकर
इसमें बकरियों को 7 से 8 घंटे बाहर खेतों में चरने दिया जाता है। इसके बाद बकरियों को घर लाकर पानी पिलाया जाता है और दोपहर के समय बकरियों को चारा, पेड़ों की पत्तियां और दाने का मिश्रण भी खिलाया जाता है।
यदि आप बकरियों को इस तरह से चारा खिलाएंगे तो बकरियां स्वस्थ रहेंगे। और बकरियों के वजन में भी अधिक वृद्धि होगी। जिससे बाजारों में बकरियां बहुत महंगी बिकती है। इसलिए बकरियों को इस तरह से ज्यादा पाला जाता है।
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बकरियों का आहार (खाना)
हरा चारा- बकरियों के आहार या खाने में आपको हरे चारे का विशेष ध्यान रखना है क्योंकि हरे चारे में प्रोटीन, खनिज, विटामिन और लवण की भरपूर मात्रा होती है। जिससे बकरी का वजन और शरीर का आकार तेजी से ग्रोथ करता है।
हरा चारा कई तरह का होता है जैसे हरी घास, हरी दूब घास, जंगली घास, पेड़ पौधों की पत्तियां, फलिया और सब्जियों के पत्ते आदि।
इसके अलावा आप अपने खेतों में बकरियों के लिए हरा चारा उगा सकते हैं, जैसे बरसीम, रिजका और अल्फाल्फा आदि।
सूखा चारा- उड़द एवं बबूल की सूखी पत्तियां, अरहर, चना, मूंग और मटर का भूसा बरसीम या रिजका का सूखा चारा बकरियां बहुत पसंद हो कर खाती है।
अगर बकरियों को गेहूं का भूसा खिलाना हो तो कटे हुए हरे चारे में मिलाकर खिलाएं, इससे भूसे का स्वाद बढ़ जाता है और बर्बादी भी कम होती है।
बकरियों को सूखा चारा रोज खिलाना चाहिए। क्योंकि सूखे चारे से बकरियों का पेट ठीक रहता है।
दाना मिश्रण- बकरियों के स्वास्थ्य और वजन के लिए हरा एवं सूखा चारा के साथ-साथ दाने का मिश्रण देना भी जरूरी है। दाने में बकरियों को मकई, जौ के साथ खली मिलाकर तैयार करके सुबह के समय दिया जाता है।
इसमें विटामिन, प्रोटीन एवं खनिज लवण की भरपूर मात्रा होने के कारण यह संतुलित आहार होता है।
बढ़ते हुए बकरी के बच्चे, गाभिन बकरी, दूध देने वाली बकरी और प्रजजन में काम आने वाले बकरे के लिए यह आवश्यक होता है।
बकरियों को दाना मिश्रण उनकी उम्र तथा वजन के अनुसार दिया जाता है।
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गाभिन बकरियों का आहार
आमतौर पर बकरी पालन में यह देखा जाता है कि जो आहार अन्य बकरियों को दिया जाता है वही आहार गाभिन बकरियों को भी दिया जाता है।
लेकिन बकरी पालन व्यवसाय के लिए ऐसा करना उचित नहीं है। इससे बकरियों में गर्भधारण की क्षमता कम हो जाती है।
इसलिए बकरीपालको को बकरियां गाभिन करवाने से 2 सप्ताह पहले लगभग 100 से 200 ग्राम दाना अतिरिक्त देना चाहिए, जिससे बकरियों की गर्भधारण करने की क्षमता में सुधार आ सके।
गर्भावस्था के अंतिम सातवें सप्ताह के अंदर बकरियों को अच्छे किस्म का हरा चारा खिलाना चाहिए। क्योंकि इस समय बच्चे की 70 से 80 प्रतिशत वृद्धि हो जाती है। और जब बकरी ब्याने के 4 से 5 दिन रह जाते हैं तो उस समय प्रति बकरी को 1 दिन में 300 से 400 ग्राम दाना देना चाहिए।
गर्भवति बकरी का आहार कैसे दें?
अगर आप बकरियां पाल रहे हैं तो बकरी पालन की सफलता काफी हद तक मादा बकरियों के प्रजनन पर निर्भर करती है। यदि प्रजनन ठीक से नहीं किया गया है तो यह व्यवसाय की विफलता का संकेत है। बकरी को प्रजनन चक्र ठीक करने के लिए उचित पोषण देना चाहिए।
बकरी का गर्भकाल 5 माह का होता है। ब्याने के 60 दिन बाद बकरी को गाभिन करवा देना चाहिए और उसके बाद 15 से 20 दिन के बाद उसे 200 से 300 ग्राम अनाज देना चाहिए। तथा 300 से 400 ग्राम भूसा मिलाकर हरा चारा देना चाहिए।
जब बच्चा गर्भ के अंदर आता है तो बकरी के अंदर पोषक तत्वों की जरूरत बढ़ जाती है। इस कारण बकरी को हरा चारा और अनाज उचित मात्रा में खिलाना चाहिए। यदि इस समय बकरी के पोषक तत्वों पर उचित ध्यान न दिया जाए तो उसके बाद बकरी के दूध और बच्चे पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
आकार के अनुसार कुल मात्रा का पांचवां भाग तक दाना दें। आप बकरी को बरसीम या लूसर्न घास दे सकते हैं। अगर बकरी को अफरा की समस्या है तो आप घास के साथ पुआल भी खिला सकते हैं। तथा बकरी को प्रजनन के समय अधिक दूर नहीं ले जाना चाहिए।
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दुधारू बकरी का आहार
दूध देने वाली बकरियों को सामान्य बकरियों से अधिक पौष्टिक और संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। आमतौर पर दूध देने वाली बकरी (दुधारू बकरी) 1 दिन में 3 से 4 किलोग्राम हरा चारा और सूखा चारा खाती है।
इसके अलावा प्रति 1 किलोग्राम दूध उत्पादन के लिए 300 से 400 ग्राम तक दाना मिश्रण दें। दाना मिश्रण की मात्रा दिन में दो बार (सुबह के समय और शाम के समय में) बराबर मात्रा में दें।
प्रजनन हेतु बकरे का आहार
बकरी पालन में यदि आप प्रजनन या क्रॉस करवाने के लिए कोई बकरा पाल रहे हैं तो उस बकरे को अच्छे और संतुलित आहार की जरूरत होती है। प्रजनन में काम आने वाले बकरे आमतौर पर चरने नहीं जाते है।
इसलिए प्रजनन वाले बकरों को हरे चारे और सूखे चारे के अलावा 400 से 600 ग्राम दाना प्रतिदिन देना आवश्यक होता है। यदि आप बकरे को उपयोग में नहीं लेते हो तो उसके आहार की मात्रा कम कर दें।
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बकरियों के चारा-पानी खिलानें में सावधानियाँ
- बकरी को लटके हुए हरे चारे का बंडल खाने दें।
- बकरी को कभी भी गीली घास न खाने दें।
- दिन में 4 बार चारा खिलाएं। एक ही समय में मत खिलाओ।
- बकरी को साफ और ताजा पानी देना चाहिए।
- सामान्य मौसम में 20 किलो वजन वाली बकरी को 700 मिली पानी की जरूरत होती है। गर्मी के दिनों में 1.5 गुना ज्यादा पानी की जरूरत होगी।
FAQ: बकरियों का आहार
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बकरियों को चारा कैसे खिलाएं?
बकरियों के पोषण के लिए प्रतिदिन अनाज के साथ सूखा चारा भी देना चाहिए। दाने में 57% मक्का, 20% मूंगफली की खली, 20% चोकर, 2% मिनरल मिक्चर, 1% नमक होना चाहिए। सूखे चारे में गेहूं की भूसा, सूखी पत्तियां, धान की भूसा, काले चने की भूसा या अरहर की भूसा शामिल होनी चाहिए। ठंड के मौसम में गन्ने का सीरा जरूर दें।
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बकरियों को क्या खिलाना चाहिए?
चरागाह घास, पौधे के पत्ते, घास और अल्फाल्फा लोंगो या छर्रों, और अनाज बकरियों के लिए कैलोरी के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। चूंकि बकरियों को जैविक रूप से फाइबर को पचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसलिए घास, पत्तियां और लंबे तने वाले ज्वार या छर्रों जैसे चारे हमेशा बकरियों को खिलाने के लिए सबसे अच्छे शुरुआती बिंदु होते हैं।
निष्कर्ष/ Conclusion
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बकरियों का आहार प्रबंधन, गाभिन बकरियों का आहार इसके बारे में डिटेल में जानकारी दी है।
आप हमें कमेंट करके बताएं कि आप अपनी बकरियों को आहार में क्या क्या देते हैं।
अगर आपकी हमारे इस आर्टिकल में कोई राय है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।